मल्लिकार्जुन खड़गेः नए कांग्रेस अध्यक्ष को नई टीम बनाना नहीं होगा आसान, अधिकतर मौजूदा नेताओं को ही मिल सकती है जिम्मेदारी, जानें पूरा मामला
By शरद गुप्ता | Published: October 27, 2022 06:44 PM2022-10-27T18:44:04+5:302022-10-27T18:45:36+5:30
कांग्रेस पार्टी संविधान के अनुसार, सीडब्ल्यूसी के 11 सदस्य मनोनीत होंगे और 12 निर्वाचित होंगे। इसके अलावा, संसद में पार्टी के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष भी कार्यसमिति के सदस्य होंगे।
नई दिल्लीः कांग्रेस पदाधिकारियों में 50 प्रतिशत युवाओं को मौका देने का वादा निभा पाना नवनिर्वाचित पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के लिए एक मुश्किल चुनौती साबित हो सकता है.
खास तौर पर केंद्रीय पदाधिकारियों में. सोनिया गांधी के पार्टी अध्यक्ष रहते हैं जो 10 महासचिव थे उनमें प्रियंका गांधी के अलावा अजय माकन, रणदीप सिंह सुरजेवाला, जयराम रमेश, भंवर जितेंद्र सिंह, और केसी वेणुगोपाल जैसे राहुल गांधी के करीबी लोग शामिल थे.
इनके अलावा तारिक अनवर अकेले मुस्लिम थे और ओमन चंडी केरल का प्रतिनिधित्व करते हैं जहां अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए बड़ा मौका है. इनके बाद केवल झारखंड के प्रभारी अविनाश पांडे और मुकुल वासनिक बचते हैं जिनमें वासनिक एकमात्र दलित हैं. लेकिन दलित पार्टी का अध्यक्ष बनने के बाद वासनिक की भूमिका बदली जा सकती है.
मलिकार्जुन खड़गे अपनी टीम में एक या दो उपाध्यक्ष या कार्यकारी अध्यक्ष बना सकते हैं. राहुल गांधी, जितेंद्र प्रसाद और अर्जुन सिंह अलग-अलग समय पार्टी में उपाध्यक्ष के तौर पर काम कर चुके हैं.
क्या कोई बनेगा कार्यकारी अध्यक्ष? इसी तरह हर राज्य में पार्टी ने कई कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किए हैं.
इससे खड़गे को काम निपटाने में तो आसानी होगी लेकिन पार्टी कार्यकर्ताओं में संदेश जाएगा कि उन्हें पार्टी चलाने के लिए खुला हाथ नहीं दिया गया है और कई पावर सेंटर बन जाएंगे. गांधी परिवार के सदस्यों के अलावा ये नए पावर सेंटर पार्टी अध्यक्ष की ताकत के लिए चुनौती बनते नजर आ सकते हैं.
अधिकतर राज्यों में कांग्रेस के दो खेमे
दरअसल अधिकतर राज्यों में कांग्रेस के दो खेमे हैं. राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट, कर्नाटक में सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार, छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल और टीएस सिंह देव, महाराष्ट्र में अशोक चौहान और बालासाहेब थोराट. इनके अलावा कमलनाथ मध्यप्रदेश नहीं छोड़ना चाहते तो भूपेंद्र सिंह हुड्डा हरियाणा की राजनीति ही करना चाहते हैं. ऐसे में खड़गे को अपनी टीम के सदस्य ढूंढने में काफी मशक्कत करनी पड़ सकती है.
संसदीय दल का खाका बदलेगा?
सोनिया गांधी कांग्रेस संसदीय दल के अध्यक्ष तो है लेकिन खड़गे थे पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद राज्यसभा में पार्टी के नेता का पद खाली हो गया है. लोकसभा में संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी को एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत के अनुसार पश्चिम बंगाल पार्टी के अध्यक्ष या संसदीय दल के नेता मैं से एक पद छोड़ना पड़ेगा. इसलिए संसदीय दल में है बदलाव अवश्यंभावी है.