पुलिस महानिदेशक बोले-नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने के लिए ग्राउंड लेवल पर काम, रणनीति पर चर्चा
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: February 26, 2021 16:14 IST2021-02-26T16:12:05+5:302021-02-26T16:14:12+5:30
पुलिस ने नक्सलवाद पर नियंत्रण पाने में सफलता हासिल की है. उन्होंने बताया कि वे 1992 में राजुरा में एएसपी थे. उस समय नक्सलियों के हमले में माणिकगढ़ पहाड़ पर 7 पुलिस कर्मी शहीद हुए थे.

महाराष्ट्र पुलिसकर्मियों को कई बार 20-20 घंटे काम करना पड़ता है. (file photo)
नागपुरः महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) हेमंत नगराले ने कहा कि नक्सलवाद को समूल नष्ट करने के लिए ग्राउंड लेवल पर काम करना पड़ेगा. इसके लिए रणनीति तैयार की जा रही है.
डीजीपी नगराले ने गुरुवार शाम को लोकमत एडिटोरियल बोर्ड के चेयरमैन व पूर्व सांसद विजय दर्डा के निवास यवतमाल हाउस में सदिच्छा भेंट दी. चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि नक्सलवाद को खत्म करना जितना आसान लगता है उतना है नहीं. उनकी एक विशेष प्रणाली है. वे उपद्रव करते समय दो से तीन राज्यों की सीमा के जंगलों का चयन करते हैं.
जंगल इतने घने होते हैं कि 10 फुट से व्यक्ति नजर नहीं आता. संचार एक बड़ी बाधा है. ड्रोन की मदद से उनकी गतिविधियों पर नजर नहीं रखी जा सकती. किसी वारदात को अंजाम देने के बाद उन्हें एक राज्य से दूसरे राज्य में भागना आसान होता है. पुलिस के लिए एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने के लिए कई बंधन हैं. हॉलीवुड की फिल्मों में जैसा दिखाया जाता है वैसा संभव नहीं है.
इसके बावजूद भी सभी बाधाओं पर मात कर पुलिस ने नक्सलवाद पर नियंत्रण पाने में सफलता हासिल की है. उन्होंने बताया कि वे 1992 में राजुरा में एएसपी थे. उस समय नक्सलियों के हमले में माणिकगढ़ पहाड़ पर 7 पुलिस कर्मी शहीद हुए थे. उस समय चंद्रपुर, गढ़चिरोली, गोंदिया व भंडारा तथा नांदेड़ में नक्सलवादियों का काफी खौफ था.
बाद के समय में पुलिस ने आक्रामक भूमिका अपनाते हुए कड़े कदम उठाए. हालांकि वे बीच-बीच में अपना अस्तित्व दिखाते रहते हैं. नक्सलवादियों का खात्मा बंगाल पैटर्न के मुताबिक नहीं किया जा सकता क्या, इस पर उन्होंने कहा कि इस बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए ग्राउंड लेवल पर काम करना है. इस दृष्टि से उपाय योजना तैयार की जा रही है.
आतंकवादी व नक्सलवादी अत्याधुनिक तकनीक व उपकरण का उपयोग करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि पुलिस भी उससे निपटने के लिए अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल व साइबर एक्सपर्ट का उपयोग कर रही है. उच्च शिक्षित युवा भी पुलिस में नौकरी कर रहे हैं. दूसरी ओर कक्षा 12वीं तक शिक्षित भी उनके साथ कांस्टेबल के तौर पर सेवा दे रहे हैं.
एक ही वेतन, एक ही काम करते समय क्या उच्च शिक्षित युवाओं की मानसिकता पर असर नहीं होता है, इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षित युवाओं को उनके स्पेशलाइजेशन के हिसाब से अलग सेल की जिम्मेदारी सौंपने पर विचार किया जा रहा है. इसके लिए अलग से प्रोत्साहन भत्ता देने की भी मंशा स्पष्ट की.
पुलिसकर्मियों को फिट बनाने के लिए उपाय योजनाः जूडो चैम्पियन नगराले पुलिस दल को फिट बनाने के लिए क्या उपाय योजना करने वाले हैं, इस सवाल पर उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र पुलिसकर्मियों को कई बार 20-20 घंटे काम करना पड़ता है.
समय पर भोजन नहीं, नींद नहीं होती जिससे कई पुलिसकर्मियों को उच्च रक्तदाब, मधुमेह जैसी गंभीर बीमारियों ने जकड़ा हुआ है. पहले के वरिष्ठों ने योग व मेडिटेशन जैसे उपक्रमों को लागू किया है. पुलिस को खुश, उत्साही व फिट रखने के लिए ड्यूटी के कुछ घंटे कम करने के साथ ही कुछ और योजना है. इस पर चर्चा जारी है.
नगराले का किया सत्कारः यवतमाल हाउस पहुंचने के बाद लोकमत एडिटोरियल बोर्ड के चेयरमैन व पूर्व सांसद विजय दर्डा ने डीजीपी हेमंत नगराले का शाल, श्रीफल व स्वयं लिखित पुस्तक 'पब्लिक इसुज बीफोर पार्लियामेंट' व लोकमत के एडिटर इन चीफ राजेंद्र दर्डा द्वारा लिखित पुस्तक 'माझी भिंत' भेंट स्वरूप प्रदान की.