लोकसभा चुनाव को लेकर मध्यप्रदेश में इस बार तीसरा मोर्चा मैदान में सक्रियता नहीं दिखा पा रहा है. बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी वैसे तो गठबंधन के सहारे मैदान में उतरने का फैसला कर चुके हैं, मगर दोनों ही दल अब तक चुनाव के लिए पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को सक्रिय नहीं कर पाए हैं. सपा का तो संगठन ही गायब है, जिसके चलते कार्यकर्ता बिखरा हुआ है. वहीं आम आदमी पार्टी मैदान से बाहर हो चुकी है.
विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस और भाजपा पर दबाव बनाने वाला तीसरा मोर्चा लोकसभा चुनाव के पहले ही बिखरा हुआ नजर आने लगा है. करीब आधा दर्जन तीसरा मोर्चा के दलों का मैदान से गायब होना भाजपा और कांग्रेस के लिए एक तरह से अच्छे संकेत भी हैं.
राज्य में बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के अलावा गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने विधानसभा चुनाव में जमकर भाजपा, कांग्रेस पर दबाव बनाया था, मगर परिणाम के निराशा हाथ लगी तो लोकसभा चुनाव में ये दल शांत नजर आ रहे हैं. बसपा और सपा गठबंधन के सहारे मैदान में उतर रहा है, 26 सीटों पर बसपा और 3 पर सपा के प्रत्याशी मैदान में उतारने का समझौता हुआ है, मगर अब तक दोनों दलों ने मात्र 3 संसदीय क्षेत्रों में प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया पूरी की है.
इसके अलावा दोनों ही दलों का कार्यकर्ता मैदान में नजर नहीं आ रहा है. बसपा का कार्यकर्ता इस बार पूरी तरह शांत नजर आ रहा है, तो सपा का अपना संगठन ही नहीं है. विधानसभा चुनाव के बाद भंग की सपा की कार्यकारिणी का भी अब तक गठन नहीं हुआ है, जिसके चलते उसका कार्यकर्ता बिखर गया है.
गोंगपा,जयस को नहीं मिला सहारा
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और जय आदिवासी युवा संगठन (जयस) को कांग्रेस और भाजपा का सहारा नहीं मिल पा रहा है. दोनों ही दलों ने कांग्रेस पर गठबंधन के लिए दबाव तो बनाया, मगर उन्हें इस दबाव में सफलता हासिल नहीं हुई है, जिसके चलते ये दल अब मौन हो गए हैं. जयस तो भाजपा से संपर्क कर रहा है, वहीं गोंगपा ने सपा से संपर्क किया, मगर उसे वहां से भी सफलता हासिल नहीं हुई.
आप ने छोड़ा मैदान
आम आदमी पार्टी लोकसभा चुनाव में मैदान छोड़ चुकी है. विधानसभा चुनाव में 208 प्रत्याशी मैदान में उतारे, मगर सभी की जमानतें जब्त हो गई. इसके बाद लोकसभा चुनाव में इस दल ने भी दूरी बना ली है.
सपाक्स केवल बैठकों तक सीमित
एट्रोसिटी एक्ट के बाद सपाक्स संगठन का गठन हुआ और विधानसभा चुनाव में भाजपा पर खासा दबाव बनाया, मगर इस बार यह संगठन भी मैदान में उतना सक्रिय नजर नहीं आ रहा है, जितना की विधानसभा चुनाव के दौरान सक्रिय था. सपाक्स द्वारा 15 लोकसभा सीटों पर प्रत्याशी मैदान में उतारने की बात तो कही जा रही है, मगर चुनावी रणनीति के लिए केवल बैठकों का दौर ही चल रहा है. फिलहाल मैदान में इस दल की भी सक्रियता नजर नहीं आ रही है.