रमजान में गरीब-अनाथ का ख्याल रखें, भूख और प्यास की अहमियत समझाता है रोजा: मौलाना कासमी
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: May 11, 2019 03:29 PM2019-05-11T15:29:22+5:302019-05-11T15:29:22+5:30
मौलाना मुजीबउल्लाह कासमी ने कहा कि पवित्र रमजान महीने के मकसद को समझें और उसका पालन करें. उन्होंने कहा कि रोजा हमें भूख और प्यास की अहमियत को समझाता है.
मौलाना मुजीबउल्लाह कासमी ने कहा कि पवित्र रमजान महीने के मकसद को समझें और उसका पालन करें. उन्होंने कहा कि रमजान में गरीब, यतीम और 'यसीरों' का पूरा ध्यान रखें. शहर की ऐतिहासिक जामा मस्जिद में रमजान महीने के पहले शुक्रवार को होने वाली जुमा की नमाज के पहले मौलाना कासमी रमजान की अहमियत पर मार्गदर्शन कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि रोजा हमें भूख और प्यास की अहमियत को समझाता है. इसके साथ ही हम अपनी भूख-प्यास के अलावा अन्य लोगों की भूख-प्यास को भी महसूस करते हैं. मौलाना कासमी ने कहा कि रमजान में गरीब, यतीम और यसीरों (बगैर मां के बच्चे) का पूरा-पूरा ध्यान रखा जाए.
विशेष रूप से सहरी और इफ्तार में गरीब लोगों को शामिल करने की कोशिश की जाए. अगर हम अपने भोजन की मात्रा कुछ बढ़ा देते हैं तो बढ़ी हुई मात्रा से गरीबों को लाभ पहुंचाया जा सकता है. इसके अलावा ईद पर कपड़े बनाते समय भी ध्यान रखा जाए कि अधिक अच्छे के बजाय कुछ अच्छे कपड़े अपने लिए खरीदें तो गरीबों के लिए भी कपड़े खरीदने का ध्यान रखें.
इस अवसर पर जामा मस्जिद में शुक्रवार की नमाज हाफिज जाकिर साहब ने पढ़ाई और दुआ की. रमजान महीने का पहला शुक्रवार होने के चलते जामा मस्जिद में बड़ी संख्या में अकीदतमंद आए थे.