मध्य प्रदेश: गढ़ में भी जीत के लिए संघर्ष! रतलाम में निकाय चुनाव में भाजपा के लिए बज गई खतरे की घंटी

By राजेश मूणत | Published: July 29, 2022 02:25 PM2022-07-29T14:25:07+5:302022-07-29T14:25:07+5:30

पिछले निकाय चुनावों को देखें तो यह पहला अवसर था जब भाजपा के संगठन और सत्ता के प्रदेश स्तर के कद्दावर नेताओं को रतलाम में वार्डो में जाकर कमान संभालने की जिम्मेदारी उठाना पड़ी।

Madhya Pradesh: Alarm bells for BJP in Ratlam civic polls | मध्य प्रदेश: गढ़ में भी जीत के लिए संघर्ष! रतलाम में निकाय चुनाव में भाजपा के लिए बज गई खतरे की घंटी

रतलाम में निकाय चुनाव में भाजपा के लिए बज गई खतरे की घंटी! (फाइल फोटो)

भाजपा का गढ़ माने जाने वाले रतलाम में पार्टी का प्रदर्शन बेहद कमजोर रहा है। पार्टी की यह हालत क्यों हुई इसके कई कारण है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण कारण पार्टी के जिला संगठन से लेकर प्रमुख मंडलों में मनमर्जी से की गई नियुक्तियां रही है। इन नियुक्तियों में निर्वाचन के नाम पर जमकर मनमानी हुई। 

जानकार बताते हैं कि सक्रिय निष्ठावान और प्रभावशाली चेहरों के स्थान पर विधायकों के दरबार में हाजरी भरने वाले लोगो को तरजीह मिलती रही। इसका परिणाम यह हुआ कि संगठन की चुनावी तैयारी मैदान में उतरते ही ध्वस्त हो गई। जमीनी हकीकत से दूर इन पदाधिकारियों ने अपने नेताओं के पदचिन्हों पर चलते हुए उन लोगो के नाम पर उम्मीदवारी की मुहर लगवा दी, जिनका पार्टीजनों में कोई आधार नहीं रहा। इस स्थिति में चारों तरफ विद्रोह के बिगुल बजने लगे। इस पर नियंत्रण पाने की जिम्मेदारी संगठन की थी। 

लेकिन इन जिम्मेदारों की दयनीय और लाचार स्थिति की हकीकत खुद ब खुद बयां हो रही थी। यह तो अच्छा था की पार्टी के प्रदेश नेतृत्व को हालातों की जानकारी समय पर मिल गई और प्रदेश संगठन ने रतलाम नगर निगम के चुनाव की कमान अपने हाथ में ले ली। सूत्र बताते है की पार्टी के प्रदेश नेतृत्व की तरफ से भेजे गए कुशल संगठक अशोक यादव जब रतलाम आए तो वे यहां के जमीनी हालात देखकर सन्न रह गए।

उन्होंने हालांकि समय व्यर्थ करने के बजाए तत्काल निर्णय लिए और सबसे पहले पार्टी के विभिन्न संगठनों को एक जाजम पर लाने में सफलता प्राप्त की। असंतुष्ट और रूष्ट दोनो तरह के कार्यकर्ताओं से संवाद बनाकर उन्होंने उनकी नाराजगी दूर की। कई विद्रोही उम्मीदवारों को चुनाव मैदान से दूर किया और उन्हें चुनावी जिम्मेदारी सौंप दी। उपेक्षित और चुनावी रणनीतिकार पार्टीजनों की पहचान की उनको घर से निकालकर पार्टी काम में लगाया। इन हालातों की जानकारी प्रदेश संगठन तक भी पहुंची। 

इसके बाद पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा रतलाम पहुंचे। उन्होंने रतलाम नगर निगम के प्रतिष्ठापूर्ण चुनाव में विजय का संकल्प लेकर व्यूह रचना की और आगे की कमान पार्टी के प्रदेश संगठन मंत्री हितानन्द शर्मा के हाथों में आ गई। इसके बाद स्थिति बदलना शुरू हुई और पार्टी के महापौर प्रत्याशी की जीत का मार्ग प्रशस्त होने लगा।

पिछले निकाय चुनावों के हिसाब से यह पहला अवसर था जब भाजपा के संगठन और सत्ता के प्रदेश स्तर के कद्दावर नेताओं को रतलाम में वार्डो में जाकर कमान सम्हालने की जिम्मेदारी उठाना पड़ी।  इतनी तगड़ी जमावट के बाद महापौर प्रत्याशी के साथ तीस वार्ड में पार्टी की जीत तो हो गई लेकिन यह जीत परंपरानुसार हजारों वोटो के बजाए चंद हजारों में सिमट गई। 

हारते-हारते जीत के रास्ते पर पहुंची इस यात्रा को नजदीक से देखने वाले पार्टी के नेताओं के अनुसार पार्टी की इस जीत के असली शिल्पकार प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा रहे। उन्होंने रतलाम नगर निगम के पूर्व अध्यक्ष और महापौर के सबसे प्रबल दावेदार अशोक पोरवाल के प्रभाव वाले और सबसे ज्यादा असंतोष से भरे क्षेत्र वार्ड 18 से 21 तक में पोरवाल को साथ में लेकर तीन दिन लगाकर मेहनत की इन वार्डो में वो घर घर गए और पांसा पलट दिया।  

दूसरी तरफ टाइगर अभी जिंदा है की तर्ज पर पूर्व मंत्री हिम्मत कोठारी ने भी जमकर पसीना बहाया। चुनाव में लगे एक वरिष्ठ भाजपाई बताते है की चुनाव को निर्णायक दौर में लाने का असल श्रेय श्री कोठारी को भी जाता है। कोठारी ने तगड़े असंतोष और विद्रोह को झेल रहे 9 वार्डो में रोड़ शो और पार्षद प्रत्याशियों के साथ घर घर जाकर जनसंपर्क किया और  इन सभी वार्डो में न सिर्फ भाजपा के पार्षद प्रत्याशी अप्रत्याशित रूप से जीत गए। अपितु महापौर उम्मीदवार को भी अच्छी लीड मिली। 

रतलाम के लिए प्रदेश संगठन की और से इंदौर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष जयप्रकाश चावड़ा के साथ भगवानदास सबनानी, पूर्व मंत्री पारस जैन मंत्री जगदीश देवड़ा और कई प्रमुख महारथी जी जान से भिड़े तब जाकर  स्थिति बदली है।

प्रदेश सरकार के मुखिया मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने भी अंतिम समय में मोर्चा संभाला और उनके रोड़ शो के बाद निराश नेताओं के चेहरे चमके। यह स्थापित सत्य है की निर्वाचन में जीत को अंतिम सत्य माना जाता है लेकिन रतलाम की जनता ने हजारों वोटो से भाजपा की जीत के दावे कर रहे नेताओं को आसमान से उतारकर जमीन पर लाकर खड़ा कर दिया है। 

रतलाम में पार्टी के आम कार्यकर्ताओं के भीतर सुलग रहे आक्रोश के क्या कारण है ? इस बारे में पार्टी का प्रदेश नेतृत्व मंथन जरूर करेगा क्योंकि ताजा चुनाव परिणाम खतरे की घंटी का अलार्म है।

Web Title: Madhya Pradesh: Alarm bells for BJP in Ratlam civic polls

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