नयी दिल्ली, 27 मई पूर्व राज्यसभा सदस्य मौलाना महमूद मदनी को प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद (महमूद मदनी समूह) का बृहस्पतिवार को अंतरिम अध्यक्ष चुना गया।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने यहां एक बयान में बताया कि संगठन की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में मौलाना मदनी को आम सहमति से जमीयत का अंतरिम अध्यक्ष चुना गया।
बयान के मुताबिक, संगठन के प्रमुख मौलाना क़ारी सैयद मोहम्मद उस्मान मंसूरपुरी का 21 मई को कोविड संबंधित जटिलताओं की वजह से इंतकाल हो गया था। इसके बाद से यह पद खाली था।
मौलाना मदनी अब तक जमीयत के महासचिव के पद पर आसीन थे।
जमीयत के मुताबिक, मौलाना मदनी के अध्यक्ष चयनित होने के कारण महासचिव का पद खाली हो गया था, लिहाज़ा इस पद पर मौलाना हकीमुद्दीन का़समी को अंतरिम रूप से नियुक्त किया गया है।
बयान में बताया गया है कि कार्यकारिणी की बैठक में संगठन का अध्यक्ष चुनने के अलावा फलस्तीन और मस्जिद ए अक्सा की वर्तमान स्थिति पर एक प्रमुख प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें कहा गया है कि जमीयत उलमा ए हिंद इज़राइली फौज के माध्यम से “मस्जिद ए अक्सा के आंगन में नमाज़ियों पर हमले और उसे अपमानित करने की कड़े शब्दों में निंदा करती है।”
जमीयत ने कहा कि इज़राइली हवाई हमलों में गाजा में 200 से ज्यादा लोगों की जान गई है जिनमें 70 बच्चे और महिलाएं शामिल हैं।
बयान में कहा कि इससे पूरी दुनिया के मुसलमानों को आघात पहुंचा है और इस सिलसिले में संयुक्त राष्ट्र में भारत सरकार ने जो दृष्टिकोण अपनाया है, वह “संतोषजनक” है।
मस्जिद-ए-अक्सा इस्लाम में मक्का में स्थित काबा और मदनी में स्थित मस्जिद ए नबवी के बाद तीसरा सबसे पवित्र स्थान है।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद में दो समूह हैं, जिसमें एक के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी हैं जबकि दूसरे समूह का अध्यक्ष अब उनके भतीजे महमूद मदनी को चुना गया है।
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