Maratha Reservation: "कानून बनने तक मेरी भूख हड़ताल जारी रहेगी", मनोज जारांगे पाटिल ने शिंदे सरकार के मराठा आरक्षण बिल पास करने का स्वागत करते हुए कहा
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: February 21, 2024 01:42 PM2024-02-21T13:42:07+5:302024-02-21T13:45:56+5:30
शिंदे सरकार द्वारा मराठा आरक्षण विधेयक पास किये जाने के बाद भी मराठा आरक्षण के लिए संघर्ष कर रहे मनोज जारांगे पाटिल अपना भूख हड़ताल जारी रखे हुए हैं।
मुंबई: महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे सरकार द्वारा बीते मंगलवार को मराठों को कोटा प्रदान करने के लिए बुलाए गए विशेष सत्र में विधेयक पारित करने के बावजूद मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जारांगे पाटिल अपने गृहनगर जालना में भूख हड़ताल जारी रखे हुए हैं।
मनोज जारांगे ने शिंदे सरकार द्वारा मराठों को आरक्षण दिये जाने के कदम का स्वागत तो किया है लेकिन साथ ही विधेयक के कानूनी शक्ल लेने पर संदेह भी व्यक्त किया है।
समाचार वेबसाइट हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार मनोज जारांगे-पाटिल अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी में मराठा कोटा को आरक्षण दिये जाने पर जोर दे रहे हैं क्योंकि जिस तरह से शिंदे सरकार ने विधेयक पास किया है, ठीक वैसा ही विधेयक साल 2021 में कानूनी बनने से पहले रद्द हो गया था।
दरअसल महाराष्ट्र विधानमंडल के दोनों सदनों ने बीते मंगलवार को मराठा आरक्षण विधेयक पारित कर दिया, जिसका उद्देश्य संविधान में आरक्षण की 50 फीसदी की सीमा को तोड़ते हुए शिक्षा और नौकरियों में मराठों को 10 प्रतिशत कोटा देना है। मौजूदा विधेयक भी तत्कालीन देवेंद्र फड़नवीस सरकार द्वारा पेश किए गए सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा वर्ग अधिनियम, 2018 के समान है। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण के लिए 1992 में निर्धारित 50 फीसदी की सीमा का हवाला देते हुए 2018 में रद्द कर दिया था।
मराठा आरक्षण के लिए संघर्ष करने वाले जारंगे पाटिल मांग कर रहे हैं कि सभी मराठों को कुनबी को ओबीसी ब्लॉक के तहत एक जाति माना जाए और उसके अनुसार आरक्षण दिया जाए। वह चाहते हैं कि कुनबी रक्त संबंधियों को भी आरक्षण लाभ के लिए पंजीकरण की अनुमति दी जाए।
हालांकि, फिलहाल शिंदे सरकार ने निर्णय लिया कि केवल कुनबी प्रमाणपत्र के निज़ाम युग के दस्तावेज़ वाले लोगों को आरक्षण का लाभ मिलेगा।
इस मामले में मनोज पाटिल ने कहा, "शिंदे सरकार द्वारा दिए गए आरक्षण से मराठाओं में केवल 100 -150 लोगों को लाभ होगा, हमारे ज्यादातर लोग आरक्षण से वंचित रहेंगे। इसलिए मैं "सेज सोयरे" को लागू करने की मांग कर रहा हूं, आंदोलन के अगले दौर की घोषणा कल की जाएगी। हम वहीं लेंगे, जिसके हम हकदार हैं।''
इस घोषणा के साथ भूख हड़ताल पर बैठे मनोज जरांगे पाटिल ने अपने हाथ से नसों में लगने वाली ड्रिप भी हटा दी और डॉक्टरों से कहा है कि वो उनसे आगे का इलाज नहीं कराएंगे।
वहीं जारांगे-पाटिल की मांग पर प्रतिक्रिया देते हुए महाराष्ट्र के मंत्री शंभुराज देसाई ने कहा, ''सरकार ने मनोज जारांगे पाटिल और मराठा समुदाय की मांगों को पूरा कर दिया है। सरकार उनकी ओर से आई आपत्तियों का अध्ययन करके उस पर निर्णय लेगी। मैं उनसे अनुरोध करता हूं कि विरोध करने की कोई जरूरत नहीं है। सरकार ने मराठा समुदाय के पक्ष में फैसला लिया है।”