2500 ईसा पूर्व मोहम्मद शाह के मंत्री वजीर गाजी-उद-दीन द्वारा स्थापित किया गया शहर गाजियाबाद उत्तर प्रदेश के 80 लोकसभा सीटों में से एक है। राजधानी दिल्ली से सटी होने के कारण गाजियाबाद सीट को वीआईपी का दर्जा मिला हुआ है। यही वजह है कि यहां चुनाव लड़ने के लिए लगभग सभी पार्टियां अपनी पूरी ताकत झोंकती हैं। उत्तर प्रदेश में में सपा-बसपा गठबंधन के बाद दोनों पार्टियों के सीट का बंटवारा हुआ है, जिसमें यहां की 80 सीटों में 37 सपा और 38 सीटों पर बसपा चुनाव लड़ेगी। सीट बंटवारे में गाजियाबाद लोकसभा सीट सपा के खाते में आई है। फिलहाल इस सीट पर बीजेपी का कब्ज़ा है। सपा से सुरेश बंसल प्रत्याशी हैं।
गाजियाबाद लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का परिचय
गाजियाबाद लोकसभा सीट में शामिल 5 विधानसभा क्षेत्रों में गाजियाबाद साहिबाबाद, लोनी, मुरादनगर और धौलाना शामिल हैं। लोकसभा चुनाव 2009 से पहले ये सीट हापुड़ लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत थी। परिसीमन आयोग की अनुशंसा के बाद हापुड़ लोकसभा सीट को समाप्त कर दिया गया।
चुनाव आयोग द्वारा 2009 में जारी आंकड़े बताते हैं कि नई दिल्ली लोकसभा सीट में कुल 1,831,688 मतदाता हैं। जिसमें पुरुष 1,037,889 और महिला 793,799 है। यहां की कुल आबादी 2,358,525 है।
लोकसभा चुनाव 2014 का रिपोर्ट
लोकसभा चुनाव 2014 में बीजेपी ने जनरल वीके सिंह, कांग्रेस ने राज बब्बर, सपा ने सुधंन रावत, बसपा ने मुकुल उपाध्याय और आम आदमी पार्टी ने शाजिया इल्मी को चुनावी रण में उतारा था। जिसपर सेना प्रमुख रह चुके (विजय कुमार सिंह) वीके सिंह को जीत हासिल हुई। उन्हें 758482 वोट मिले थे। जबकि, कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता राज बब्बर को 191222 वोट मिले थे।
2009 लोकसभा चुनाव में भी गाजियाबाद लोकसभा सीट से बीजेपी के दिग्गज नेता और मौजूदा गृहमंत्री राजनाथ सिंह विजयी हुए थे।राजनाथ सिंह को 359637 वोट मिले थे। वहीं, कांग्रेस के सुरेंद्र प्रकाश गोयल 268956 वोटों के साथ दूसरे पायदान पर रहे।
वहीं 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में यहां केवल धोलाना सीट बहुजन समाज पार्टी के खाते में गई थी। इसके अलावा अन्य 4 सीटें बीजेपी का ही कब्ज़ा रहा।
वर्तमान सांसद वीके सिंह: एक परिचय
गाजियाबाद लोकसभा सीट पर वर्तमान सांसद बीजेपी के वीके सिंह हैं। 10 मई 1951 को जन्मे वीके सिंह ने पीएच डी की डिग्री हासिल की हुई है। वीके सिंह को 31 मार्च, 2010 को सेना प्रमुख बनाया गया था और सेना प्रमुख बनने वाले वह पहले कमांडो थे। साल 2012 में वीके सिंह अपनी जन्म तिथि को लेकर विवादों में आए। साल 2013 में रिटायरमेंट के बाद उन्होंने अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन को अपना समर्थन दिया था।
इसके बाद साल 2014 में बीजेपी ने पूर्व सेनाध्यक्ष रहे जनरल वीके सिंह को यहां से टिकट दे दिया था। तब वह शहर और लोगों के लिए वह बिल्कुल नए थे। उनके खिलाफ कांग्रेस से राजबब्बर, सपा के सुधन रावत और बसपा के मुकुल उपाध्याय मैदान में थे। बावजूद इसके वीके सिंह ने देश के दूसरे सबसे बड़े रिकार्ड 5 लाख 67 हजार मतों से जीत दर्ज की और कांग्रेस के प्रत्याशी राज बब्बर समेत सभी की जमानत भी जब्त कर दी थी।