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विधान सभा में पारित हुआ ‘मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक-2021’, अधिकतम 10 साल की कैद, जानें सबकुछ

By शिवअनुराग पटैरया | Updated: March 8, 2021 19:15 IST

मध्य प्रदेश विधान सभाः सदन में प्रवेश के लिए मंत्रियों और विधायकों के लिए अलग-अलग द्वार बनाये का विरोध करते हुए मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के सदस्यों ने सोमवार को हंगामा किया।

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ठळक मुद्देमध्य प्रदेश विधानसभा की कार्यवाही कुछ देर के लिए स्थगित कर दी गई।राज्य सरकार के इस कानून का उल्लंघन करने वाली किसी भी शादी को शून्य माना जाएगा।संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि यह व्यवस्था विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने की है।

भोपालः मध्य प्रदेश विधानसभा में ‘मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक-2021’ सोमवार को पारित हो गया।

विधेयक में शादी तथा किसी अन्य कपटपूर्ण तरीके से किए गए धर्मांतरण के मामले में अधिकतम 10 साल की कैद एवं भारी जुर्माने का प्रावधान किया गया है। मध्य प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की स्वीकृति मिलने पर यह कानून नौ जनवरी को अधिसूचित ‘मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश-2020’ की जगह लेगा।

कानून के अनुसार, ‘‘अब जबरन, भयपूर्वक, डरा-धमका कर, प्रलोभन देकर, बहला-फुसलाकर धर्म परिवर्तन कर विवाह करने और करवाने वाले व्यक्ति, संस्था अथवा स्वयंसेवी संस्था के खिलाफ शिकायत प्राप्त होते ही संबंधित प्रावधानों के मुताबिक आरोपियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।’’ 

नरोत्तम मिश्रा ने किया हमला

प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने एक मार्च को इस विधेयक को सदन में पेश किया था और सोमवार को चर्चा के बाद इसे ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। विधेयक पर जवाब देते हुए गृह एवं जेल मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस देश में तुष्टीकरण की राजनीति करने के लिए भ्रम फैलाने का काम कर रही है। कांग्रेस द्वारा विधेयक को लेकर यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि एक धर्म विशेष के खिलाफ यह काूनन है।

नरोत्तम मिश्रा ने धर्म स्वातंत्र्य विधेयक 2021 को सदन में चर्चा के लिए रखा। इस दौरान सभापति झूमा सोलंकी आसंदी पर अध्यक्ष की भूमिका में थीं। सबसे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक एवं पूर्व मंत्री डॉ. गोविंद सिंह ने इस विधयेक पर अपनी बात रखते हुए आरोप लगाया कि यह कानून सिर्फ शिगूफा है, सरकार के पास कोई काम नहीं है, इसलिए ऐसे कानून बना रही है।

कानून व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर हमला

कांग्रेस विधायक डा सिंह  कि यह कानून व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर हमला है। सदन में हुई चर्चा के दौरान  कांग्रेस  ने  विधेयक के प्रावधानों को लेकर कई सवाल खड़े किए। वहीं सत्ता पक्षने इस कानून को आज की आवश्यकता बताते हुए कांग्रेस पर तुष्टीकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया।

इस पर गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का जवाब- हम 'लव' के नहीं, 'जिहाद' के खिलाफ हैं। कांग्रेसी देश में तुष्टीकरण की राजनीति करने के लिए भ्रम फैलाने का काम कर रही है। पहले सीएए और फिर धारा 370 हटाए जाने पर लोगों को गुमराह करने का काम किया गया।

1968 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरेंद्र कुमार सकलेचा विधानसभा में लेकर आए थे

अब मप्र सरकार धर्म स्वातंत्र्य कानून बना रही है तो इसके बारे में  यह कह कर भ्रम फैलाया जा रहा है कि एक धर्म विशेष के खिलाफ यह काूनन है। विधेयक पर उठाये गए सवालों का जवाब देते हुए पूर्व विधानसभा अध्यक्ष  और भाजपा विधायक डॉ. सीतासरन शर्मा ने कहा कि यह कानून भी 1968 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरेंद्र कुमार सकलेचा विधानसभा में लेकर आए थे।

उस समय भी कांग्रेस ने इसका विरोध किया था, जिसे मजबूत करने का काम शिवराज सरकार ने किया है. हालांकि उन्होंने विधेयक में कुछ बदलाव के सुझाव भी दिए. इसके बाद कांग्रेस विधायक हिना कांवरे, विनय सक्सेना और भाजपा के विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया और रामेश्वर शर्मा ने अपनी बात रखी। गौरतलब कि मध्य प्रदेश सरकार इस कानून को 6 माह की अवधि के लिए अध्यादेश के माध्यम से 9 जनवरी 2021 को प्रदेश में लागू कर चुकी है।

टॅग्स :मध्य प्रदेशभोपालभारतीय जनता पार्टीकांग्रेसकमलनाथशिवराज सिंह चौहान
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