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महाराष्ट्र: राष्ट्रपति शासन लागू, विधानसभा निलंबित अवस्था में, एक बार में जानें पूरा घटनाक्रम

By भाषा | Updated: November 12, 2019 18:52 IST

शिवसेना ने सोमवार को दावा किया था कि राकांपा और कांग्रेस ने उसे महाराष्ट्र में भाजपा के बिना सरकार बनाने के लिये सिद्धांत रूप में समर्थन देने का वादा किया है लेकिन राज्यपाल की ओर से तय समय सीमा समाप्त होने से पहले वह समर्थन का पत्र पेश करने में विफल रही।

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ठळक मुद्देमहाराष्ट्र में जारी राजनीतिक गतिरोध के बीच मंगलवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाये जाने संबंधी उद्घोषणा पर हस्ताक्षर किये और इसके बाद प्रदेश विधानसभा निलंबित अवस्था में रहेगी।इससे पहले, केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश की गयी थी। राज्य में पिछले महीने हुए विधानसभा चुनाव के बाद कोई भी दल सरकार नहीं बना पाया।

महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक गतिरोध के बीच मंगलवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाये जाने संबंधी उद्घोषणा पर हस्ताक्षर किये और इसके बाद प्रदेश विधानसभा निलंबित अवस्था में रहेगी। इससे पहले, केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश की गयी थी। राज्य में पिछले महीने हुए विधानसभा चुनाव के बाद कोई भी दल सरकार नहीं बना पाया।

अधिकारियों ने बताया, ‘‘राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाये जाने संबंधी उद्घोषणा पर हस्ताक्षर किये। महाराष्ट्र विधानसभा निलंबित अवस्था में रहेगी।’’

सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुलाई गई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में महाराष्ट्र के राजनीतिक हालात पर चर्चा हुई और प्रदेश में केंद्रीय शासन लगाने का राष्ट्रपति से अनुरोध करने का निर्णय किया गया। कैबिनेट की बैठक के बाद प्रधानमंत्री ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए ब्राजील रवाना हो गए। इस घटनाक्रम के बीच राकांपा, कांग्रेस और शिवसेना के शीर्ष नेता सरकार गठन को लेकर गतिरोध दूर करने और संख्या जुटाने के लिये विचार विमर्श जारी रखे हुए हैं।

शिवसेना ने सोमवार को दावा किया था कि राकांपा और कांग्रेस ने उसे महाराष्ट्र में भाजपा के बिना सरकार बनाने के लिये सिद्धांत रूप में समर्थन देने का वादा किया है लेकिन राज्यपाल की ओर से तय समय सीमा समाप्त होने से पहले वह समर्थन का पत्र पेश करने में विफल रही।

कांग्रेस ने मंगलवार को महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी द्वारा राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश करने के लिए उनकी आलोचना की और आरोप लगाया कि उन्होंने ‘‘न्याय का हनन’’ किया है और संवैधानिक प्रक्रिया का मजाक बनाया है।

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने महाराष्ट्र के राज्यपाल पर राकांपा, शिवसेना और भाजपा को सरकार बनाने के लिए बहुमत साबित करने के लिए ‘‘मनमाने ढंग से’’ समय देने का आरोप भी लगाया।

वहीं, महाराष्ट्र में सरकार गठन के लिए आवश्यक समर्थन पत्र सौंपने के वास्ते अतिरिक्त समय न देने के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के निर्णय के खिलाफ शिवसेना मंगलवार को उच्चतम न्यायालय पहुंची। राज्य में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश से पहले राकांपा और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने की कोशिश में लगी रही शिवसेना दोनों दलों से आवश्यक समर्थन पत्र नहीं जुटा पाई थी।

शिवसेना के नेताओं ने सरकार गठन के दावे के लिए सोमवार रात साढ़े सात बजे की समयसीमा से पहले राज्यपाल से मुलाकात की थी। पार्टी नेता अनिल परब ने एक समाचार चैनल से कहा, ‘‘शिवसेना ने अतिरिक्त समय न देने के महाराष्ट्र के राज्यपाल के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की है। हमने राज्यपाल से आवश्यक समर्थन पत्र सौंपने के लिए तीन दिन का समय देने का आग्रह किया था। हम बाद में शक्ति परीक्षण में अपना बहुमत साबित कर सकते थे।’’

बहरहाल, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा प्रतिनियुक्त कांग्रेस नेता महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर आगे बातचीत के लिये महाराष्ट्र पहुंच गए। इस बीच, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने मंगलवार को कहा कि कांग्रेस के समर्थन और ‘तीनों दलों’ के विचार-विमर्श के बिना महाराष्ट्र में सरकार नहीं बन सकती।

राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शरद पवार की अगुवाई वाली राकांपा को आज मंगलवार शाम साढ़े आठ बजे तक सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए कहा था। लेकिन कोश्यारी ने मंगलवार को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश कर दी। कोश्यारी के कार्यालय द्वारा ट्वीट किये गये एक बयान के अनुसार, ‘‘वह संतुष्ट हैं कि सरकार को संविधान के अनुसार नहीं चलाया जा सकता है, (और इसलिए) संविधान के अनुच्छेद 356 के प्रावधान के अनुसार आज एक रिपोर्ट सौंपी गई है।’’

अनुच्छेद 356 को आमतौर पर राष्ट्रपति शासन के रूप में जाना जाता है और यह ‘राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता’ से संबंधित है। बहरहाल, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने राज्य में सरकार गठन के लिए शिवसेना को समर्थन देने के फैसले पर कांग्रेस की तरफ से की गई देरी को लेकर हो रही आलोचनाओं को मंगलवार को खारिज कर दिया।

सरकार बनाने के लिए क्या कांग्रेस शिवसेना को समर्थन देने पर सहमत हुई थी, यह पूछे जाने पर चव्हाण ने कहा कि अगर ऐसा नहीं होता तो उनकी पार्टी ने सोमवार को दिल्ली में इतनी लंबी चर्चाए नहीं की होतीं।

राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के संबंध में मंगलवार को लगाई जा रही अटकलों के बीच, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि अगर राष्ट्रपति शासन लागू भी होता है तो जब दलों के पास संख्या बल हो और वे सरकार बनाने की दावेदारी कर सकते हों तो उसे हटाया भी जा सकता है।

महाराष्ट्र में गैर-भाजपाई सरकार बनाने के शिवसेना के प्रयासों को सोमवार को झटका लगा था जब कांग्रेस ने अंतिम क्षण में कहा कि वह उद्धव ठाकरे नीत पार्टी को समर्थन देने के विषय पर अपनी सहयोगी राकांपा से कुछ और चर्चाएं करना चाहती है।

गौरतलब है कि महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर गतिरोध 19वें दिन में प्रवेश कर गया है और कोई भी दल सरकार बनाने में अब तक सफल नहीं हुआ है । इससे पहले रविवार को प्रदेश में सबसे बड़े दल के रूप में उभरी भाजपा ने कहा कि उसके पास सरकार बनाने के लिये जरूरी संख्या नहीं है।

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