भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की नेता पंकजा मुंडे द्वारा ट्विटर पर से पार्टी का नाम हटाने के बाद महाराष्ट्र में सियासी पारा चढ़ गया, जिसपर पार्टी की ओर खंडन किया गया। इस दौरान मंगलवार (03 दिसंबर) को खुद पंकजा मुंडे ने इस तरह की अफवाहों को लेकर कहा है कि वह बीजेपी की एक ईमानदार कार्यकर्ता रही हैं।
समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, पंकजा मुंडे ने कहा, मैं पार्टी (बीजेपी) की एक ईमानदार कार्यकर्ता रही हूं, मैंने पार्टी के लिए काम किया है और मैं अपने ऊपर लगे आरोपों से व्यथित हूं। मैं अब 12 दिसंबर को बोलूंगी, अभी और नहीं कहना चाहती।'
बता दें कि बीजेपी प्रमुख चंद्रकांत पाटिल ने सोमवार को कहा था कि वह पार्टी छोड़ नहीं रही हैं। पाटिल ने मीडिया के एक वर्ग में आई उन खबरों का खंडन किया था कि वह बीजेपी छोड़ रही हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता दिवंगत गोपीनाथ मुंडे की बेटी पंकजा मुंडे 21 अक्टूबर को हुए विधानसभा चुनाव में बीड जिले की परली सीट से अपने चचेरे भाई एवं प्रतिद्वंद्वी राकांपा के धनंजय मुंडे से हार गई।
पाटिल ने पत्रकारों से कहा कि बीजेपी के नेता पंकजा मुंडे से संपर्क में हैं। वह हार के बाद आत्मनिरीक्षण कर रही हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह बीजेपी छोड़ रही हैं। उन्होंने शिवसेना नेता संजय राउत के इस दावे को खारिज किया कि कई नेता उद्धव ठाकरे नीत पार्टी में शामिल होने के लिए उत्सुक हैं। महाराष्ट्र में दुर्घटनावश बनी सरकार निराधार खबरें फैला रही है। उनके ठाकरे परिवार से अच्छे पारिवारिक रिश्ते हो सकते हैं, लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है कि वह शिवसेना में शामिल होने जा रही हैं।
पंकजा मुंडे ने अपने ‘ट्विटर बायो से’ सारी जानकारी हटा दी। उन्हेंने अपनी बीजेपी का नाम और अपने राजनीतिक सफर का विवरण भी हटा दिया। इससे एक दिन पहले महाराष्ट्र में बदले राजनीतिक परिदृश्य की पृष्ठभूमि में पंकजा मुंडे ने अपनी 'भावी यात्रा' के संबंध में सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था जिससे अटकलों का बाजार गर्म हो गया।
रविवार को किये गए फेसबुक पोस्ट में पंकजा मुंडे ने अपने समर्थकों को अपने दिवंगत पिता गोपीनाथ मुंडे की जयंती के मौके पर 12 दिसंबर को गोपीनाथगढ़ आने का न्योता दिया था। गोपीनाथगढ़ बीड जिले में गोपीनाथ मुंडे का स्मारक है।
महाराष्ट्र में 24 अक्टूबर को आए विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद नई राजनीतिक पटकथा लिखी गई। बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाली शिवसेना ने उसके साथ 30 साल पुराना गठबंधन तोड़ लिया और एनसीपी तथा कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बना ली।