नई दिल्ली: सलमान खुर्शीद के बाद अब कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी की एक किताब पर विवाद मच गया है। मनीष तिवारी ने अपनी इस किताब में लिखा है कि यूपीए के शासन में 26/11 के आतंकी हमले के बाद भारत को पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए थी। मनीष तिवारी ने किताब में उस आतंकी हमले का जिक्र करते हुए कहा है कि संयम कमजोरी का भी प्रतीक है।
मनीष तिवारी के इस किताब को लेकर भाजपा एक बार फिर हमलावर हो गई है और इसे कांग्रेस द्वारा अपनी नाकामी मानने के तौर पर गिना रही है। भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि मनीष तिवारी ने जो लिखा है उसे देखने के बाद ये कहना गलत नहीं होगा कि सच बाहर आ गया है।
भाटिया ने कहा कि इसे कांग्रेस की ओर से अपनी गलती मानने के तौर पर देखा जाना चाहिए। इससे पहले भाजपा ने खुर्शीद की किताब में 'हिंदुत्व' के आतंकी संगठन से तुलना करने पर कांग्रेस पर हमला बोला था।
मनीष तिवारी की किताब में क्या लिखा है?
मनीष तिवारी ने मंगलवार को ही अपनी किताब- '10 फ्लैश प्वाइंट्स, 20 इयर्स- नेशनल सिक्योरिटी सिचुएशन' के बाजार में आने की घोषणा की।
इसमें तिवारी ने एक जगह लिखा है, 'एक ऐसा देश जहां सैकड़ों निर्दोष लोगों की बेरहमी से हत्या होती है, उसके लिए संयम ताकत का संकेत नहीं है, इसे कमजोरी का प्रतीक माना जाता है। एक समय आया था जब शब्दों से अधिक एक्शन पर जोर होना चाहिए था। 26/11 इनमें से एक था, जहां ये करना चाहिए था। इसलिए मेरा विचार है कि भारत के '9/11' के बाद के दिनों में कार्रवाई करनी चाहिए थी।'
मनीष तिवारी कांग्रेस नेतृत्व पर भी उठाते रहे हैं सवाल
मनीष तिवारी कांग्रेस के जी-23 के सदस्यों में से एक हैं जो कांग्रेस के मौजूदा शीर्ष नेतृत्व सहित गांधी परिवार पर सवाल उठाते रहे हैं। नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा हाल में पाकिस्तान के पीएम इमरान खान को बड़ा भाई बताने पर भी मनीष तिवारी ने पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष की आलोचना की थी।
मनीष तिवारी ने इमरान खान को ‘बड़ा भाई’ कहने के लिए सिद्धू पर निशाना साधते हुए कहा कि इमरान भारत के लिए आईएसआई एवं पाकिस्तानी सेना के उस गठजोड़ का मोहरा हैं, जो पंजाब में हथियार एवं मादक पदार्थ तथा जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी भेजता है।
26/11 आतंकी हमलों की 13वीं बरसी
मुंबई में हुए 26/11 के हमलों में 160 लोग मारे गए थे। जवाबी कार्रवाई में नौ आतंकवादी मारे गए और एकमात्र जीवित हमलावर - अजमल कसाब गिरफ्तार किया गया। बाद में 11 नवंबर, 2012 को उसे फांसी दी गई।
यह भीषण हमला तब हुआ जब केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार सत्ता में थी। मनीष तिवारी 2012 और 2014 के बीच यूपीए सरकार में सूचना एवं प्रसारण मंत्री भी थे। इस हफ्ते 26/11 हमलों की 13वीं बरसी भी है।