ए. के. एंटनी के विचार से सहमत नहीं है महाराष्ट्र के कांग्रेसी विधायक
By शीलेष शर्मा | Published: November 7, 2019 05:56 AM2019-11-07T05:56:44+5:302019-11-07T05:56:58+5:30
महाराष्ट्र में सरकार के गठन को लेकर कांग्रेस में गहरे मतभेद बने हुए है, उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार पार्टी के वरिष्ठ नेता ए.के. एंटनी इस बात के लिए दबाव बना रहे है कि किसी भी स्थिति में कांग्रेस को शिव सेना का समर्थन नहीं करना चाहिए.
सोनिया गांधी और पवार की दो दिन पूर्व हुई बैठक में भी एंटनी ने अपने इसी सुर को दोहराया तथा नेतृत्व पर दबाव डाला कि वे इससे इतर कोई फैसला ना ले. एंटनी की दलील थी कि कांग्रेस एक राष्ट्रीय पार्टी है इस कारण उसे क्षेत्रीय दलों के दबाव में आकर ऐसा कोई फैसला नहीं करना चाहिए जिससे राष्ट्रीय दल होने की पार्टी की छवि पर असर पड़ता हो.
यह बात उस समय ओर खुलकर सामने आई जब मुंबई में महाराष्ट्र के कांग्रेस विधायकों की बैठक में पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने विधायकों को एंटनी के विचारों से अवगत कराया.
पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्र बताते है कि एंटनी के विरोध के बावजूद कांग्रेस के विधायक इस पक्ष में है कि भाजपा को सत्ता से बाहर रखने के लिए अगर भाजपा और शिव सेना का गठबंधन टूटता है तो कांग्रेस को शिव सेना को समर्थन दे देना चाहिए. एंटनी के विरोध के कारण कांग्रेस खुलकर अब तक समर्थन देने की बात नहीं कह पा रही है और बार-बार दोहरा रही है कि कांग्रेस ‘इंतजार करो, और देखो’ की नीति पर चल रही है तथा उचित समय आने पर फैसला लेगी.
एंटनी के विरोध के कारण महाराष्ट्र के कांग्रेसी विधायक एंटनी से इतना नाराज है कि वे सामूहिक रुप से नेतृत्व पर दबाव बनाने की तैयारी कर रहे है.
इधर पार्टी के पूर्व सांसद राजीव सातव ने साफ किया कि महाराष्ट्र में भाजपा शिव सेना की सरकार बनने जा रही है इसलिए किसी अन्य विकल्प अथवा रणनीति पर विचार किए जाने का प्रश्न ही कहां पैदा होता है. उनका साफ मानना था कि भाजपा और शिव सेना हां और ना की राजनीति कर अंत में मिल जाएगें और सरकार का गठन करेंगे.
कांग्रेस पार्टी के नेता यह भी मान रहे है कि एंटनी के विरोध का मतलब है कि सोनिया गांधी का विरोध क्योंकि एंटनी वहीं भाषा बोलते है जो सोनिया गांधी की भाषा होती है.