मध्य प्रदेश चुनाव: जब राज्य के तीन मंत्री NOTA की वजह से हार गये थे चुनाव

By लोकमत न्यूज़ ब्यूरो | Published: October 23, 2018 08:15 AM2018-10-23T08:15:29+5:302018-10-23T08:32:00+5:30

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में 2013 में नोटा बटन (इनमें से कोई नहीं) की शुरुआत की गई थी। राज्य में पहली बार शुरु हुए नोटा का 6,51,510 मतदाताओं ने इस बटन का उपयोग कर 1.40 प्रतिशत मत दिए थे। 

Madhya Pradesh Election 2018: when ministers lost due to nota | मध्य प्रदेश चुनाव: जब राज्य के तीन मंत्री NOTA की वजह से हार गये थे चुनाव

मध्य प्रदेश में 28 नवंबर को मतदान होना है और चुनाव नतीजे 11 दिसंबर को आएंगे।

मध्यप्रदेश में बीते विधानसभा चुनाव में नोटा का उपयोग कर मतदाता ने कई स्थानों पर उम्मीदवारों की जीत को हार में बदला था। नोटा का पहली बार उपयोग पिछले चुनाव में हुआ था और मतदाता ने जमकर इस बटन को दबाया। राज्य के सभी जिलों में 6, 51,510 मतदाताओं ने इस बटन का उपयोग कर 1.40 प्रतिशत मत दिए थे।

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में 2013 में नोटा बटन (इनमें से कोई नहीं) की शुरुआत की गई थी। राज्य में पहली बार शुरु हुए नोटा का 6,51,510 मतदाताओं ने इस बटन का उपयोग कर 1।40 प्रतिशत मत दिए थे। 

सबसे ज्यादा नोटा का उपयोग छिंदवाड़ा जिले में हुआ था। राज्य के जिन दस विधानसभा सीटों में सबसे ज्यादा नोटा बटन का उपयोग किया गया था, उन जिले की जुन्नारदेव विधानसभा क्षेत्र में 9412 मतदाताओं ने इसका उपयोग किया।

 इसके बाद बड़वानी जिले की पानसेमल विधानसभा क्षेत्र में 9288, छिंदवाड़ा जिले के अमरवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में 8232,बैतूल जिले के भैंसदेही विधानसभा क्षेत्र में 7929, बड़वानी विधानसभा क्षेत्र में 7430, डिंडौंरी जिले की शहपुरा विधानसभा सीट पर 7214, उमरिया जिले के मानपुर विधानसभा क्षेत्र में 6262, बैतूल जिले के घोड़ाडोंगरी विधानसभा क्षेत्र में 6262, अलीराजपुर जिले के जोबट विधानसभा क्षेत्र में 5689, बैतूल जिले के आमला विधानसभा क्षेत्र में 5465 मतदाताओं ने नोटा बटन का उपयोग किया था।

NOTA ने डाला था चुनाव पर गहरा असर

नोटा का उपयोग सबसे कम जिन दस विधानसभा क्षेत्रों में हुआ था उनमें भिंड जिले के मेहगांव विधानसभा क्षेत्र में 245, सागर जिले के खुरई विधानसभा क्षेत्र में 384, रीवा जिले के त्योंथर विधानसभा क्षेत्र में 435, रीवा जिले के सिरमौर विधानसभा क्षेत्र में 467 भिंड जिले के अटेर विधानसभा क्षेत्र में 499, रीवा जिले के सेमरिया विधानसभा क्षेत्र में 546, सतना जिले के नागौद विधानसभा क्षेत्र में 548, भिंड जिले के लहार विधानसभा क्षेत्र में 578, रीवा जिले के देवतालाब विधानसभा क्षेत्र में 625, सतना जिले के चित्रकूट विधानसभा क्षेत्र में 634 मतदाताओं ने नोटा का उपयोग किया था। 

नोटा ने वर्ष 2013 के चुनाव में एक विधानसभा क्षेत्रों में चुनावी परिणामों को खासा प्रभावित किया था। इसके चलते हार-जीत के अंतर से ज्यादा मत नोटा को मतदाता ने दिए थे।

NOTA के कारण हारे थे तीन मंत्री

आंकड़े बताते हैं कि 2013 के विधानसभा चुनाव में नोटा ने 17 सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाई थी। इस चुनाव में नोटा के कारण 3 तत्कालीन मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा था। 

इन मंत्रियों में लक्ष्मीकांत शर्मा, हरीशंकर खटीक, करण सिंह वर्मा के नाम शामिल थे, जबकि रंजना बघेल और माया सिंह बेहद कम अंतर से चुनाव जीत पाई थी। हरीशंकर खटीक की हार मात्र 233 वोट से हुई थे, जबकि यहां पर नोटा को 1764 वोट मिले थे।

 इसी तरह सीहोर जिले के इछावर से करण सिंह वर्मा 744 मतों से हारे थे, यहां पर मतदाताओं ने 1991 नोटा का उपयोग किया था। इसके अलावा विदिशा जिले के सिरोंज विधानसभा क्षेत्र से लक्ष्मीकांत शर्मा मात्र 1584 मतों के अंतर से हारे थे, यहां पर नोटा को 2224 मत मिले थे।

Web Title: Madhya Pradesh Election 2018: when ministers lost due to nota

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