मध्य प्रदेशः शिवराज, राकेश और नरोत्तम को विधायकों को संभालने सौंपी कमान, नेता प्रतिपक्ष गोपाल से नाराज है बीजेपी हाईकमान
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: July 26, 2019 08:45 PM2019-07-26T20:45:25+5:302019-07-26T20:45:25+5:30
मध्य प्रदेशः अमित शाह की नाराजगी के चलते पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राकेश सिंह तो बुधवार को ही दिल्ली पहुंच गए थे, मगर जोड़-तोड़ में माहिर पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा को आज शाह ने दिल्ली तलब किया है.
मध्यप्रदेश में दो भाजपा विधायकों के कांग्रेस के साथ चले जाने के झटके से उबरने के लिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राकेश सिंह के अलावा पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा पर भरोसा जताया है. शाह ने तीनों को विधायकों से बातचीत कर एकजुटता बनाए रखने और कांग्रेस के साथ गए दोनों विधायकों की वापसी के लिए कहा है.
शाह की नाराजगी के चलते पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राकेश सिंह तो बुधवार को ही दिल्ली पहुंच गए थे, मगर जोड़-तोड़ में माहिर पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा को आज शाह ने दिल्ली तलब किया है. तीनों नेताओं से शाह ने कहा कि किसी भी तरह से नारायण त्रिपाठी और शरद कोल से चर्चा कर उनकी वापसी कराएं. साथ ही सारे विधायकों को एकजुट रखने का काम करें.
शाह ने शिवराज और राकेश सिंह को लगातार विधायकों के संपर्क में रहने को कहा है. सूत्रों की माने तो नरोत्तम मिश्रा पर शाह ने भरोसा जताते हुए कांग्रेस से अंसुष्ट चल रहे विधायकों पर नजर रखते हुए उन्हें भाजपा के पक्ष में लाने की कवायद करने को कहा है.
वहीं शाह नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव से नाराज चल रहे हैं. बताया जाता है कि बुधवार की शाम को जरुर गोपाल भार्गव और शाह की बातचीत हुई थी, मगर इसके बाद भार्गव से शाह ने संपर्क नहीं किया है. शाह की भार्गव से नाराजगी को लेकर यह चर्चा भी तेज हो चली है कि भाजपा संगठन के साथ-साथ नेता प्रतिपक्ष पद के लिए भी बदलाव का मन बना चुकी है.
इन पर है कांग्रेस की निगाह
मध्य प्रदेश में कांग्रेस लगातार दावे कर रही है कि उनकी पार्टी के संपर्क में भाजपा के कई विधायक हैं. सबसे ज्यादा निगाहें सिवनी के विधायक दिनेश राय मुनमुन और कटनी विजयराघवगढ़ के विधायक संजय पाठक पर हैं. स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने भी दोनों विधायकों के नाम लेकर दावा किया वह पार्टी संपर्क में हैं. संजय पाठक का नाम आने से विवाद गरमा गया. पाठक को लेकर कहा गया कि वे मंत्रालय पहुंचे और मुख्यमंत्री कमलनाथ से मिले भी. मगर बाद में पाठक ने इस बात को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि क्षेत्र के विकास के कामों के लिए मंत्रालय गए थे, मगर अधिकारियों से मिले, मुख्यमंत्री से नहीं मिले. उन्होंने कहा कि कमलनाथ मेरे पिता समान है, मेरे पिता के अच्छे मित्र भी रहे हैं, लेकिन मेरे पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने की बात अफवाह है.
कमलनाथ के निशाने पर नरोत्तम
राज्य में चल रही राजनीतिक उठापठक के बीच जब नरोत्तम मिश्रा पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने भरोसा जताया तो वे मुख्यमंत्री कमलनाथ के निशाने पर आ गए. ईओडब्ल्यू (राज्य आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो) में चल रहे उनके पूर्व निज सहायकों के मामले में अब ईओडब्ल्यू ने शिकंजा कस दिया है. उनके एक निज सहायक वीरेन्द्र पांडे को तो गिरफ्तार भी कर लिया है. वहीं दूसरे निज सहायक निर्मल अवस्थी की गिरफ्तारी भी जल्द होने की संभावना है.
उल्लेखनीय है कि ईओडब्ल्यू ने हैदराबाद की एक कंपनी मैक्स मेटेंना लिमिटेड से सांठ-गांठ के आरोप में एक माह पहले नरोत्तम मिश्रा के निज सहायक रहे वीरेन्द्र पांडे और निर्मल अवस्थी से पूछताछ की थी. बाद में ईओडब्ल्यू ने रणनीति के तहत इन दोनों को छोड़ दिया था. इसके बाद दोनों की रैकी की गई. यह दोनों अधिकारी मैक्स मेटेंना लिमिटेड के कर्ताधर्ताओं के संपर्क में थे.
विधानसभा में चले घटनाक्रम के दौरान ईओडब्ल्यू अचानक सक्रिय हुआ और नरोत्तम मिश्रा के निज सहायक निर्मल अवस्थी को उनके निवास से गिरफ्तार कर लिया. इसके बाद अब दूसरे निज सहायक वीरेन्द्र पांडे की तलाश की जा रही है. यह भी अटकलें शुरू हो गई हैं कि इन दोनों गिरफ्तारियों के बाद इसकी आंच नरोत्तम मिश्रा तक पहुंच सकती है. दरअसल नरोत्तम मिश्रा के जल संसाधन मंत्री रहते हुए हैदराबाद की इस कंपनी को टेंडर में हेरफेर कर ठेका दिया गया था. इस हेरफेर में नरोत्तम के दोनों निज सचिव की भूमिका संदिग्ध रही है.