Maharashtra assembly election results 2019: महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के लिए 288 सीटों की गिनती जारी है। राज्य में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन और कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के बीच मुकाबला है। वहीं, इस चुनाव में राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) ने 110 उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा था। लेकिन एक समय में महाराष्ट्र की राजनीति में बालासाहब ठाकरे का विकल्प माने जाने वाले राज ठाकरे की पार्टी की हालत बेहद खस्ता नजर आ रही है। बता दें कि 12 बजे तक महाराष्ट्र में सभी 288 विधानसभा सीटों पर आए रुझानों में एमएनएस को सिर्फ एक ही सीट पर बढ़ मिलती दिख रही थी।
बता दें कि राज ठाकरे ने 2006 में शिवसेना छोड़कर एमएनएस का गठन किया था। राज ठाकरे की पार्टी ने 2009 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों में अपनी ताकत का प्रदर्शन किया। 2009 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में एमएनएस के 13 विधायक जीतकर आए थे। जबकि 2014 के चुनावों में एमएनएस के हिस्से में सिर्फ एक सीट आई थी। वहीं, नगर निगम चुनावों में एमएनएस ने बेहद शानदार प्रदर्शन किया था। जिसके बाद नाशिक नगर निगम पर एमएनएस का कब्जा हुआ और बीएमसी में एमएनएस के कुल 27 कॉरपोरेटर्स चुनकर आए।
हालांकि एमएनएस ने 2019 के लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन राज ठाकरे ने राज्य में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान चलाया था। लेकिन उनके इस कदम से मतदाताओं पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ा। बीजेपी-शिव सेना ने राज्य में गठबंधन किया। कुल 48 लोकसभा सीटों में से 42 सीटें जीतीं। जबकि, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने चार सीटों पर कब्ज़ा जमाया। वहीं, कांग्रेस ने एक सीट पर जीत दर्ज कराई और बची एक ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन के खाते में चली गई।
2019 लोकसभा चुनावी नतीजों के बाद अन्य विपक्षी दलों की तरह राज ठाकरे ने भी बीजेपी की जीत पर ईवीएम को दोषी ठहराया। इसके बाद महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले राज ठाकरे मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा से मिले और इस साल के अंत में राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव ईवीएम की जगह मतपत्रों से कराने की मांग की। यहां तक कि ठाकरे ने कांग्रेस और एनसीपी को चुनावों के बहिष्कार करने का सुझाव दिया। हालांकि दोनों ही पार्टियों ने इसे नकार दिया।
इसके बाद अनिच्छुक राज ठाकरे अंत में राज्य चुनाव लड़ने के लिए सहमत हो गए।लेकिन इस चुनाव चुनाव के लिए प्रचार के दौरान उनकी आक्रामकता और अनूठी शैली गायब थी।