सुप्रीम कोर्ट पहुंचा 'अग्निपथ' सैन्य भर्ती योजना का मामला, दायर हुई जनहित याचिका

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: June 18, 2022 11:07 PM2022-06-18T23:07:56+5:302022-06-18T23:12:05+5:30

सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई जनहित याचिका में मांग की गई है कि अग्निपथ सैन्य भर्ती योजना से सेना पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के किसी पूर्व जज की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति बनाई जाए, जो इस मामले की गहनता से पड़ताल करे।

matter of 'Agneepath' military recruitment scheme reached the Supreme Court, PIL filed | सुप्रीम कोर्ट पहुंचा 'अग्निपथ' सैन्य भर्ती योजना का मामला, दायर हुई जनहित याचिका

सुप्रीम कोर्ट पहुंचा 'अग्निपथ' सैन्य भर्ती योजना का मामला, दायर हुई जनहित याचिका

Highlightsसुप्रीम कोर्ट में 'अग्निपथ' के खिलाफ दायर की गई एक जनहित याचिका याचिका में योजना की पड़ताल के लिए एससी के पूर्व जज की अध्यक्षता में समिति बनाने की मांग की गई है

दिल्ली: युवाओं के लिए केंद्र सरकार द्वारा जारी की गई महत्वाकांक्षी सैन्य योजना 'अग्निपथ' के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई है।

जिसमें सुप्रीम कोर्ट से मांग की गई है कि अग्निपथ सैन्य भर्ती योजना और राष्ट्रीय सुरक्षा और सेना पर इसके प्रभाव की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के किसी पूर्व जज की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति बनाई जाए और इस मामले की गहनता से पड़ताल की जाए।

सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ता विशाल तिवारी ने कोर्ट से इस योजना के खिलाफ हो रहे हिंसक विरोध प्रदर्शन के साथ रेलवे सहित सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान का हवाला देते हुए कहा कि कोर्ट इसकी जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का भी गठन करे।

याचिका में कहा गया है की अग्निपथ योजना के घोषणा के बाद शुरू हुए हिंसक विरोध ने पूरे देश को गंभीर समस्या में घेर लिया है। इस योजना में युवाओं की मुख्य चिंता सेवा की अवधि (4 साल) का है, जो कहीं से भी उचित नहीं छहराया जा सकता है, इसके अलावा अग्निवीरों को कोई पेंशन लाभ भी नहीं दिया जाएगा।

योजना का विरोध करने वाले हजारों बेरोजगार युवाओं ने आरोप लगाया है कि अग्निपथ योजना उन सैनिकों के लिए अनिश्चितता भरी है, जिन्हें 4 साल बाद सेवाएं छोड़नी होंगी।

याचिका के अनुसार, 4 साल का अनुबंध पूरा होने के बाद, कुल गठित बल का 25 प्रतिशत ही सेवा में जाएगा और बाकी कर्मियों को छोड़ दिया जाएगा। जिससे फौज में शामिल होने वाले युवाओं के भविष्य के लिए गंभीर अनिश्चितता पैदा हो जाएगी।

इसके अलावा योजना में नौकरी की सुरक्षा के साथ, दिव्यांगता पेंशन सहित किसी भी तरह के पेंशन का लाभ नहींदिया जाएगा। सैनिकों को उनका कार्यकाल समाप्त होने पर 11 लाख रुपये से कुछ अधिक की एकमुश्त राशि ही मिलेगी।

इसके साथ ही याचिका में कहा गया है कि विभिन्न सैन्य दिग्गजों के अनुसार संविदा भर्ती की यह योजना स्थायी भर्ती की तुलना में प्रशिक्षण, मनोबल और प्रतिबद्धता से भी समझौता करने वाला प्रयास साबित हो सकता है।

याचिका में कहा गया है कि सेना की संरचना और पैटर्न में इस तरह के प्रयोगात्मक आमूल-चूल परिवर्तन से सैन्य रणनीतिक विस्तार में भी गंभीर अनिश्चितता कर सकती है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को भी खतरा हो सकता है। इन्ही मुद्दों के कारण पूरे देश में युवा बेरोजगार गंभीर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, जिसे देखते हुए सर्वोच्च न्यायालय तत्काल इसमें न्यायिक हस्तक्षेप करे। (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

Web Title: matter of 'Agneepath' military recruitment scheme reached the Supreme Court, PIL filed

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