आरएसएस का फिर से जनसंख्या विस्फोट पर निशाना, कहा- जनसंख्या असंतुलन के कारण कई देशों का अस्तित्व समाप्त हुआ

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: October 8, 2022 09:58 PM2022-10-08T21:58:14+5:302022-10-08T21:58:14+5:30

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने एकबार फिर जनसंख्या विस्फोट पर निशाना साधते हुए हा कि जनसंख्या असंतुलन के कारण कई देशों का अस्तित्व ही समाप्त हो गया है।

Many countries ceased to exist due to population imbalance says RSS | आरएसएस का फिर से जनसंख्या विस्फोट पर निशाना, कहा- जनसंख्या असंतुलन के कारण कई देशों का अस्तित्व समाप्त हुआ

आरएसएस का फिर से जनसंख्या विस्फोट पर निशाना, कहा- जनसंख्या असंतुलन के कारण कई देशों का अस्तित्व समाप्त हुआ

Highlightsउन्होंने कहा- कई देश जनसंख्या वृद्धि को भार भी मानते हैं, किन्तु यह संतुलित रहे तो देश की शक्ति भी हैहोसबाले ने कहा कि चीन जैसे देश ने अपनी जनसंख्या नीति ही बदल दी हैउन्होंने कहा - जनसंख्या असंतुलन के कारण कई देशों का अस्तित्व ही समाप्त हो गया है

जयपुर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने शनिवार को कहा कि जनसंख्या असंतुलन के कारण कई देशों का अस्तित्व ही समाप्त हो गया है। उन्होंने कहा कि कई देश जनसंख्या वृद्धि को भार भी मानते हैं, किन्तु यह संतुलित रहे तो देश की शक्ति भी है। अजमेर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा आयोजित प्रबुद्ध जन सम्मेलन में "एक भारत, श्रेष्ठ भारत निर्माण में हमारी भूमिका" विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए होसबाले ने कहा कि चीन जैसे देश ने अपनी जनसंख्या नीति ही बदल दी है,क्योंकि राष्ट्र को युवा शक्ति चाहिए ,जिससे देश उद्यम व साहस के साथ प्रगति के मार्ग अग्रसर रहे। 

उन्होंने कहा कि हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं; अगले 25 वर्ष हमें अमृतकाल समझ कर कार्य करना है। होसबाले ने कहा कि भारत को श्रेष्ठ बनाने का दायित्व सिर्फ सरकार का नहीं है, भारत को 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' बनाने हेतु हम सभी को अपनी भूमिका निभानी होगी। उन्होंने कहा कि ‘‘भारत स्वाधीन तो हुआ है, किन्तु हमें 'स्व-तंत्र' विकसित करना होगा। भारत को सिर्फ राजनीतिक दृष्टि से आजादी नहीं चाहिए, हमें वैचारिक व बौद्धिक उपनिवेश से मुक्त होना होगा।’’ 

उन्होंने प्रशासन व्यवस्था, न्याय प्रणाली, शिक्षा पद्धति, अर्थ व्यवस्था सहित सामाजिक जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में भारतीय विचार व दृष्टि पर आधारित व्यवस्था स्थापित करने का आह्वान किया, जिससे हर भारतीय राष्ट्रीय गौरव को महसूस कर सके। उन्होंने उपस्थित प्रबुद्ध जनों से महाभारत का एक श्लोक उद्धृत करते हुए आग्रह किया कि देश को सन्मार्ग पर उन्मुख करना उनका कर्तव्य है। 

उन्होंने भारत के लगभग एक हजार वर्ष की ‘परतंत्रता’ का, विशेषत तौर पर 250 वर्ष की अंग्रेजों की गुलामी की विवेचना करते हुए, देश की स्वाधीनता में प्रत्येक वर्ग के संघर्ष और उत्सर्ग को सबके समक्ष रखा। होसबाले ने कहा कि पिछले 75 वर्षों में स्वाधीन भारत ने विश्व में नई गौरवमयी पहचान बनायी है; आज विश्व, भारत की और आकर्षित है और उम्मीद की दृष्टि से देखता है। 

(इनपुट भाषा)

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