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महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात और कर्नाटकः कागजों में सिमटी मछुआरों को घर की योजना

By नितिन अग्रवाल | Updated: February 27, 2021 18:14 IST

केंद्र ने राज्यों को 18,686 घरों के लिए वर्ष 2015-16 से 2019-20 के दौरान 134 करोड़ रुपए की रकम जारी की, लेकिन संबंधित राज्यों की ओर से कोई प्रस्ताव नहीं भेजा गया.

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ठळक मुद्देयोजना के लाभार्थियों के चयन का काम राज्य सरकार का है.योजना के तहत 1.20 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी जाती है.नीली क्रांति कार्यक्रम के तहत मछुआरों को अपना घर बनाने के लिए शुरू की गई.

नई दिल्लीः मछुआरों को घर मुहैया कराने की योजना महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात और कर्नाटक में सरकारी लापरवाही की भेंट चढ़ती नजर आ रही है.

चारों राज्यों ने केंद्र को कोई प्रस्ताव ही नहीं भेजा जिसके चलते चार वर्ष बाद भी योजना का लाभ मछुआरों को नहीं मिला. पशुपालन मंत्रालय के मुताबिक योजना के लाभार्थियों के चयन का काम राज्य सरकार का है. मंत्रालय ने कृषि मंत्रालय से संबद्ध संसदीय समिति को बताया कि केंद्र ने राज्यों को 18,686 घरों के लिए वर्ष 2015-16 से 2019-20 के दौरान 134 करोड़ रुपए की रकम जारी की, लेकिन संबंधित राज्यों की ओर से कोई प्रस्ताव नहीं भेजा गया.

इसलिए इनको आगे की रकम जारी नहीं की गई. भाजपा के पर्वतगौड़ा चंदनगौड़ा गद्दीगौदर की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति की ताजा रिपोर्ट में इस बात पर चिंता जताई है. समिति ने कहा कि योजना के लाभार्थियों का चयन सिर्फ राज्य सरकार पर निर्भर होने के चलते पात्र मछुआरे घर पाने से वंचित रह सकते हैं.

समिति ने सरकार को राज्य सरकार के साथ मिलकर पात्र लाभार्थियों की पहचान के लिए व्यवस्था करने का निर्देश दिया. गौरतलब है कि नीली क्रांति कार्यक्रम के तहत मछुआरों को अपना घर बनाने के लिए शुरू की गई इस योजना के तहत 1.20 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी जाती है.

पीएमएमएसवाई के तहत सागर मित्रों के सहयोग की सिफारिश समिति ने प्रधानमंत्री मत्स्य स्पंदन योजना (पीएमएमएसवाई) के तहत सागर मित्रों का सहयोग लेने की भी सिफारिश की. मंत्रालय ने समिति को बताया कि फिशरी राज्य का विषय होने के नाते योजना के लाभार्थियों का चुनाव करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है. हालांकि पीएमएमएसवाई के तहत हाल ही में सागर मित्र को मंजूरी दी गई है जो जमीनी स्तर पर राज्य सरकार की एजेंसियों के साथ काम करेंगे.

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