मुंबई: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के यूथ विंग के महाराष्ट्र प्रमुख सूरज चव्हाण ने शुक्रवार को मुंबई पुलिस के साइबर सेल में इस बात की शिकायत दर्ज कराई है कि महाराष्ट्र भाजपा उनके पार्टी प्रमुख शरद पवार के द्वारा सतारा में दिये भाषण के साथ कथित छेड़छाड़ करके अपने ट्विटर हैंडल @BJP4Maharashtra पर अपलोड किया। जिसमें महाराष्ट्र भाजपा ने शरद पवार की छवि को बदनाम करने की कोशिश की है और उन्हें "हिंदू नफरत" को फैलाने वाला बताया है।
जानकारी के मुताबिक @BJP4Maharashtra की ओर से बुधवार को महाराष्ट्र के वयोवृद्ध राजनेता शरद पवार को भाषण का एक वीडियो ट्वीट किया था। जिसमें भाजपा की ओर से दावा किया गया है कि "नास्तिक शरद पवार हमेशा हिंदू धर्म से नफरत करते हैं" और बिना ऐसे रुख के उनकी राजनीति सफल होने वाली नहीं है।
हालांकि महाराष्ट्र भाजपा के द्वारा साझा किये गये वीडियो को कई अन्य सोशल मीडिया एक्पपर्ट एडिटेड वीडियो बता रहे हैं। बताया जा रहा है कि बीते 9 मई को शरद पवार ने सतारा में आयोजिक एक कार्यक्रम में भाषण दिया था। जिसमें उन्होंने असल में समाज में फैसे छुआछूत और और जातिवाद के मसले पर जवाहर राठौड़ की एक कविता का उल्लेख किया था।
आरोप है कि महाराष्ट्र भाजपा ने इसी भाषण के छोटे से वीडियो अंश का एडिट भाग अपने ट्विटर हैंडल से जारी करते हुए पवार को कथिततौर पर हिंदुओं से नफरत करने वाला बताया गया है।
इसी वीडियो के संबंध में एनसीपी की युवा शाखा की महाराष्ट्र प्रमुख सूरज चव्हाण ने मुंबई पुलिस के साइबर सेल में शिकायत दर्ज कराई है। सूरज चव्हाण की ओर से मुंबई पुलिस को दी गई शिकायत में कहा गया है कि भाजपा ने ट्विटर पर फेक वीडियो को साझा करते समुदायों के बीच में विभाजन का प्रयास किया है और इसके कारण कानून व्यवस्था की समस्या पैदा होने का अंदेशा है। इसलिए महाराष्ट्र भाजपा के ट्विटर हैंडल के खिलाफ धारा 499, 500, 66ए और 66एफ के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए।"
बताया जा रहा है कि शरद पवार ने इस मामले में उठे विवाद पर सफाई देते हुए गुरुवार को पत्रकारों से कहा था कि उन्होंने सतारा की सभा में एक कविता की चंद पंक्तियों को पढ़ा था, जिसमें मजदूर वर्ग के दर्द और उनकी व्यथा को बड़े ही मार्मिक तरीके से दर्शाया गया था।
इसके साथ ही पवार ने भाजपा पर हमला करते हुए कहा कि लेकिन कुछ लोग तथ्यों से परे जाकर मेरे खिलाफ दुष्प्रचार फैलाना चाहते हैं और ऐसा करने के लिए वे पूरी तरह से स्वतंत्र हैं। (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)