मध्य प्रदेशः शिवपुरी से लौटे माकपा के जांच दल का आरोप, साजिश के तहत मारे गए दलित बच्चे
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: September 30, 2019 06:02 AM2019-09-30T06:02:34+5:302019-09-30T06:02:34+5:30
कई दिनों से दबंग यह योजना बना रहे थे कि इलाके में धाक कम हो रही है, इसलिए कुछ करना चाहिए, जो होगा उसे मिलकर निबटा लेंगे और 25 सितंबर को सुबह 6:30 बजे इन दलित बच्चो की पीट-पीटकर हत्या कर दी गयी.
मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले में दो बच्चों की लाठियों से पीट-पीट कर की गई हत्या को लेकर माकपा ने आरोप लगाया है कि दोनों बच्चों की साजिश के तहत हत्या की गई है. यह घटना कोई अचानक घटित नहीं हुई है. माकपा ने घटना के विरोध में अक्तूबर माह के पहले सप्ताह में शिवपुरी में धरना-प्रदर्शन करने की चेतावनी भी दी है.
शिवपुरी में घटी इस घटना के बाद माकपा राज्य सचिवमंडल सदस्य अखिलेश यादव तथा दलित शोषण मुक्ति मंच के नेता रामबाबू जाटव की अगुवाई में एक दल शिवपुरी जिले के सिरसौद थाने मे पड़ने वाले भावखेड़ी गांव में पीड़ितों के घर पहुंचा, जहां उन्हें और भी भयावह स्थिति देखने को मिली. दल जब एक टूटी झोपड़ी में रह रहे मृतक अविनाश के पिता मनोज के पास पहुंचा तो उसने बताया कि यह कोई अचानक घटी घटना नहीं है.
कई दिनों से दबंग यह योजना बना रहे थे कि इलाके में धाक कम हो रही है, इसलिए कुछ करना चाहिए, जो होगा उसे मिलकर निबटा लेंगे और 25 सितंबर को सुबह 6:30 बजे इन दलित बच्चो की पीट-पीटकर हत्या कर दी गयी. पीड़ित परिवारों ने बताया कि इस के पहले रौशनी के साथ छेड़खानी की घटना भी घटी थी जिसकी शिकायत संबंधित परिवारों के मुखिया से की गयी थी.
जांच दल का कहना है कि हमने जब वहां पर लोगों से बातचीत की तो हत्या का शिकार बनी कल्ला वाल्मीकि की बेटी रोशनी और मनोज के बेटे अविनाश जब स्कूल में जाते थे तब दोनों को बाकी विद्यार्थियों से दूर अलग ही नहीं बिठाया जाता था बल्कि रौशनी से झाडू लगवाई जाती थी और अविनाश से स्कूल का पाखाना साफ कराया जाता था.
प्रतिनिधि मंडल ने आसपास के गांवों के लोगों से भी चर्चा की तो पता चला कि इन दलित परिवारों को दबंग सार्वजनिक हेण्डपंप से पानी तक नही भरने नही देते, पानी लेने के लिए उन्हें एक किलोमीटर दूर जाना पड़ता था. दोनों ही परिवारों के बीपीएल सूची में नाम होने के बाद भी उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना का घर नहीं मिला था. शौचालय बनाने की दरख्वास्त भी सरपंच ने खारिज कर दी थी.
माकपा के दल की अगुवाई कर रहे सीपीएम राज्य सचिवमंडल सदस्य अखिलेश यादव के मुताबिक इन हत्याओं के पीछे सामंती सोच के साथ शोषितों और मजबूरों की खुल्लमखुल्ला लिंचिंग का उन्माद और ऐसा करने के बाद आराम से छूट जाने का भरोसा भी है. इस लिहाज से यह कोई अलग थलग घटना नहीं है, यदि तत्काल कड़े कदम नहीं उठाये गए तो आने वाले दिनों में इस तरह की वारदातों की पुनरावृत्ति से इंकार नहीं किया जा सकता.
प्रतिनिधि मंडल में माकपा राजय सचिवमण्डल सदस्य अखिलेश यादव, दलित शोषण मुक्ति मंच के रामबाबू जाटव, सोहन लाल चौधरी, आर डी चोपड़ा, अनिल खरे शामिल थे. सीपीएम और डीएसएमएम सहित अन्य संगठनों ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि अक्तूबर के पहले सप्ताह में शिवपुरी में धरना-प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं.