MP चुनावः BJP के लिए खतरे की घंटी? सवर्ण मतदाताओं ने कहा-सामान्य वर्ग से हूं, कृपया वोट मांगकर शर्मिंदा ना करें
By रामदीप मिश्रा | Published: October 14, 2018 12:48 PM2018-10-14T12:48:25+5:302018-10-14T13:41:13+5:30
मध्य प्रदेश में 28 नवंबर को मतदान कराया जाएगा। यहां एक ही चरण में चुनाव होंगे और पर्चा दाखिल करने की अंतिम तारीख 9 नवंबर है।
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार-प्रसार जोरों पर हैं और पार्टियां मतदाताओं को रिझाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाए हुए हैं। वहीं, मतदाताओं का रंग अलग ही देखने को मिल रहा है। वे केंद्र व राज्य सरकार के काम काज से खासे नजर आ रहे हैं। खासकर यह नाराजगी सामान्य वर्ग के लोगों में एससी/एसटी आरक्षण को लेकर देखी जा रही है।
सूबे की राजधानी भोपाल में घरों के बाहर दरवाजे पर स्थानीय लोगों ने पोस्टर चस्पा कर रखे हैं। ये पोस्टर भरत नगर सवर्ण समिति की ओर से लगाए गए हैं जिनपर उन्होंने लिखा है, 'मैं सामान्य वर्ग से हूं कृपया कोई भी राजनैतिक दल वोट मांगकर शर्मिंदा ना करें। वोट फॉर नोटा।'
Madhya Pradesh: Locals in Bhopal say " SC/ST reservation should be abolished. It is affecting the general category in a huge way. We will certainly vote for NOTA in the upcoming elections if this continues." pic.twitter.com/W5GoAYZi3T
— ANI (@ANI) October 14, 2018
सवर्ण समाज से आने वाले लोगों का कहना है, 'एससी/एसटी आरक्षण समाप्त कर देना चाहिए। यह सामान्य श्रेणी को एक बड़े पैमाने पर प्रभावित कर रहा है। अगर यह समाप्त नहीं होता है तो हम आगामी चुनावों में निश्चित रूप से नोटा के लिए वोट देंगे।'
Madhya Pradesh: Posters reading "I belong to general category. Political parties be kind enough to not embarrass me by asking me to vote for you. Vote for NOTA" seen outside houses in Bhopal as assembly elections in the state are scheduled to be held on 28th November. pic.twitter.com/DNzBuacrs3
— ANI (@ANI) October 14, 2018
केंद्र की मोदी सरकार ने दलित समुदाय की नाराजगी को देखते हुए एससी/एसटी एक्ट को पुराने और मूल स्वरूप में लाने का फैसला किया था, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट का फैसला निष्प्रभावी करने वाले एससी एसटी संशोधन कानून 2018 को मंजूरी दी गई। इस मंजूरी के बाद से सवर्ण समाज मोदी सरकार से नाराज चल रहा है, जिसका असर मध्य प्रदेश के चुनावों पर भी देखा जा रहा है।
सवर्ण मोदी सरकार के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट के लागू होने के बाद से लगातार सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करते आए हैं और सरकार को सबक सिखाने की नसीहत देते रहे हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि आगामी दिनों में होने वाले पांच राज्यों के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।
आपको बता दें, मध्य प्रदेश में 28 नवंबर को मतदान कराया जाएगा। यहां एक ही चरण में चुनाव होंगे और पर्चा दाखिल करने की अंतिम तारीख 9 नवंबर है। इधर, साल 2013 में हुए मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने बाजी मारी थी। तब मध्य प्रदेश की कुल 230 विधानसभा सीटों में बीजेपी के पास 165 सीटें, कांग्रेस के पास 58, बहुजन समाज पार्टी के पास 5 और अन्य के पास 2 सीटें मिली थीं।
शिवराज सिंह चौहान ने भी दिसंबर 2013 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर तीसरी बार शपथ ली थी। उनका कार्यकाल भी जनवरी 2019 में पूरा हो रहा है।