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Lokmat Parliamentary Awards 2018: पी. चिदंबरम बोले- मोदी सरकार केवल चुनाव के लिए पैसे चाहती है

By मेघना वर्मा | Updated: December 13, 2018 18:20 IST

Lokmat National Conclave: पी. चिदंबरम ने वर्ष 1972 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की सदस्यता ली। चिदंबरम 1973 में तमिलनाडु में युवा कांग्रेस अध्यक्ष और तमिलनाडु कांग्रेस प्रदेश समिति के महासचिव भी रह चुके हैं।

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लोकमत के दिल्ली संस्करण की पहली सालगिरह पर पुरस्कार वितरण से पूर्व 'राष्ट्रीय राजनीति में क्षेत्रीय दलों की दस्तक' विषय पर 'लोकमत नेशनल कॉन्क्लेव' का आयोजन किया जा रहा है। इस आखिरी सेशन में अब अपनी बात रखने आएं हैं वृत मंत्री पी. चिदंबरम। इस कॉन्क्लेव में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस अपनी बात रख चुके हैं।

दिग्गज कांग्रेस नेता पी चिदंबरम लोकमत के कार्यक्रम में-

पी. चिदंबरम का जन्म 16 सितंबर 1945 को तमिलनाडु के गांव कनाडुकथन में हुआ था। उनका पूरा नाम पलानीअप्पन चिदंबरम है। पी. चिदंबरम चेन्नई हाईकोर्ट में पहले वकालत किया करते थे। साल 1984 में वे वरिष्ठ वकील के तौर पर भी नामित हुए। इन्होंने कई राज्‍यों के हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में बतौर वकील काम किया हैं। 

एक मंजे हुए अनुभवी राजनेता पी. चिदंबरम की कई अवसरों पर अथवा कई निर्णयों पर काफी आलोचना भी हुई है। जनलोकपाल आंदोलन के समय चिदंबरम देश के गृहमंत्री थे। जब दिल्‍ली पुलिस ने कानून व्‍यवस्‍था बिगड़ने का हवाला देकर अन्‍ना हजारे को गिरफ्तार करके उन्‍हें तिहाड़ भेजा, तो पी. चिदंबरम पर उंगली उठी। तब ऐसा कहा गया कि इस स्थिति के लिए देश के गृहमंत्री होने के नाते चिदंबरम ही जिम्‍मेदार हैं।

ऐसा रहा राजनैतिक सफर

पी. चिदंबरम ने वर्ष 1972 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की सदस्यता ली। चिदंबरम 1973 में तमिलनाडु में युवा कांग्रेस अध्यक्ष और तमिलनाडु कांग्रेस प्रदेश समिति के महासचिव भी रह चुके हैं। वर्ष 1984 में तमिलनाडु के शिवगंगा निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा चुनाव जीतने के साथ पी. चिदंबरम सक्रिय राजनीति में आए। इस सीट से उन्होंने लागातार 6 बार तक जीत दर्ज की।

वैसे तो पी. चिदंबर का विवादों से भी गहरा नाता रहा मगर उसके बावजूद भी पी. चिदंबर देश के कुछ दिग्गज राजनेताओं में से एक मानें जाते हैं। आज लोकमत कॉन्क्लेव पर देखें   'राष्ट्रीय राजनीति में क्षेत्रीय दलों की दस्तक' विषय पर उनकी राय.

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