महाराष्ट्र: शिवसेना को मनाने के लिए बीजेपी नए फॉर्मूले पर कर रही विचार, जानिए क्या-क्या कर सकती है ऑफर?
By अभिषेक पाण्डेय | Published: October 30, 2019 08:09 AM2019-10-30T08:09:07+5:302019-10-30T08:12:22+5:30
BJP, Shiv Sena: महाराष्ट्र में शिवसेना को मनाने के लिए बीजेपी एक नए फॉर्मूले पर विचार कर रही है, जानिए उसे उपमुख्यमंत्री पद समेत क्या-क्या कर सकती है ऑफर
महाराष्ट्र में नई सरकार गठन के लिए बीजेपी और शिवसेना के बीच अब तक सहमति नहीं बन पाई है। शिवसेना की ढाई-ढाई साल सीएम पद की मांग पर अड़ने के बाद से ही दोनों पार्टियां सरकार गठन की बातचीत के लिए चुनाव नतीजे आने के पांच दिन बाद अब तक साथ नहीं आ सकी हैं।
मंगलवार को दोनों पार्टियों के बीच जमकर बयानबाजी हुई। देवेंद्र फड़नवीस ने जहां शिवसेना से कभी भी 50: 50 फॉर्मूले का वादा न करने की बात की तो वहीं शिवसेना ने भी बीजेपी पर वादे से पलटने का आरोप लगाते हुए उसके साथ प्रस्तावित बैठक रद्द कर दी।
शिवसेना को मनाने के लिए बीजेपी कर रही नए फॉर्मूले पर विचार
माना जा रहा है कि शिवसेना के साथ जारी तनातनी के बीच बीजेपी महाराष्ट्र में सरकार गठन के लिए एक नए फॉर्मूले पर विचार कर रही है, जिसके तहत केंद्र और राज्य सरकार में शिवसेना की हिस्सेदारी बढ़ाना शामिल हैं।
इस फॉर्मूले के तहत शिवसेना को महाराष्ट्र में उपमुख्यमंत्री पद देने के अलावा सरकार में करीब 40-45 फीसदी मंत्री पद ऑफर कर सकती है। इतना ही नहीं शिवसेना को खुश करने के लिए बीजेपी उसे केंद्र में भी दो मंत्री पद दे सकती है।
दोनों पार्टियों की ओर से जारी है बयानबाजी
शिवसेना नेता संजय राउत ने मंगलवार को कहा कि बीजेपी अपना वादा निभाए और हमें विकल्प तलाशने पर मजबूर न करे।
तो वहीं फड़नवीस ने कहा, 'लोकसभा चुनावों के समय, शिवसेना ने 2.5 साल के रोटेशनल मुख्यमंत्री का प्रस्ताव रखा था, लेकिन इस पर मेरे सामने कोई फैसला नहीं लिया गया। इस बारे में अगर अमित शाह और उद्धव ठाकरे के बीच कोई चर्चा हुई थी, तो इस बारे में केवल उन्हें ही पता है और केवल वही इस बारे में फैसला ले सकते हैं।'
बीजेपी ने 105, शिवसेना ने जीती हैं 56 सीटें, अकेले सरकार बनाना मुश्किल
288 सीटों वाली महाराष्ट्र विधानसभा के 24 अक्टूबर को आए नतीजों में बीजेपी को 105, शिवसेना को 56, जबकि एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली थीं।
बीजेपी के पास सरकार बनाने के लिए शिवसेना से गठबंधन के अलावा एनीसीपी के साथ जाने का ही विकल्प है, जो आसान कतई नहीं है। ऐसे में बीजेपी इस नए ऑफर से अपने इस सहयोगी को साधने की कोशिशों में जुट गई है।