लाइव न्यूज़ :

मध्य प्रदेश चुनाव: इन 24 सीटों पर पिछले 25 सालों में नहीं जीत पाई है कांग्रेस, क्या इस बार बदलेगा गणित?

By विनीत कुमार | Updated: October 17, 2018 07:28 IST

Madhya Pradesh Chunav 2018: कांग्रेस 15 साल से इस राज्य में सत्ता से बाहर है। शिवराज सिंह चौहान जाहिर तौर पर अब भी राज्य में सबसे लोकप्रिय चेहरा हैं।

Open in App

मध्य प्रदेश एक बार फिर विधान सभा चुनाव के लिए तैयार है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के शासन वाले इस प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान तीन बार से मुख्यमंत्री हैं और इस बार भी वे अपनी दावेदारी पूरी मजबूती से ठोक रहे हैं।

हालांकि, ऐसा होगा या नहीं, ये 28 नवंबर को एक चरण के चुनाव के बाद 11 दिसंबर को होने वाली मतो की गिनती से साफ हो जाएगा।  हिसाब लगाएं तो कांग्रेस 15 साल से इस राज्य में सत्ता से बाहर है और इस बार अगर उसे जीत की उम्मीद है भी तो इसका सबसे बड़ा कारण उसे 'एंटी-इनकंबेंसी' नजर आता होगा। 

आजाद भारत में 1956 में पहली बार राज्य के तौर पर अस्तित्व में आने के बाद भारत का दिल कहे जाने वाले राज्य मध्य प्रदेश में कांग्रेस के लिए इस बार मौके जरूर हैं लेकिन रास्ता इतना आसान नहीं है। पिछले दो दशक में या फिर उससे कुछ ज्यादा वक्त में लगातार कांग्रेस इस राज्य में कमजोर हुई है। खासकर, 1993 के बाद कांग्रेस की स्थिति और बदतर हुई है। दिग्विजय सिंह 1998 से 2003 के बीच इस राज्य के आखिरी कांग्रेस के मुख्यमंत्री रहे।

1993 से इन 24 सीटों पर कभी नहीं जीत सकी कांग्रेस

ये तस्वीर हैरान करने वाली है और दिलचस्प भी। ऐसा इसलिए कि चुनाव वाले 230 विधानसभा सीटों में से करीब 100 सीटें ऐसी हैं जहां कांग्रेस के लिए चुनौती सबसे बड़ी है। इनमें करीब-करीब 50 सीटें तो ऐसी हैं जहां कांग्रेस पिछले दो या कहें कि उससे कुछ ज्यादा समय से जीत हासिल नहीं कर सकी है। उसमें भी दिलचस्प ये कि करीब 17 जिलों में कम से कम 24 सीटें वे हैं जहां कांग्रेस को पिछले 25 सालों (1993 और 98 के चुनाव भी) में जीत नसीब नहीं हुई है। इसमें हरसूद सहित खंडवा जैसी सीटें शामिल हैं।

इसके अलावा भिंड का मेहगांव, मुरैना की अम्ब सीट, शिवपुरी जिले की शिवपुरी और पोहरी सीट, सागर जिले की रेहली और सागर सीट, सतना के रैगांव और रामपुर जैसी सीटें हैं जहां कांग्रेस पिछले दो दशक में जीत हासिल नहीं कर सकी है। लिस्ट यहीं खत्म नहीं होती। रीवा की देवतालाब और त्योंथर, सीहोर की अस्था और सीहोर सीट, अशोक नगर जिले की अशोक नगर सीट, सिवनी की बरघाट सीट, जबलपुर की जबलपुर कैंट सीट, होशंगाबाद जिले की सोहागपुर, छतरपुर जिले की महाराजपुर सीट जैसे उदाहरण भी हैं जहां कांग्रेस बेहद कमजोर है। भोपाल की गोविंदपुर सीट, इंदौर-2 और इंदौर-4 सीट भी इसी कड़ी में आते हैं।

कांग्रेस के लिए कहां है उम्मीद की किरण?

कांग्रेस के लिए इस चुनाव में सबसे बड़ी उम्मीद 15 सालों में शिवराज सरकार के खिलाफ पैदा हुई 'एंटी-इनकंबेंसी' हो सकती हैं। वैसे, कुछ और बातें भी हैं जो कांग्रेस के लिए एक तरह से उम्मीद की किरण हैं। इसी साल जुलाई-अगस्त में 13 जिलों में हुए नगर निकाय उप-चुनाव में कांग्रेस ने 14 में से 9 सीटों में जीत हासिल की। 

इससे पहले साल की शुरुआत में मुंगावली और कोलारस विधान सभा सीटों के उप-चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली। पिछले साल भी अटेर और खजुराहो उप-चुनाव में कांग्रेस को सफलता हाथ लगी। इसके अलावा किसानों का आंदोलन, व्यापम घोटाले की भी भूमिक होगी। हालांकि, कांग्रेस इन मुद्दों को बहुत तरीके से भुना नहीं पाई है। शिवराज सिंह चौहान जाहिर तौर पर अब भी राज्य में सबसे लोकप्रिय चेहरा हैं। 

2003 से राज्य में मजबूत होती बीजेपी की तस्वीर

बीजेपी मध्य प्रदेश में 2003 में सत्ता में आई और उसने 230 में से 173 सीटें जीती। इसमें वोट शेयर 42.5 प्रतिशत रहा। वहीं, इसके उलट 1993 से 2003 तक लगातार 10 साल तक सत्ता में रही कांग्रेस 31.6 प्रतिशत के साथ केवल 38 सीट जीतने में कामयाब रही। इसके बाद 2008 में जरूर बीजेपी का वोट शेयर (42.5 से 37.6 प्रतिशत) घटा लेकिन फिर भी उसने 143 सीटों पर कब्जा किया। वहीं, कांग्रेस ने 71 सीटें अपने नाम की। साल 2013 में बीजेपी फिर से और मजबूती से उभरी और 165 सीट (44.9 प्रतिशत वोट शेयर) जीते।

टॅग्स :मध्य प्रदेश चुनावशिवराज सिंह चौहानभारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)कांग्रेसदिग्विजय सिंह
Open in App

संबंधित खबरें

भारतशशि थरूर को व्लादिमीर पुतिन के लिए राष्ट्रपति के भोज में न्योता, राहुल गांधी और खड़गे को नहीं

भारतSanchar Saathi App: विपक्ष के आरोपों के बीच संचार साथी ऐप डाउनलोड में भारी वृद्धि, संचार मंत्रालय का दावा

भारतMCD Bypoll Results 2025: दिल्ली के सभी 12 वार्डों के रिजल्ट अनाउंस, 7 पर बीजेपी, 3 पर AAP, कांग्रेस ने 1 वार्ड जीता

भारतMCD by-elections Result: BJP ने चांदनी चौक और शालीमार बाग बी में मारी बाजी, कांग्रेस ने जीता संगम विहार ए वार्ड

भारतबिहार विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद पार्टी के अंदर एक बार फिर शुरू हो गया है 'एकला चलो' की रणनीति पर गंभीर मंथन

भारत अधिक खबरें

भारतकथावाचक इंद्रेश उपाध्याय और शिप्रा जयपुर में बने जीवनसाथी, देखें वीडियो

भारत2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव, 2025 तक नेता प्रतिपक्ष नियुक्त नहीं?, उद्धव ठाकरे ने कहा-प्रचंड बहुमत होने के बावजूद क्यों डर रही है सरकार?

भारतजीवन रक्षक प्रणाली पर ‘इंडिया’ गठबंधन?, उमर अब्दुल्ला बोले-‘आईसीयू’ में जाने का खतरा, भाजपा की 24 घंटे चलने वाली चुनावी मशीन से मुकाबला करने में फेल

भारतजमीनी कार्यकर्ताओं को सम्मानित, सीएम नीतीश कुमार ने सदस्यता अभियान की शुरुआत की

भारतसिरसा जिलाः गांवों और शहरों में पर्याप्त एवं सुरक्षित पेयजल, जानिए खासियत