महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने “राष्ट्र निर्माण में भारतीय भाषाओं की भूमिका” संगोष्ठी का किया उद्घाटन, बोले- 'देश का विकास भारतीय भाषाओं के विकास से ही संभव है'

By अनुभा जैन | Published: April 3, 2022 06:24 PM2022-04-03T18:24:18+5:302022-04-03T18:41:18+5:30

केंद्रीय हिन्दी निदेशालय, संस्कृत विभाग और श्रीमती नाथीबाई दामोदर ठाकरसी महिला विश्वविद्यालय मुंबई द्वारा “राष्ट्र निर्माण में भारतीय भाषाओं की भूमिका” विषय पर त्रि-दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस मौके पर बोलते हुए राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि भाषा, माता और छात्रा इन तीनों शब्दों का उच्चारण एक ही भाव से होता है।

Maharashtra Governor Bhagat Singh Koshyari said, 'The development of the country is possible only through the development of Indian languages' | महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने “राष्ट्र निर्माण में भारतीय भाषाओं की भूमिका” संगोष्ठी का किया उद्घाटन, बोले- 'देश का विकास भारतीय भाषाओं के विकास से ही संभव है'

महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने “राष्ट्र निर्माण में भारतीय भाषाओं की भूमिका” संगोष्ठी का किया उद्घाटन, बोले- 'देश का विकास भारतीय भाषाओं के विकास से ही संभव है'

Highlights“राष्ट्र निर्माण में भारतीय भाषाओं की भूमिका” पर मुंबई में आयोजित हुई त्रि-दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि देश का विकास करना है तो भारतीय भाषाओं का विकास जरूरी हैराज्यपाल कोश्यारी ने कहा कि भाषा, माता और छात्रा इन तीनों शब्दों के उच्चारण से एक ही भाव होता है

मुंबई: केंद्रीय हिन्दी निदेशालय और संस्कृत विभाग के श्रीमती नाथीबाई दामोदर ठाकरसी महिला विश्वविद्यालय के द्वारा “राष्ट्र निर्माण में भारतीय भाषाओं की भूमिका” विषय पर त्रि-दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन मुंबई में किया गया।

इस संगोष्ठी का उद्घाटन महाराष्ट्र के राज्यपाल और एसएनडीटी महिला विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री भगत सिंह कोश्यारी ने किया। संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद के अध्यक्ष प्रोफेसर भूषण पटवर्धन, सम्मानित अतिथि के रूप में लाल बहादुर शास्त्री केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर मुरली मनोहर पाठक और विशिष्ट वक्ता के रूप में राष्ट्रधर्म पत्रिका के प्रधान संपादक एवं लखनऊ विश्वविद्यालय के कला संकाय के पूर्व डीन प्रोफेसर ओमप्रकाश पांडेय और केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय के सहायक निदेशक शैलेश बिडालिया उपस्थित हुए।

इस अवसर पर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि भाषा, माता और छात्रा इन तीनों शब्दों का उच्चारण एक ही भाव से होता है। इनमें एक साधर्म्य लगता है। भारतीय एकता का दर्शन भाषाओं के द्वारा ही प्रकट होता है और भारत की सभी भाषाओं का संवर्धन अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य है। हमें यदि देश का विकास करना है तो भारतीय भाषाओं का विकास करना परम आवश्यक है।

वहीं संगोष्ठी में लाल बहादुर शास्त्री केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर मुरली मनोहर पाठक ने कहा कि भारतीय संस्कृति एवं भाषाएं विश्व में अत्यंत प्राचीन हैं। इसके लिए कहा गया है, “सा प्रथमा संस्कृति विश्ववारा”। विश्व में प्रथम संस्कृति भारतीय संस्कृति ही है और भारत को विश्व गुरु बनाने में भारतीय भाषाओं का अप्रतिम योगदान है।

नैक के अध्यक्ष प्रोफेसर भूषण पटवर्धन ने कहा कि मातृभाषा में शिक्षण का महत्व अभूतपूर्व है। मातृभाषा में विचार करने से ही नवीन संकल्पनाएं, नवीन विचार पल्लवित होते हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भी भारतीय भाषाओं पर अपार बल दिया गया है। अब समय आ गया है कि भारतीय भाषाओं में शिक्षा को प्रोत्साहन दिया जाए और उसके लिए यथासंभव प्रयास किए जाएं। यह संगोष्ठी इस दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।

अतिथियों का स्वागत करते हुए विश्वविद्यालय की कुलपति डॉक्टर चक्रदेव ने कहा कि भाषा ही संसार की प्रत्येक गोष्ठी, क्रियाकलाप तथा गतिविधि का अंतिम सत्य है, इसलिए भाषा की महिमा अपरंपार है।

इसके बाद में प्रोफ़ेसर ओमप्रकाश पांडेय ने कहा कि मनुष्य के जीवन में भाषा और साहित्य का स्थान अप्रतिम है। विविध भारतीय भाषाओं की भूमिका आज से कई हजार वर्ष पहले ही शुरू हुई थी और सभी भारतीय भाषाओं का मूल आधार संस्कृत है, जिसे देववाणी भी कहा जाता है। संस्कृत भाषा विविध भारतीय भाषाओं की जननी भी है और उनके विस्तार का आधार भी।

इस सत्र की मुख्य अतिथि श्री एमडी शाह महिला महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. दीपा शर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा कि भारतीय भाषाओं के संवर्धन के लिए इस तरह की संगोष्ठी के आयोजन की महती आवश्यकता है। अंत में केंद्रीय हिंदी निदेशालय के सहायक निदेशक श्री शैलेश विडालिया ने केंद्रीय हिंदी निदेशालय की भाषा संवर्धन संबंधी योजनाओं के विषय में भी सब को अवगत कराया। इस कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर वंदना शर्मा ने किया।

एसएनडीटी महिला विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफ़ेसर उज्ज्वला चक्रदेव ने समस्त अतिथियों का स्वागत किया। उद्घाटन सत्र का प्रारंभ राष्ट्रगीत एवं विद्यापीठ गान तथा वेदमंत्रों से हुआ। उसके बाद सम्मानित अतिथियों ने दीप प्रज्वलन करके कार्यक्रम का विधिवत प्रारंभ किया। एसएनडीटी महिला विश्वविद्यालय की कुलपति तथा उप-कुलपति एवं संस्कृत विभाग के अध्यक्ष डॉ. जितेंद्र कुमार तिवारी ने अतिथियों का सम्मान शाल, श्रीफल व स्मृति चिन्ह देकर किया। इस अवसर पर कुलाधिपति ने एसएनडीटी महिला विश्वविद्यालय की मासिक पत्रिका संस्कृता, आत्मबोध एवं विजन डॉक्यूमेंट का विमोचन भी किया।

यह त्रि-दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी 22 मार्च से 24 मार्च 2022 तक 11 सत्रों में आयोजित हुई, जिसमें 100 से अधिक विद्वानों, शोधार्थियों तथा छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। संगोष्ठी में विभिन्न सत्रों में राष्ट्र निर्माण में भारतीय भाषाओं तथा भारतीय संस्कृति की भूमिका पर गहन विचार विमर्श हुआ। 

इस संगोष्ठी में देश के अनेक विद्वान उपस्थित हुए। जिनमें सुप्रसिद्ध कवि, कथाकार एवं शिक्षाविद डॉक्टर भारतेंदु मिश्र, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जितेंद्र श्रीवास्तव, पश्चिम बंगाल विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अरुण होता, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के भाषा विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर रामबक्ष जाट, भारतीय विद्या भवन मुंबई के निदेशक प्रोफ़ेसर गिरीश जानी, वेदशाला मुंबई के निदेशक डॉ. अर्जुन व्यास, मणिबेन नानावटी महिला महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. राजश्री त्रिवेदी, राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान के प्रो. प्रकाशचंद्र, प्रो. कमल अभ्यंकर, मुंबई विश्वविद्यालय की प्रो. उर्वशी पंड्या, एसएनडीटी महिला महाविद्यालय की हिंदी विभाग की अध्यक्ष डॉ वंदना शर्मा, मणिबेन नानावटी महिला महाविद्यालय के हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ. रवींद्र कात्यायन तथा गुजराती विभाग के अध्यापक एवं रंगकर्मी डॉ. कवित्त पंड्या, श्री एमडी शाह महिला महाविद्यालय की डॉ. मेरुप्रभा तथा डॉ. अमृता सहित मुंबई के अनेक महाविद्यालयों के अध्यापकों, शोधार्थियों तथा विद्यार्थियों ने अपनी सक्रिय भूमिका निभाई।

समापन सत्र एसएनडीटी महिला विश्वविद्यालय की उप-कुलपति प्रोफेसर रूबी ओझा की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। प्रोफेसर रूबी ओझा ने कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 के आलोक में भारतीय भाषाओं के अध्ययन-अध्यापन की दिशा में आज नए तरीके से विचार करने का समय आ गया है। अब भारतीय भाषाओं को रोजगार के साथ जोड़कर देखना आवश्यक हो गया है।

उन्होंने कहा कि देश का विकास एवं पुनर्निर्माण भारतीय भाषाओं के विकास से ही होगा। संगोष्ठी के आयोजक एवं संस्कृत विभाग के अध्यक्ष डॉ. जितेंद्र कुमार तिवारी ने सभी अतिथियों को हृदय से धन्यवाद दिया। केंद्रीय हिंदी निदेशालय के सहायक निदेशक श्री शैलेश बिलालिया ने एक सफल संगोष्ठी के आयोजन हेतु एसएनडीटी विश्वविद्यालय का आभार प्रदर्शित किया।

Web Title: Maharashtra Governor Bhagat Singh Koshyari said, 'The development of the country is possible only through the development of Indian languages'

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