यूएपीए के मामलों में जांच पूरी करने का समय बढ़ाने के लिए मजिस्ट्रेट सक्षम प्राधिकार नहीं: न्यायालय
By भाषा | Updated: September 10, 2021 16:13 IST2021-09-10T16:13:26+5:302021-09-10T16:13:26+5:30

यूएपीए के मामलों में जांच पूरी करने का समय बढ़ाने के लिए मजिस्ट्रेट सक्षम प्राधिकार नहीं: न्यायालय
नयी दिल्ली, 10 सितंबर उच्चतम न्यायालय ने कहा कि विधिविरुद्ध क्रियाकलाप निवारण अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामलों में जांच पूरी करने का समय बढ़ाने के लिए मजिस्ट्रेट सक्षम अधिकारी नहीं होंगे।
न्यायमूर्ति यू यू ललित, न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट्ट और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि इस तरह के अनुरोधों पर विचार करने के लिए एकमात्र सक्षम प्राधिकार राष्ट्रीय अन्वेषण एजेंसी अधिनियम के तहत स्थापित विशेष अदालतें होंगी।
पीठ ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के एक फैसले के खिलाफ सादिक तथा अन्य की याचिका पर सात सितंबर को फैसला सुनाया। उन्हें शस्त्र अधिनियम तथा यूएपीए के अन्य प्रावधानों के तहत दंडनीय अपराधों के लिए एसटीएफ/एटीएस थाना, जिला भोपाल में दर्ज मामले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था।
इस मामले में आवेदकों की 90 दिन की वास्तविक हिरासत पूरी होने पर उनकी ओर से दाखिल अर्जियों में इस आधार पर जमानत मांगी गयी थी कि जांच एजेंसी 90 दिन के भीतर आरोपपत्र दाखिल नहीं कर सकी है। इन अर्जियों को सीजेएम, भोपाल की अदालत ने खारिज कर दिया।
जब मामला उच्च न्यायालय पहुंचा तो उसने कहा कि चूंकि सीजेएम, भोपाल ने उचित आदेश सुनाया है और जांच एजेंसी के लिए जांच पूरी करने की अवधि बढ़ाकर 180 दिन की गयी है तो आरोपियों को जमानत का अधिकार नहीं है।
आरोपियों की ओर से वकील ने शीर्ष अदालत के एक पिछले निर्देश का जिक्र किया और कहा कि सीजेएम, भोपाल ने अधिकार क्षेत्र से परे जाकर इस मामले में समयावधि बढ़ाई है।
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