Karnataka High Court: विवाह किसी व्यक्ति के निजी जानकारी को खत्म नहीं करता, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कहा

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 28, 2023 02:03 PM2023-11-28T14:03:06+5:302023-11-28T14:04:24+5:30

Karnataka High Court: एकल न्यायाधीश के आदेश को रद्द करते हुए न्यायमूर्ति सुनील दत्त यादव और न्यायमूर्ति विजयकुमार ए पाटिल की खंडपीठ ने कहा कि आधार अधिनियम की धारा 33 के तहत प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए, भले ही जानकारी मांगने वाली पत्नी हो।

Marriage does not nullify right to privacy Karnataka High Court woman, resident of Hubli, had sought information about address mentioned in her husband's Aadhaar card | Karnataka High Court: विवाह किसी व्यक्ति के निजी जानकारी को खत्म नहीं करता, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कहा

सांकेतिक फोटो

Highlightsउच्च न्यायालय के न्यायाधीश से कनिष्ठ किसी न्यायालय को नहीं दी गई है।एकल न्यायाधीश के आदेश में उससे नीचे के प्राधिकारी को विवरण देने का निर्देश दिया गया था।पति के आधार कार्ड में अंकित पते की जानकारी लोक सूचना अधिकारी (यूआईडीएआई) से मांगी थी।

Karnataka High Court: उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने कहा है कि विवाह किसी व्यक्ति के उसकी निजी जानकारी प्रकट करने के संबंध में प्रक्रियात्मक अधिकारों को खत्म नहीं करता।

 

एकल न्यायाधीश के आदेश को रद्द करते हुए न्यायमूर्ति सुनील दत्त यादव और न्यायमूर्ति विजयकुमार ए पाटिल की खंडपीठ ने कहा कि आधार अधिनियम की धारा 33 के तहत प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए, भले ही जानकारी मांगने वाली पत्नी हो। धारा 33 (1) के अनुसार सूचना प्रकट करने का आदेश पारित करने की शक्ति उच्च न्यायालय के न्यायाधीश से कनिष्ठ किसी न्यायालय को नहीं दी गई है।

लेकिन उच्च न्यायालय ने कहा कि एकल न्यायाधीश के आदेश में उससे नीचे के प्राधिकारी को विवरण देने का निर्देश दिया गया था। खंडपीठ ने कहा, ‘‘विद्वान एकल न्यायाधीश ने सहायक महानिदेशक, केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (यूआईडीएआई) को उस व्यक्ति को नोटिस जारी करने का निर्देश देकर पूरी तरह त्रुटिपूर्ण काम किया है जिसके बारे में जानकारी मांगी गई है।

यह एक स्थापित सिद्धांत है कि यदि अधिनियम यह प्रावधान करता है कि कोई विशेष कार्य किसी विशेष तरीके से किया जाना है, तो इसे उस तरीके से किया जाना चाहिए या बिल्कुल नहीं किया जाना चाहिए।’’ उत्तर कर्नाटक के हुबली की रहने वाली महिला ने अपने पति के आधार कार्ड में अंकित पते की जानकारी लोक सूचना अधिकारी (यूआईडीएआई) से मांगी थी।

वह एक कुटुंब अदालत के माध्यम से प्रयास कर रही थी कि उसके पति को उसे गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया जाए जो फरार था। अधिकारी ने जवाब दिया कि जानकारी देने के लिए उच्च न्यायालय का आदेश जरूरी है जिसके बाद महिला ने एकल पीठ का रुख किया। एकल पीठ के आदेश को केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (यूआईडीएआई) ने चुनौती दी थी।

अदालत ने एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ दलीलों को स्वीकार कर लिया। केएस पुत्तस्वामी मामले में शीर्ष अदालत के आदेश का उल्लेख करते हुए खंडपीठ ने कहा, ‘‘आधार संख्या धारक की निजता के अधिकार में उस व्यक्ति के निजता के अधिकार की स्वायत्तता निहित है।’’ 

Web Title: Marriage does not nullify right to privacy Karnataka High Court woman, resident of Hubli, had sought information about address mentioned in her husband's Aadhaar card

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