जानवरों की तरह बच्चे पैदा करने से देश का नुकसान: यूपी शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 21, 2020 08:15 AM2020-01-21T08:15:58+5:302020-01-21T08:15:58+5:30
उच्चतम न्यायालय में देश में बढ़ती आबादी पर नियंत्रण के लिये दो संतानों के मानदंड सहित उपायों के लिये दायर याचिका पर शुक्रवार को केन्द्र से जवाब मांगा था। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका पर केन्द्र और अन्य को नोटिस जारी किये थे।
जनसंख्या नियंत्रण को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत के दो बच्चे वाले बयान के बाद देश में जनसंख्या को लेकर एक नए कानून पर चर्चा तेज हो गई है। इसी बीच इस विषय पर उत्तर प्रदेश के शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने कहा कि कुछ लोग यह नहीं समझते हैं कि समाज व देश के लिए जानवरों की तरह बच्चे पैदा करना काफी नुकसानदायक है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यदि देश में जनसंख्या नियंत्रण के लिए कोई कानून बनता है तो देश के लिए अच्छा होगा।
जनसंख्या नियंत्रण पर संभावित कानून का समर्थन करते हुए वसीम रिजवी ने कहा, 'कुछ लोग मानते हैं कि बच्चों का जन्म प्राकृतिक है और इससे कोई छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए। जानवरों की तरह कई बच्चों को जन्म देना समाज और देश के लिए काफी हानिकारक है। अगर यह कानून लागू होता है तो यह देश की जनसंख्या पर काबू पाने के लिए बेहतर होगा।'
बता दें कि उच्चतम न्यायालय में देश में बढ़ती आबादी पर नियंत्रण के लिये दो संतानों के मानदंड सहित उपायों के लिये दायर याचिका पर शुक्रवार को केन्द्र से जवाब मांगा था। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका पर केन्द्र और अन्य को नोटिस जारी किये थे।
उपाध्याय ने इस याचिका में उच्च न्यायालय के तीन सितंबर के आदेश को चुनौती दी थीं। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि कानून बनाने का काम न्यायालय का नहीं बल्कि संसद और राज्य विधानमंडल का है।
इस याचिका में कहा गया था कि उच्च न्यायालय संविधान के अनुच्छेद 21 और 21ए में प्रदत्त नागरिकों के लिये स्वच्छ वायु, पेय जल के अधिकार, स्वास्थ का अधिकार, शांतपूर्ण तरीके से सोने का अधिकार, आवास का अधिकार, आजीविका और शिक्षा के अधिकार पर गौर करने में विफल रहा है।
याचिका में कहा गया था कि जनसंख्या पर काबू पाये बगैर सभी नागरिकों के लिये संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकारों को सुरक्षित नहीं किया जा सकता है। उपाध्याय ने याचिका में यह भी दलील दी है कि जनसंख्या पर नियंत्रण के बगैर ‘स्वच्छ भारत’ और ‘बेटी बचाओ’ जैसे लक्ष्यों को हासिल नहीं किया जा सकता है।