Madhya Pradesh: पानी के लिए हर दिन पूरा गांव जान की बाज़ी लगाता है

By अजीत कुमार सिंह | Published: May 27, 2020 04:52 PM2020-05-27T16:52:42+5:302020-05-27T16:52:42+5:30

"यहां पहाड़ से एक झरना गिरता है.इससे पानी भरने के लिए हमें घाटी में उतरना पड़ता है. घाटी बहुत गहरी है तकरीबन 400-500 फीट गहराई होगी". "जब से जन्म हुआ है हम यही देख रहे हैं". मध्य प्रदेश के छतरपुर में पानी के लिए तरसते गांव की कहानी...

Madhya Pradesh: Deprived of water, villagers in MP’s Chhatarpur walk miles to quench thirst. | Madhya Pradesh: पानी के लिए हर दिन पूरा गांव जान की बाज़ी लगाता है

बुजुर्ग व्यक्ति ने बताया "उनके गांव में पानी समस्या हैं. यहां पहाड़ से एक झरना गिरता है. PHOTO-ANI

Highlightsऔरतें, बच्चे, बुजुर्ग सभी. सामने पहाड़ी सोता दिखने लगता है, जहां से पानी की एक पतली सी धारा निकलती दिखाई दे रही है.पानी की रफ्तार बहुत धीमी है, बर्तन भरने में वक्त लगता तो इस खाली वक्त में लड़कियां आपस में हंसी मजाक कर लेती हैं.

भोपालः कतार में चार लड़कियां अपने अपने खाली बर्तन लेकर निकल पड़ी है. ये सभी लड़कियां दिन के सबसे जरूरी काम, पीने के पानी के इंतज़ाम में निकली हैं.

इन लड़कियों से थोड़ी ही दूर एक हाथ में सहारे की लकड़ी टेकते और दूसरे हाथ में स्टील का घड़ा लिए एक बुजुर्ग चले आते हैं. इनके पीछे भी छड़ी के सहारे पानी की तलाश में निकले बुजुर्गों की कतार है. उसी जगह पर थोड़ी देर और इंतज़ार करने पर कई लड़कियां कतार में गुज़र रही है.

सभी लड़कियों के हाथों में खाली बर्तन हैं और मकसद एक ही है कि बस आज के पानी का इंतजाम हो जाए. कच्ची गलियों में किनारे-किनारे पत्थर और खपरैल से बने बेतरतीब मकानों के बीच से निकलता ये रास्ता पानी के एक सोते की ओर जाता है. ये मध्य प्रदेश के छतरपुर ज़िले का पातापुर गांव हैं, ये इस गांव की रोज़ की दिनचर्या हैं. 

खाली डिब्बे लिए लोगों की जो कतार गांव से निकली थी वो अब गांव के बाहर एक पहाड़ी के बीच से होते हुए काफी गहराई में उतर रही है. रास्ता खतरनाक है, हल्का सा भी पैर फिसले तो जान भी जा सकती है. एक हाथ में छड़ी है दूसरे हाथ में खाली बर्तन और इस पथरीले रास्ते पर संतुलन बनाने के लिए इनकी प्यास काफी है.

गांव से निकली वो कतार इस पहाड़ी रास्ते में रेंगते हुए समा जाती है, औरतें, बच्चे, बुजुर्ग सभी. सामने पहाड़ी सोता दिखने लगता है, जहां से पानी की एक पतली सी धारा निकलती दिखाई दे रही है. जो कतार में जिस नंबर पर था उसी क्रम में इस सोते के बाहर अपने खाली घड़े, डिब्बे रख देता है अपनी बारी के इंतज़ार में. पानी की रफ्तार बहुत धीमी है, बर्तन भरने में वक्त लगता तो इस खाली वक्त में लड़कियां आपस में हंसी मजाक कर लेती हैं.

कतार में सबसे बुजुर्ग व्यक्ति ने बताया "उनके गांव में पानी समस्या हैं. यहां पहाड़ से एक झरना गिरता है. इससे पानी भरने के लिए हमें घाटी में उतरना पड़ता है. घाटी बहुत गहरी है तकरीबन 400-500 फीट गहराई होगी". झोपड़ी में बैठे आदमी की उम्र 45 साल के करीब होगी. लेकिन अपनी उम्र से ज्यादा बूढ़े लग रहे इस गांव वाले ने बताया, " जब से जन्म हुआ है हम यही देख रहे हैं". 

धीरे धीरे ही सही सभी बर्तनों में थोड़ा थोड़ा पानी आ गया है. अब बारी वापस लौटने की है. तकरीबन 70 साल के उम्र के होंगे वो, एक हाथ में लाठी, सिर पर स्टील का घड़ा और सामने वहीं पहाड़ी. इस बार वापस पानी लेकर चढ़ना है. बूढ़ी हड्डियां खुद को कम संभालती है, घड़े में भरे बेशकीमती पानी को ज्यादा संभालते हुए वापस लौट रही हैं. लड़कियों की वही कतार अब पानी भरे घड़े, डिब्बे सिर पर रख कर वापस लौट रही हैं. जंगल, पहाड़ के रास्ते, लेकिन चेहरे पर रोमांच का एक रेशा भी नहीं हैं. हो भी कैसे ये उनके रोज का काम है. 

ऐसा नहीं है कि इसकी खबर सरकार को नहीं है. छतरपुर ज़िला पंचायत के सीईओ को पूरी खबर है. चेहरे पर मास्क लगाए बेहतरीन कुर्सी पर बैठे जिला पंचायत सीईओ हिमांशु चंद्रा बताते हैं " मेरे द्वारा संबंधित अधिकारियों को निर्देशित कर दिया गया है. अगर इस गांव में ऐसी कोई पानी की समस्या है तो तत्काल रिपोर्ट प्रस्तुत करें, जिससे हम कार्रवाई कर सकें. चाहे नल-जल योजना या कोई और प्रोजेक्ट लेकर कर समस्या को दूर कर सकें".

ये तो हो गईं सरकारी बातें. जब तक सरकार जागेगी और उसकी योजनाएं ज़मीन पर उतरेंगी तब तक ये गर्मी का मौसम भी बीत जाएगा. सरकारी योजनाओं के जमीन पर अवतरित होने तक प्यास इंतज़ार नहीं कर सकती. हर दिन की तरह पातापुर गांव के लोग अपने बर्तनों में बची खुची उम्मीद और आज भर का पानी लेकर पहाड़ी पर कतार में 500 फुट उपर चढ़ने लगे हैं. 
 

Web Title: Madhya Pradesh: Deprived of water, villagers in MP’s Chhatarpur walk miles to quench thirst.

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