बॉम्बे हाई कोर्ट से महाराष्ट्र सरकार ने कहा, 'आतंकी आरोपों के कारण जेल में बंद गौतम नवलखा को नहीं दे सकते फोन की सुविधा'
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: July 20, 2022 05:00 PM2022-07-20T17:00:31+5:302022-07-20T17:06:25+5:30
महाराष्ट्र सरकार ने बॉम्बे हाई कोर्ट से कहा कि नवी मुंबई के तलोजा जेल में बंद गौतम नवलखा एल्गार परिषद-माओवादी लिंक मामले में आरोपी हैं। इसलिए उन्हें जेल में फोन की सुविधा नहीं दी जा सकती है।
मुंबई:महाराष्ट्र सरकार ने बॉम्बे हाई कोर्ट से कहा कि वह जेल में बंद गौतम नवलखा को इसलिए फोन की सुविधा नहीं दे सकता है क्योंकि वो आतंकवाद जैसे संगीन मामलों में आरोपी हैं। महाराष्ट्र सरकार की ओर से बुधवार को बॉम्बे हाई कोर्ट में दी गई इस जानकारी में कहा गया है कि चूंकि गौतम नवलखा एल्गार परिषद-माओवादी लिंक मामले में आरोपी हैं और इस मामले में राज्य पुलिस के साथ केंद्रीय एजेंसियां भी उनके कथित आतंकी कनेक्शन के बारे में जांच कर रही है। इसलिए उन्हें जेल में फोन की सुविधा नहीं दी जा सकती है।
इस मामले में महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश हुई वकील संगीता शिंदे ने जस्टिस नितिन जामदार की बेंच के सामने कहा कि कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने इस संबंध में बीते 25 मार्च को किसी भी तरह की छूट देने के खिलाफ प्रतिबंध को आरोपित किया है।
संबंधित मामले में महाराष्ट्र पुलिस के आईजी ने जानकारी दी कि गौतम नवलखा जिस नवी मुंबई की तलोजा जेल में बंद हैं। उसे लेकर राज्य के अन्य जेलों में विचाराधीन कैदियों को फोन कॉल करने के लिए सिक्का बॉक्स टेलीफोन बुथ की सुविधा उपलब्ध है।
हालांकि, विचाराधीन कैदियों और दोषी कैदियों को 10 अलग-अलग श्रेणियों को रखा गया है, जिन्हें सिक्का बुथ तक पहुंचने से प्रतिबंधित किया जाता है। इन 10 श्रेणियों में पहली श्रेणी उन विचाराधीन कैदियों की है, जिन पर आतंकवाद या राष्ट्र विरोधी या फिर सरकार के खिलाफ साजिश रचने का आरोप है।
चूंकि एल्गर परिषद मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के द्वारा दायर आरोप पत्र में कहा गया है कि गौतम नवलखा और उसके साथ के सह-आरोपी प्रतिबंधित आतंकी संगठन का हिस्सा थे, जो देश विरोधी काम करता है। इसलिए उन्हें यह सुविधा नहीं दी जा सकती है कि वो जेल में फोन बुथ से बात बाहर बात कर सकें।
एनआईए के आरोप पत्र के मुताबिक एल्गार परिषद मामले में बंद गौतम नवलखा और उनके साथ के सह-आरोपियों ने मौजूदा केंद्र सरकार को गिराने की साजिश रची है।
वकील संगीता शिंदे ने महाराष्ट्र सरकार की ओर से गौतम नवलखा को फोन सुविधा न देने की बात उस मामले में कही है, जिसमें नवलखा ने कोर्ट में अपील दायर करके न्यायपालिका से मांग की थी कि उन्हें भी जेल में अन्य विचाराधीन कैदियों की तरह फोन और वीडियो कॉल करने की अनुमति दी जाए।
नवलखा ने अपनी याचिका में कहा कि कोविड-19 महामारी प्रोटोकॉल के कारण पिछले दो वर्षों के दौरान जेल में बंद सभी कैदियों को वीडियो कॉल की सुविधा प्रदान की गई थी लेकिन अब जबकि कोविड बाद जेलें फिर से भरना शुरू हो गई हैं, जेल प्रशासन द्वारा वीडियो कॉल की सुविधा वापस ले ली गई है।
इसके साथ ही अपनी याचिका में गौतम नवलखा ने यह भी कहा कि उसके एक वरिष्ठ साथी दिल्ली में रहते हैं और चूंकि वो उतनी दूर से बार-बार तलोजा जेल मिलने के लिए नहीं आ सकते हैं। ऐसे में उन्हें भी जेल प्रशासन वीडियो कॉल की सुविधा दे ताकि वो उनके साथ संपर्क में रह सकें और बातचीत कर सकें।
गौतम नवलखा की ओर से पेश हुए वकील ने कोर्ट में कहा कि जेल में बंद नवलखा को जे प्रशासन अगर फोन सुविधा नहीं देता है तो इसे उनके जीवन के मौलिक अधिकार का उल्लंघन समझना चाहिए।
जिसके जवाब में महाराष्ट्र सरकार की वकील संगीता शिंदे ने कहा कि राज्य जेल नियमावली के तहत केवल उन विचाराधीन कैदियों को फोन की सुविधा देता है, जो उनके प्रवधानों के तहत आते हैं। नवलखा पर आतंकवाद संबंधित मामलों का आरोप है, इसलिए उन्हें यह सुविधा नहीं दी जा सकती है।
मालूम हो कि गौतम नवलखा की गिरफ्तारी 31 दिसंबर 2017 को पुणे के शनिवारवाड़ा में आयोजित 'एल्गार परिषद' सम्मेलन में दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों के संबंध में हुई। पुणे पुलिस ने दावा किया था कि शहर के बाहरी इलाके में कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हुई हिंसा को माओवादियों का समर्थन प्राप्त था। (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)