उपराष्ट्रपति चुनाव से दूरी बनाने पर मार्गरेट अल्वा की ममता बनर्जी को सलाह- TMC का फैसला निराशाजनक, ये समय अहंकार का नहीं
By मनाली रस्तोगी | Published: July 22, 2022 05:34 PM2022-07-22T17:34:21+5:302022-07-22T17:35:33+5:30
ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने फैसला किया है कि वह उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान नहीं करेगी क्योंकि 6 अगस्त को होने वाले चुनाव के लिए विपक्ष के उम्मीदवार पर उसके इनपुट नहीं मांगे गए थे।
नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने गुरुवार को उपराष्ट्रपति चुनाव में हिस्सा नहीं लेने का फैसला किया। पार्टी का कहना है कि विपक्षी दलों द्वारा मार्गरेट अल्वा का नाम उम्मीदवार के तौर पर घोषित किया गया, लेकिन इसके बारे में टीएमसी से राय नहीं ली गई। ऐसे में टीएमसी का कहना है कि पार्टी को लूप में रखे बिना विपक्षी उम्मीदवार की घोषणा करने की प्रक्रिया से वो असहमत है।
इस बीच राजस्थान की पूर्व राज्यपाल और उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा की उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान से दूर रहने के टीएमसी के फैसले को लेकर प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने शुक्रवार को ट्वीट करते हुए लिखा, "उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान से दूर रहने का टीएमसी का फैसला निराशाजनक है। यह 'क्या बात', अहंकार या क्रोध का समय नहीं है। यह साहस, नेतृत्व और एकता का समय है। मेरा मानना है कि ममता बनर्जी, जो साहस की प्रतीक हैं, वो विपक्ष के साथ खड़ी रहेंगी।"
The TMC's decision to abstain from voting in the VP election is disappointing. This isn't the time for 'whataboutery’, ego or anger. This is the time for courage, leadership & unity. I believe, @MamataOfficial , who is the epitome of courage, will stand with the opposition.
— Margaret Alva (@alva_margaret) July 22, 2022
विपक्षी दलों ने 17 जुलाई को राजस्थान की पूर्व राज्यपाल मार्गरेट अल्वा को चुनाव के लिए अपने संयुक्त उम्मीदवार के रूप में नामित करने का फैसला किया था। एनडीए ने छह अगस्त को होने वाले चुनाव के लिए पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल जगदीप धनखड़ को अपना उम्मीदवार बनाया है। तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने आरोप लगाया कि विपक्षी उम्मीदवार का नाम तय करने के लिए उनकी पार्टी को परामर्श और विचार-विमर्श का हिस्सा नहीं बनाया गया।
बनर्जी ने कहा कि हम टीएमसी को लूप में रखे बिना विपक्षी उम्मीदवार की घोषणा करने की प्रक्रिया से असहमत हैं। हमसे न तो कोई सलाह ली गई और न ही हमसे किसी बात पर चर्चा की गई। इसलिए हम विपक्ष के उम्मीदवार का समर्थन नहीं कर सकते। उन्होंने ये भी कहा था कि एनडीए उम्मीदवार, विशेष रूप से धनखड़ का समर्थन करने का कोई सवाल ही नहीं है, जिनका जुलाई 2019 में राज्य का राज्यपाल बनने के बाद से ममता बनर्जी सरकार के साथ लगातार टकराव रहा है।
पीटीआई के अनुसार, बनर्जी ने कहा कि एनडीए उम्मीदवार खासकर जगदीप धनखड़ को समर्थन देने का सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने कहा कि आज की बैठक में टीएमसी सांसदों ने सर्वसम्मति से उपराष्ट्रपति चुनाव में हिस्सा नहीं लेने का फैसला किया। टीएमसी नेता ने कहा कि उनकी पार्टी ने उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए कुछ नामों का सुझाव दिया था और चर्चा चल रही थी लेकिन "अचानक एक उम्मीदवार की घोषणा की गई"। बनर्जी ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी के फैसले से विपक्षी एकता प्रभावित नहीं होगी और इससे एनडीए उम्मीदवार को भी मदद नहीं मिलेगी।