बिहार में बागियों से परेशान पार्टियां, अलग-अलग गठबंधन के बागी अपने ही लोगों को पहुंचा सकते हैं नुकसान!
By एस पी सिन्हा | Published: April 2, 2019 06:32 PM2019-04-02T18:32:38+5:302019-04-02T18:32:38+5:30
उधर, लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान से ठीक पहले राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के घर में मचे घमासान ने राजद की स्थिती को मझधार में ला खड़ा कर दिया है. लालू यादव के बडे बेटे तेज प्रताप यादव के द्वारा लालू-राबडी मोर्चा बनाने का ऐलान कर दिये जाने के बाद लालू परिवार खुद को असहज महसूस करने लगा है.
बिहार में राजग और महागठबंधन के अंदर सीट बंटवारे और उम्मीदवारों के नाम की घोषणा के साथ ही हर दल में नेताओं की नाराजगी सामने आ रही है. ऐसे में दोनों ही गठबंधन दलों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. कुछ तो खुलकर सामने आ गए हैं तो कुछ घोषित प्रत्याशियों के लिए गुपचुप तरीके से मुश्किल पैदा कर रहे हैं.
बिहार में भाजपा ने तो अपने पांच सीटिंग सांसदों के टिकट काट दिए हैं. इनमें सीवान से ओमप्रकाश यादव, वाल्मीकि नगर से सतीश चंद्र दूबे, गया से हरि मांझी, झंझारपुर से बीरेन्द्र कुमार चौधरी और गोपालगंज से जनक राम के नाम हैं. हालांकि इनमें से सिर्फ सतीश चंद्र दूबे ने ही थोडा असंतोष जाहिर किया था और उनके कई समर्थकों ने पार्टी छोड दी है. जबकि बाकी सांसदों के क्षेत्र के कार्यकर्ता नाराज बताए जाते हैं. वहीं बांका से तो पूर्व केंद्रीय मंत्री की पत्नी पुतुल देवी ने निर्दलीय चुनाव मैदान में भी है. इसतरह से अपने सांसदों का टिकट कटने से खफा कई कार्यकर्ता एनडीए के लिए मुश्किल खडी करे रहे हैं. वहीं राजद में अली अशरफ फातमी, कांति सिंह, सीताराम यादव और आलोक मेहता, कांग्रेस में डा. शकील अहमद, लवली आनंद और निखिल कुमार जैसे कई नेता हैं जिन्होंने अपनी नाराजगी खुलकर जाहिर कर रहे हैं.
वहीं, राजद की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं. तेजप्रताप यादव के बगावती तेवर के बाद पार्टी के अल्पसंख्यक चेहरा पूर्व राजद सांसद मोहम्मद अली अशरफ फातमी ने भी अपने बागी तेवर बररकार रखा है. इस कडी में उन्होंने पार्टी प्रमुख लालू प्रसाद को 3 अप्रैल तक की मोहलत दी है. फातमी तो कल एक विशाल जनसभा का आयोजन करने जा रहे हैं. अगर उन्होंने दरभंगा और मधुबनी से अपने प्रत्याशी खडे कर दिए तो महागठबंधन के लिए मुश्किल जरूर सामने आएगी. इस बैठक में उनके साथ कई बडे चेहरे होंगे जो टिकट कटने से नाराज हैं. कयास ये भी लगाए जा रहे हैं कि इस बैठक में तेजप्रताप यादव भी रहेंगे. राजद कोटे से दरभंगा सीट के लिए फातमी सबसे प्रबल थे, लेकिन अब्दुल बारी सिद्दीकी की उम्मीदवारी सामने आते ही वहां के पूर्व राजद सांसद मो अली अशरफ फातमी का धैर्य जवाब देने लगा. जानकारी के मुताबिक नाराज फातमी पार्टी छोडकर निर्दलीय भी चुनाव लड सकते हैं.
सूत्रों के अनुसार दरभंगा की सभा में फातमी के साथ राजद के सीताराम यादव, मंगनीलाल मंडल समेत कई नेता जिनका राजद ने इस बार टिकट काटा है वह सभी मौजूद रहेंगे. फातमी अगर बागी बनते हैं तो वह मिथिलांचल के इलाकों में वोट प्रभावित कर सकते हैं क्योंकि फातमी की उस इलाके के मुस्लिम वोटरों में मजबूत पकड है. यही कारण है कि तेजस्वी और लालू प्रसाद यादव अब भी फातमी को मनाने में जुटे हैं. दूसरी ओर कांग्रेस की लवली आनंद और डा. शकील अहमद सरीखे नेताओं की नाराजगी भी महागठबंधन के चुनावी गणित को बिगाडने का माद्दा रखती है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि अलग-अलग गठबंधन के बागी अपने ही लोगों को कितना नुकसान पहुंचाते हैं.