महाराष्ट्र: स्पीकर चुनाव के बाद, शिंदे सरकार कल कैसे साबित करेगी अपना बहुमत, इन आंकड़ों से समझिए
By रुस्तम राणा | Published: July 3, 2022 02:57 PM2022-07-03T14:57:00+5:302022-07-03T15:00:46+5:30
महाराष्ट्र विधानसभा में कुल सदस्यों की संख्या 288 है, जिसमें एक विधायक का निधन हो चुका है। वहीं शिवसेना के बागी गुट के पास 39 विधायक हैं। जबकि शिंदे सरकार में शामिल बीजेपी के पास 106 विधायक हैं। इसके अलावा वर्तमान सरकार को निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन है।
मुंबई: महाराष्ट्र में नवगठित शिंदे सरकार 4 जुलाई को फ्लोर टेस्ट का सामना करेगी। रविवार को हुए विधानसभा अध्यक्ष पद के चुनाव का नतीजा शिंदे सरकार के पक्ष में रहा। भारतीय जनता पार्टी के विधायक राहुल नार्वेकर ने जीत हासिल की है। उन्होंने ठाकरे गुट की शिवसेना के उम्मीदवार राजन साल्वी को मात दी है।
वोटिंग परिणाम के अनुसार, नार्वेकर को 164 वोट मिले हैं तो वहीं साल्वी को महज 107 वोटों से संतोष करना पड़ा। वहीं, समाजवादी पार्टी के दोनों विधायकों और एआईएमआईएम के विधायक ने किसी भी पक्ष में मतदान नहीं किया। स्पीकर पद के चुनाव को जीतने के बाद शिंदे सरकार के लिए 4 जुलाई को बहुमत करना कितना आसान या मुश्किल होगा, इस गणित से समझते हैं।
महाराष्ट्र विधानसभा में कुल सदस्यों की संख्या 288 है, जिसमें एक विधायक का निधन हो चुका है। वहीं शिवसेना के बागी गुट के पास 39 विधायक हैं। जबकि शिंदे सरकार में शामिल बीजेपी के पास 106 विधायक हैं। इसके अलावा वर्तमान सरकार को निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन है। सीएम शिंदे ने दावा किया है कि उनके पास 170 विधायकों का समर्थन है। ऐसी स्थिति में शिंदे सरकार आराम से अपना बहुतम साबित कर देगी।
इसके विपरीत, अगर शिवसेना के सभी 39 बागी सदस्यों की सदस्यता समाप्त हो जाती है, तब भी विपक्ष के पास उतनी संख्या नहीं है, जिसके आधार पर वह सरकार बना सके। क्योंकि फिर सरकार बनाने के लिए जादुई आंकड़ा 125 रह जाता है। ऐसे में वोटिंग में हिस्सा ना लेनी वाली पार्टियां सपा, एआईएमआईएम और सीपीएम के विधायक, इनके अलावा जेल में बंद एनसीपी विधायक अनिल देशमुख और नवाब मलिक भी उद्धव गुट के पक्ष में वोट डालते हैं तो भी उनकी संख्या 125 तक नहीं पहुंच पाएगी।
वहीं दूसरी तरफ, स्पीकर चुनाव में शिंदे सरकार की ओर से खड़े उम्मीदवार राहुल नार्वेकर को 164 मत हासिल हुए हैं। इसमें शिवसेना के अगर 39 बागी विधायक की सदस्यता चली भी जाती है तो भी वर्तमान सरकार के पास बहुमत के लिए 125 संख्या आराम से हो जाती है।
बता दें कि एकनाथ शिंदे ने गुरुवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। करीब 2.5 साल तक चली उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार के पतन के पीछे शिंदे खेमे की बगावत है। शिंदे के नेतृत्व में बागी विधायकों ने महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन को लेकर अपनी ही पार्टी के खिलाफ विद्रोह कर दिया। बागी विधायक चाहते थे कि शिवसेना प्रमुख ठाकरे उन पार्टियों से गठबंधन तोड़ दें जिनका उन्होंने कभी विरोध किया था। उन्होंने कहा कि शिवसेना का स्वभाविक गठबंधन भाजपा के साथ है और उसे वापस जाना चाहिए।