अब मध्य प्रदेश में ओबीसी को मिलेगा 27 फीसदी आरक्षण, विधानसभा में पारित हुआ विधेयक
By राजेंद्र पाराशर | Published: July 24, 2019 03:40 AM2019-07-24T03:40:07+5:302019-07-24T03:40:07+5:30
राज्य विधानसभा में 23 जुलाई सरकारी नौकरियों में अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण का प्रावधान 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने संबंधी मध्यप्रदेश लोक सेवा ( अनुसूचित जातियों, जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण) संशोधन विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया.
मध्य प्रदेश विधानसभा ने मंगलवार को सर्वसम्मति से प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 27 फीसदी आरक्षण देने वाले विधेयक पारित कर दिया है. विधेयक के पारित होने के बाद अब से मध्यप्रदेश के ओबीसी वर्ग के लोगों को सरकारी नौकरी और शिक्षा में 27 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा. प्रदेश में अभी तक ओबीसी को 14 फीसदी आरक्षण मिला करता था, किन्तु इस विधेयक के पास होने के बाद अब से 27 फीसदी आरक्षण मिला करेगा.
राज्य विधानसभा में 23 जुलाई सरकारी नौकरियों में अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण का प्रावधान 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने संबंधी मध्यप्रदेश लोक सेवा ( अनुसूचित जातियों, जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण) संशोधन विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया. इससे पहले ओबीसी को 14 फीसदी आरक्षण का प्रावधान था. विधेयक पर हुई चर्चा का उत्तर देते हुए सामान्य प्रशासन मंत्री डा. गोविंद सिंंह ने कहा कि पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिया है. उन्होंने स्वीकार किया कि अब विभिन्न जातियों के लिए आरक्षण का प्रतिशत बढ़कर करीब 70 प्रतिशत हो गया है. उन्होंने कहा कि सरकार ने यह प्रावधान करने के पहले उन राज्यों जैसे तमिलनाडू और कर्नाटक की तरफ भी देखा, जहां आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक है.
इस विधेयक पर चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने भी सुझाव दिया कि 27 फीसदी में से 7 फीसदी आरक्षण अति पिछड़ा वर्ग को दिया जाए, गोपाल भार्गव के इस सुझाव पर सामान्य प्रशासन मंत्री गोविंद सिंह ने कहा कि सरकार इस सुझाव पर विचार करेगी.
उल्लेखनीय है कि सत्ता में आने के बाद राज्य की कमलनाथ सरकार ने 8 मार्च को ओबीसी आरक्षण 14 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने का निर्णय लिया था. इसका अध्यादेश भी जारी कर दिया गया था, किन्तु दस दिन बाद ही इस फैसले को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई और अदालत ने इस पर रोक लगा दी. अभी तक राज्य में अनुसूचित जातियों और जनजातियों को 36 प्रतिशत आरक्षण मिल रहा है. ऐसे में अब प्रदेश सरकार को अपने सभी विभागों में भर्ती के नियमों में परिवर्तन करना होगा.