मशहूर कवयित्री और कार्यकर्ता सुगतकुमारी का निधन, 86 की उम्र में ली आखिरी सांस
By सतीश कुमार सिंह | Updated: December 23, 2020 12:56 IST2020-12-23T12:38:32+5:302020-12-23T12:56:31+5:30
पद्म श्री से सम्मानित सुगतकुमारी का जन्म 22 जनवरी 1934 को हुआ था। केरल विश्वविद्यालय और तिरुवनंतपुरम विश्वविद्यालय कॉलेज से अपनी शिक्षा पूरी की।

पद्म श्री से सम्मानित सुगतकुमारी कोविड -19 पॉजिटिव पाई गईं थीं। (file photo)
तिरुवनंतपुरमः प्रख्यात मलयाली कवयित्री और कार्यकर्ता सुगतकुमारी का 86 साल की उम्र में निधन हो गया। बुधवार सुबह 10.52 बजे उनका निधन हो गया।
पद्म श्री से सम्मानित सुगतकुमारी कोविड -19 पॉजिटिव पाई गईं थीं। उनका इलाज चल रहा था। उन्हें गंभीर निमोनिया की हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वह वेंटिलेटर सपोर्ट पर थीं। डॉक्टरों ने कहा कि वह ब्रोन्कोपमोनिया से पीड़ित थीं, एक ऐसी स्थिति जो फेफड़ों में हवा के थक्के में सूजन पैदा करती है। उनके परिवार में उनकी बेटी लक्ष्मी देवी हैं।
मलयालम साहित्य के क्षेत्र में एक प्रभावशाली आवाज थीं
सुगतकुमारी, मलयालम साहित्य के क्षेत्र में एक प्रभावशाली आवाज थीं, उन्हें केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार, केंद्र साहित्य अकादमी पुरस्कार, ओडक्कुज़ल पुरस्कार, एज़ुथचन पुरस्कार से सम्मानित थीं, सुगतकुमारी के काव्य संग्रह 'मनलेक्षुतु' को प्रतिष्ठित सरस्वती सम्मान के लिए चुना गया था।
सैकड़ों प्रशंसक उन्हें ‘सुगत टीचर’ के नाम से पुकारते थे। सुगतकुमारी की जांच में 21 दिसंबर को संक्रमण की पुष्टि हुई थी जिसके बाद उन्हें अस्पताल के आईसीयू में भर्ती किया गया था। हालांकि पहले उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती किया गया था लेकिन संक्रमण होने के बाद सरकारी अस्पताल में स्थानांतरित किया गया। अस्पताल के अधिकारियों ने कहा कि सुगतकुमारी की हालत नाजुक थी और उसमें कोई परिवर्तन नहीं हो रहा था इसलिए उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था।
सुगतकुमारी ने एक कविता लिखी मराठिनु सुथुति (एक पेड़ के लिए भजन) जिसे साइलेंट वैली को बचाने के लिए हर दूसरे विरोध में पढ़ा गया था। वह साइलेंट वैली मूवमेंट की सबसे सक्रिय प्रचारकों में से एक थीं। दुनिया भर के पर्यावरणविदों ने उस प्रस्ताव के खिलाफ लड़ाई लड़ी, जो न केवल जंगल के हिस्से को नष्ट कर देगा, बल्कि लुप्तप्राय शेर-पूंछ वाले मैकास के जीवन को भी खतरा होगा। सुगतकुमारी मलयालम साहित्य के क्षेत्र में एक प्रभावशाली आवाज थीं।
वर्तमान समय की सबसे लोकप्रिय मलयाली कवयित्री, सुगतकुमारी को उनकी विशिष्ट काव्यशैली के लिए जाना जाता था जिनमें करुणा, मानवीय संवेदना और दार्शनिक भाव का समावेश था। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के लिए कई आंदोलनों का नेतृत्व किया था।
अभय नामक सामाजिक संगठन की नींव रखीं
कवयित्री सुगतकुमारी पर्यावरणविद और केरल राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष भी थीं। उन्होंने मानसिक रूप से बीमार लोगों के लिए अभय नामक सामाजिक संगठन की नींव रखी, अब इस संगठन में मानसिक रोगियों के अलावा असहाय बच्चों और महिलाओं की भी मदद की जाती है।
सुगतकुमारी ने वंचित, पीड़ित, गरीब, शोषित, नशे की आदी और घरेलू हिंसा की शिकार हुई महिलाओं के लिए तीस साल तक ‘अभया’ नामक संगठन चलाया। सुगतकुमारी का जन्म 22 जनवरी 1934 को हुआ था और वह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बोधेश्वरन और कार्तियायिनी अम्मा की दूसरी बेटी थीं।
वह केरल राज्य महिला आयोग की पहली अध्यक्ष थीं और उन्हें अनेक पुरस्कारों से नवाजा गया था। इसके अलावा उन्हें 2006 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। सुगतकुमारी का विवाह लेखक के. वेलयुधन के साथ हुआ था।

