एक्सक्लूसिव: एटीएम की तरह काम करेंगे बैंक-वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
By संतोष ठाकुर | Published: July 7, 2019 09:06 AM2019-07-07T09:06:42+5:302019-07-07T09:06:42+5:30
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि आने वाले समय में एटीएम की तरह ही आप किसी भी बैंक के ब्रांच से लेन-देन कर पाएंगे. अपने ही बैंक की ब्रांच से लेन-देन की अनिवार्यता नहीं रहेगी. इसके लिए जल्द ही रिजर्व बैंक और सभी बैंकों के साथ वार्ता की जाएगी. यह कार्य जल्द शुरू हो, इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं.
अपने पहले बजट के बाद लोकमत समाचार से बातचीत में उन्होंने कहा कि इसके लिए उसी तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा, जो एटीएम से लेन-देन के लिए किया जाता है. सरकार देश में दो से तीन बड़े बैंक ही रखना चाहती है. ऐसे में इस तरह की तकनीकी पहल जरूरी है. लोकमत ने कई मुद्दों पर उनसे बात की. बातचीत के मुख्य अंश.
प्रश्न : पेट्रोल-डीजल के दाम में वृद्धि से महंगाई नहीं बढ़ेगी?
उत्तर : नहीं. हमनें पिछले 5 साल में महंगाई पर नियंत्रण करके दिखाया है. पेट्रोल-डीजल के दाम में वृद्वि से पहले इस पर विस्तृत विचार किया गया है. उसके बाद यह निर्णय हुआ. इसके साथ ही हमें यह भी ध्यान रखना होगा कि अगर हमेशा महंगाई दर नीचे रहेगी तो देश विकास गति हासिल नहीं कर सकता है. इसी तरह से हमेशा महंगाई दर ऊपर रहना भी सही नहीं होता है. ऐसे में वर्चुअल साइकिल के सिद्धांत पर सरकार काम करती है. जिससे विकास और तरक्की के साथ जीवन के सुविधाजनक होने पर ध्यान दिया जाता है.
प्रश्न : पेट्रोल के दाम में 10 और डीजल में 4 रुपए इजाफा का जिक्र वित्त बिल में है, क्या जनता को इससे तकलीफ नहीं होगी?
उत्तर : दाम में केवल 2 रुपए का इजाफा किया गया है. फाइनेंस बिल में हमेशा अधिकतम राशि लिखी जाती है. जिससे जरूरत होने पर दाम बढ़ाने के लिए संसद की मंजूरी की समस्या नहीं आए. लेकिन ऐसा नहीं है कि फाइनेंस बिल में जो लिखा है, उसी के अनुरूप दाम बढ़े. जरूरत नहीं होने पर दाम नहीं बढ़ते हैं. अप्रत्याशित स्थिति को ध्यान में रखकर अधिक राशि बढ़ाने का प्रावधान किया जाता है.
प्रश्न: बेरोजगारी घटाने के लिए बजट में क्या है?
उत्तर : श्रम नियमों को घटाकर 4 नियम में समाहित किया गया है. युवा हमारे लाभांश हैं. लेकिन उन्हें नौकरी नहीं मिल रही है तो यह देश का नुकसान है. इसलिए हमनें उनकी स्कीलिंग, नौकरी करने वाले मिड-करियर लोगों का कौशल बढ़ाने को लेकर कदम उठाए हैं. लघु-सूक्ष्म-मध्यम उद्योग के साथ 'स्टार्टअप' को काफी रियायत दी है. इससे रोजगार बढ़ेंगे. कामगारों का एक से दूसरी जगह नौकरी के लिए जाना बढ़ेगा तो कम श्रम कानूनों की वजह से कंपनियों में नौकरी बढ़ेंगी.
प्रश्न : छोटे उद्योगों के लिए पैसा नहीं मिल रहा, गैर बैंकिंग कंपनियां वित्तीय मदद से पीछे हट रही हैं. एनपीए बढ़ रहा है. इस पर क्या कहेंगी?
उत्तर : गैर बैकिंग कंपनी को हमनें नए ऋण के लिए 10% सरकारी गारंटी का वादा किया है. इससे वह पुराने ऋण की वसूली के बिना भी नए लोन देने में सक्षम हो पाएंगे. पहले वह कहते थे कि पुराना लोन नहीं मिल रहा है इसलिए हम नया लोन कैसे दें. अब सरकार 10% की गारंटी दे रही है. हमने दूसरी ओर एनपीए घटाया है. इसके साथ ही हम उद्योगों के लिए या साझा ढांचागत आधार से यूरोप और जापान जैसे देश को बांड बेचने का कदम उठाएंगे. जहां सस्ती दर पर बड़ा पैसा हमें इसके लिए मिलेगा. रिजर्व बैंक इसके लिए तैयार भी हो गया है.
प्रश्न : निजी कंपनियां कहती हैं कि बाजार से सभी पैसा सरकार ले लेती है. उनके पास विकल्प ही नहीं रहता है. वहीं, आपने पीएसयू में निजी कंपनियों की हिस्सेदारी 51% करने का इरादा जताया है
उत्तर : पहली बात यह है कि सरकारी कंपनियों या पीएसयू में अब भी 51% हिस्सेदारी हमारी ही होगी. हम यह कह रहे हैं कि अगर 51% से ऊपर की हिस्सेदारी अन्य सरकारी कंपनियों-संस्थानों की है तो उसे बेचेंगे. निजी कंपनियों को पैसा मिले इसके लिए हमनें इस तरह का बजट पेश किया है कि लोग पोस्ट ऑफिस के साथ ही म्युचअल फंड, बांड और अन्य जगह निवेश कर पाएं. उद्देश्य यह है कि आप अपना खर्च किए बिना अपनी खरीदारी और बचत बढ़ा पाएं.
प्रश्न : सोने पर टैक्स बढ़ाने का क्या औचित्य है? इसके अलावा सुपर रिच या अमीरों पर टैक्स बढ़ा दिया गया है. क्या वह नाराज नहीं होंगे?
उत्तर : सोने पर टैक्स केवल घरेलू खरीदारों के लिए बढ़ाया गया है. अगर आप सोना खरीदते हैं. गहने बनवाते हैं तो आपको टैक्स देना चाहिए. सोना हम आयात करते हैं. ऐसे में विदेशी मुद्रा बड़ी मात्रा में विदेश जाती है. अगर आप सोना बाहर से मंगाकर उससे तैयार माल बनाकर वापस विदेश भेजते हैं तो उस पर टैक्स नहीं है. ऐसे में सोने के कारीगरों पर बहुत असर नहीं होगा. इसी तरह से अमीरों पर टैक्स बढ़ाया है. लेकिन साथ ही उनका धन्यवाद भी किया है. आखिर हम इस टैक्स के पैसे से ही तो मुंबई सब-अर्बन ट्रेन या विभिन्न शहरों में मेट्रो चलाएंगे. ट्रेन की टिकट पर हमेशा छूट होती है. जबकि रेलगाड़ी चलाना सरकार की जिम्मेदारी है. इसी टैक्स से तो हम साझा ढांचागत आधार या सभी के उपयोग वाला इंफ्रास्ट्रक्चर बना पाएंगे. सरकार आखिर इनके लिए पैसा कहां से लाएगी. ऐसे में आपको टैक्स कहीं तो लगाना होगा.