महाराष्ट्र : संत ज्ञानेश्वर की पादुकाओं को लेकर ‘वारकरी’ पंढरपुर के लिए निकले
By भाषा | Published: July 19, 2021 12:20 PM2021-07-19T12:20:28+5:302021-07-19T12:20:28+5:30
पुणे, 19 जुलाई फूलों से सजी दो बस संत ज्ञानेश्वर की पादुकाओं और 40 'वारकरी' के साथ वार्षिक ‘वारी’ तीर्थयात्रा के तहत सोमवार को पुणे से पड़ोसी सोलापुर जिले के पंढरपुर के लिए रवाना हुईं।
कोविड-19 महामारी के कारण महाराष्ट्र सरकार ने इस वर्ष तीर्थयात्रा को पैदल चलने की अनुमति नहीं दी है। कोविड-19 के प्रकोप से पहले हजारों ‘वारकरी’ या भगवान विट्ठल के भक्त मंगलवार को पड़ने वाली 'आषाढ़ी एकादशी' के शुभ दिन पंढरपुर जाने के लिए तीर्थ यात्रा में शामिल होते थे।
राज्य सरकार ने हाल में निर्णय किया था कि संत-कवि ज्ञानेश्वर और तुकाराम के पावन पदचिन्हों को इस वर्ष सीमित संख्या में वारकरियों के साथ बस द्वारा पंढरपुर ले जाया जाएगा। पुणे स्थित अलंदी मंदिर के न्यासियों में शामिल विकास धागे पाटिल ने कहा कि 40 वारकरी (प्रत्येक बस में 20) सोमवार सुबह राज्य परिवहन की बसों में ‘‘जय हरि विट्ठल’’ और ‘‘ज्ञानोबा मौली तुकाराम’’ के नारों के बीच पंढरपुर के लिए रवाना हुए।
पाटिल ने कहा कि सभी भक्त मास्क पहने हुए थे और सामाजिक दूरी का पालन किया गया। उन्होंने कहा, ‘‘पालकी दोपहर तक पंढरपुर के पास एक गांव वाखरी पहुंच जाएगी और वहां से पादुका को पैदल आगे ले जाया जाएगा।’’
यात्रा में भाग लेने के लिए चुने गए वारकरियों की आरटी-पीसीआर जांच हुई थी और ‘नेगेटिव रिपोर्ट’ आने के बाद उन्हें यात्रा करने की अनुमति दी गयी। संत तुकाराम महाराज की पालकी भी पुणे के पास देहू के एक मंदिर से दो बसों में 40 वारकरियों की मौजूदगी में पंढरपुर के लिए रवाना हुई।
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