मरने से एक दिन पहले ही व्यक्ति दो बार मृत घोषित, श्मशान से वार्ड में जाने पर बेटे ने पाया पिता को
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: April 19, 2021 08:41 PM2021-04-19T20:41:47+5:302021-04-19T20:42:45+5:30
गोरालाल कोरी के बेटे कैलाश ने बताया कि संक्रमण के लक्षण दिखने के बाद उसके पिताजी को 12 अप्रैल को अटल बिहारी वाजपेयी मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था.
विदिशाः मध्य प्रदेश के विदिशा जिले के एक सरकारी अस्पताल में कोरोना वायरस से संक्रमित 58 वर्षीय एक व्यक्ति को उसके वास्तव में मरने से एक दिन पहले गलती से दो बार मृत घोषित किया गया.
मृतक गोरालाल कोरी के परिजनों ने यह जानकारी दी. अस्पताल प्रबंधन ने इसके लिए एक नर्स को जिम्मेदार ठहराया है, जिसने गलतफहमी में यह जानकारी दी. लेकिन, कहा कि दो बार यह गलती नहीं हुई, बल्कि केवल एक ही बार गलती से उसकी मृत्यु की जानकारी दी गई थी.
गोरालाल कोरी के बेटे कैलाश ने बताया कि संक्रमण के लक्षण दिखने के बाद उसके पिताजी को 12 अप्रैल को अटल बिहारी वाजपेयी मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था. 13 अप्रैल को दोपहर करीब तीन बजे मुझे फोन आया. जब मैं अस्पताल पहुंचा तो एक नर्स ने मुझे बताया कि वे उसे नहीं बचा सके.
कैलाश ने कहा कि अप्रैल 13 को साढ़े आठ बजे शाम को हमें फिर से फोन आया कि वह गले में किए जा रहे एक ऑपरेशन के दौरान मर गए हैं. जब हम अस्पताल पहुंचे तो अस्पताल प्रबंधन ने हमें शव नहीं दिया क्योंकि वह कोरोना वायरस संक्रमित थे.
किसी अन्य शव का अंतिम संस्कार करने श्मशान बुला लिया 14 अप्रैल को मैं और मेरा भाई अस्पताल गए और परिवार के अन्य सदस्यों को कहा कि वे श्मशान घाट में अंतिम संस्कार करने के लिए आएं. कैलाश ने बताया, उन्होंने हमें मृत्यु प्रमाणपत्र दिया लेकिन मेरे भाई ने कहा कि वह अपने पिताजी के शव को देखना चाहते हैं.
जब उन्होंने शव दिखाया तो वह मेरे पिताजी का नहीं था, इसके बाद मेरा भाई एक वार्ड में गया और वहां पिताजी को वेंटिलेकर सपोर्ट पर पाया. इसके बाद 14 अप्रैल को ही करीब पौने आठ बजे हमें फिर से एक फोन आया और कहा कि पिताजी की मृत्यु को गई है. उनका अंतिम संस्कार गुरुवार को कर दिया गया.