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महाराष्ट्र: राज्यपाल ने सरकार बनाने के लिए शिवसेना को दिया न्योता, NCP ने रखी शर्त- समर्थन चाहिए तो राजग का साथ छोड़ो

By भाषा | Updated: November 11, 2019 06:55 IST

राज भवन द्वारा जारी बयान के अनुसार कोश्यारी ने शिवसेना के विधायक दल के नेता एकनाथ शिंदे से कहा है कि वह महाराष्ट्र में सरकार बनाने की अपनी पार्टी की ‘‘इच्छा और क्षमता का संकेत दें।’’

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ठळक मुद्देमहाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर जारी गतिरोध के बीच प्रदेश के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने विधानसभा चुनाव में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी शिवसेना को सरकार बनाने का रविवार रात को न्योता दिया है। सरकार बनाने से भाजपा के इनकार करने के कुछ घंटे बाद राज्यपाल ने यह कदम उठाया। महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी शिवसेना के पास 56 विधायक हैं जबकि सबसे बड़ी पार्टी भाजपा के पास 105 विधायक हैं।

महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर जारी गतिरोध के बीच प्रदेश के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने विधानसभा चुनाव में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी शिवसेना को सरकार बनाने का रविवार रात को न्योता दिया है। सरकार बनाने से भाजपा के इनकार करने के कुछ घंटे बाद राज्यपाल ने यह कदम उठाया। महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी शिवसेना के पास 56 विधायक हैं जबकि सबसे बड़ी पार्टी भाजपा के पास 105 विधायक हैं। शिवसेना के पास अब सरकार बनाने के लिए दावा पेश करने के लिए सोमवार, 11 नवंबर शाम साढ़े सात बजे तक का वक्त है।

गौरतलब है कि कांग्रेस और राकांपा ने अभी तक किसी भी पार्टी को समर्थन देने पर कुछ नहीं कहा है। शिवसेना महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए राकांपा और कांग्रेस से संपर्क साध रही है। लेकिन शरद पवार नीत राकांपा ने शर्त रखी है कि महाराष्ट्र में यदि पार्टी का समर्थन चाहिए तो शिवसेना को राजग का साथ छोड़ना होगा।

राज भवन द्वारा जारी बयान के अनुसार कोश्यारी ने शिवसेना के विधायक दल के नेता एकनाथ शिंदे से कहा है कि वह महाराष्ट्र में सरकार बनाने की अपनी पार्टी की ‘‘इच्छा और क्षमता का संकेत दें।’’

राज्यपाल की ओर से न्योता मिलने के बाद मुंबई के एक होटल में रुके शिवसेना के विधायकों में हलचल का माहौल है। बाद में उन सभी को एक और बैठक के लिए मातोश्री, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के आवास पर ले जाया गया। राज्य में तेजी से हो रहे राजनीतिक बदलावों के बीच कांग्रेस और राकांपा की भूमिका महत्वपूर्ण हो गयी है और अब दोनों अपनी शर्तों पर सरकार बनाने के लिए समर्थन की बात कर सकते हैं।

फिलहाल शिवसेना के पास 56 विधायक हैं, जबकि सरकार बनाने के लिए उसे कम से कम 145 विधायकों की जरूरत है।

राज्यपाल ने एक दिन पहले ही चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आयी भाजपा को सरकार बनाने का न्योता दिया था। लेकिन कार्यकारी सरकार के प्रमुख मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने बहुमत की कमी का हवाला देते हुए सरकार बनाने में असमर्थता जतायी।

अब राज्य में सरकार बनाने में कांग्रेस (44 विधायक) और राकांपा (54 विधायक) के 98 विधायकों की भूमिका महत्वपूर्ण हो गयी है। अगर शिवसेना महाराष्ट्र में विपक्षी दलों के साथ मिलकर सरकार बनाती है, तब भी उसके पास कुल 154 विधायक होंगे जो सामान्य बहुमत से कुछ ही ज्यादा है।

इस संबंध में कांग्रेस ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन शरद पवार नीत राकांपा ने शर्त रखी है कि महाराष्ट्र में शिवसेना को यदि पार्टी का समर्थन चाहिए तो उसे राजग का साथ छोड़ना होगा। लेकिन तेजी से बदलते घटनाक्रम के बीच पूरे विश्वास के साथ शिवसेना के नेता संजय राउत का कहना है कि महाराष्ट्र में किसी भी कीमत पर उनकी पार्टी का ही मुख्यमंत्री बनेगा।

गौरतलब है कि सत्ता का बंटरवारा और खास तौर पर मुख्यमंत्री का पद ही गठबंधन सहयोगियों भाजपा-शिवसेना के गले की हड्डी बन गया। फडणवीस ने ठाकरे के इस दावे को सिरे से झुठला दिया है कि पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने लोकसभा चुनाव से पहले राज्य में बारी - बारी से भाजपा और शिवसेना का मुख्यमंत्री बनने की शर्त पर हामी भरी थी।

भाजपा के फैसले की रविवार को घोषणा करते हुए राज्य इकाई के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना पर विधानसभा में दोनों दलों के गठबंधन को मिले जनादेश का अपमान करने का आरोप लगाया। पाटिल ने राजभवन के बाहर पत्रकारों से कहा, ‘‘महाराष्ट्र की जनता ने भाजपा और शिवसेना गठबंधन को सरकार बनाने का जनादेश दिया है, लेकिन शिवसेना जनमत का अनादर कर रही है। इसलिए हमने राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश नहीं करने का फैसला किया है। हमने अपने फैसले की जानकारी राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को दे दी है।’’

उन्होंने कहा कि अगर शिवसेना कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के समर्थन से सरकार बनाना चाहती है तो उसे शुभकामनाएं। इससे पहले दिन में शिवसेना नेता राउत कांग्रेस और राकांपा को संकेत देते नजर आए। यहां तक कि जब एक पत्रकार ने यह पूछा कि आप विपक्ष की आलोचना नहीं कर रहे हैं, ऐसे में क्या राकांपा के साथ गठबंधन की संभावना है, इस पर राउत ने कहा, ‘‘हमने भाजपा की भी आलोचना नहीं की है। चुनाव प्रचार समाप्त हो चुका है और उस दौरान कही गई बातों का अब कोई संदर्भ नहीं है।’’

यह पूछने पर कि क्या कांग्रेस सरकार बनाने के लिए शिवसेना का साथ देगी, राउत ने कहा कि सोनिया गांधी-नीत पार्टी महाराष्ट्र की दुश्मन नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘यदि कांग्रेस के नेता महाराष्ट्र में स्थिर सरकार बनाने के पक्ष में कोई फैसला लेते हैं तो हम उसका स्वागत करेंगे।’’ राउत ने कहा कि प्रत्येक राजनीतिक दल का दूसरे दलों के साथ मतभेद है। जैसे कि शिवसेना और भाजपा महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद और बेलगावी जिले को लेकर अलग-अलग मत रखते हैं। भाजपा की घोषणा के बाद राउत ने कहा कि शिवसेना किसी भी कीमत पर राज्य में अपना मुख्यमंत्री बनाएगी।

उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा का मुख्यमंत्री कैसे बनेगा, जबकि वह सरकार बनाने का दावा भी पेश नहीं कर रही है।’’ सरकार बनाने को लेकर शिवसेना की सक्रियता के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक चव्हाण ने कहा कि उनकी पार्टी राज्य में राष्ट्रपति शासन नहीं चाहती है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम जयपुर में हैं। हम मुद्दे पर यहां चर्चा करेंगे और भविष्य के राजनीतिक रूख पर सलाह लेंगे। पार्टी राज्य में राष्ट्रपति शासन नहीं चाहती है।’’

चव्हाण ने कहा कि वह महाराष्ट्र में स्थिर सरकार बनाने के पक्ष में हैं। कांग्रेस के एक अन्य नेता मिलिंद देवड़ा का कहना है कि राज्यपाल को प्रदेश में सरकार बनाने के लिए कांग्रेस-राकांपा गठबंधन को न्योता देना चाहिए। हालांकि संजय निरुपम ने इस प्रस्ताव का विरोध किया है। वहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के मुख्य प्रवक्ता नवाब मलिक का कहना है कि राज्य में सरकार बनाने के लिए उनकी पार्टी के समर्थन देने के बारे में सोचने से पहले उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना को भाजपा से नाता तोड़कर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से अलग होना होगा।

मलिक ने रविवार की शाम संवाददाताओं से कहा, ‘‘शिवसेना को पहले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से निकलना होगा क्योंकि (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में) इसका एक कैबिनेट मंत्री है । जब तक शिवसेना राजग नहीं छोड़ेगी तब तक हम घटनाक्रम पर नजर रखेंगे और इंतजार करेंगे।’’ उल्लेखनीय है कि दक्षिण मुंबई से शिवसेना सांसद अरविंद सावंत केंद्रीय मंत्री हैं।

सरकार के गठन पर जारी गतिरोध पर मलिक ने कहा, ‘‘हमारे पास पर्याप्त संख्या नहीं है लेकिन हम भी महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन नहीं चाहते हैं।’’ उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी को शिवसेना की तरफ से कोई प्रस्ताव नहीं मिला है। मलिक ने कहा, ‘‘शिवसेना अगर प्रस्ताव लेकर आती है, तो हमारी ओर से कुछ शर्तें होंगी जिन पर पार्टी को सहमत होना होगा।

शिवसेना नेता संजय राउत इस बात पर जोर देते आ रहे हैं कि उनकी पार्टी का मुख्यमंत्री होगा। अगर उन्हें कांग्रेस और राकांपा का समर्थन चाहिए तो उन्हें भाजपा के साथ (दिल्ली) में सत्ता साझा करने पर अपना रुख स्पष्ट करना होगा।’’ मलिक ने कहा कि राकांपा के विधायकों की बैठक 12 नवंबर को होनी है। इसके बाद मौजूदा घटनाक्रम में पार्टी की भूमिका पर निर्णय लिया जाएगा।

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