लोकसभा चुनावः यूपी में बीजेपी की बड़ी सर्जरी, 16 मौजूदा सांसदों के टिकट काटे, 4 की सीट बदली
By नितिन अग्रवाल | Published: March 28, 2019 08:00 AM2019-03-28T08:00:29+5:302019-03-28T08:00:29+5:30
2014 में 73 सांसदों को जिताकर नरेंद्र मोदी को सत्ता तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाने वाले यूपी की तीन चौथाई सीटों पर पार्टी अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर चुकी है. जिसमें से एक तिहाई मौजूदा सांसदों को बदल दिया गया है.
सत्ता में वापसी के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही भाजपा ने यूपी में सबसे बड़ी 'सर्जरी' की है. 2014 में 73 सांसदों को जिताकर नरेंद्र मोदी को सत्ता तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाने वाले यूपी की तीन चौथाई सीटों पर पार्टी अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर चुकी है. जिसमें से एक तिहाई मौजूदा सांसदों को बदल दिया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित भाजपा ने अभी तक यूपी की 61 सीटों पर अपने उम्मीदवार तय कर लिए हैं.
वार्ताओं के कई दौर के बाद पार्टी ने प्रदेश में बड़ी 'सर्जरी' की है. 16 मौजूदा सांसदों को पार्टी ने टिकट देने से मना कर दिया है और 4 सांसदों की सीटें बदल दी गई हैं. टिकट कटने वालों में कानपुर के दिग्गज नेता मुरली मनोहर जोशी, कलराज मिश्र, उमा भारती और नेपाल सिंह का नाम है. संभल से सत्यपाल, हाथरस से राजेश दिवाकर, फतेहपुर सीकरी से बाबूलाल, शाहजहांपुर से कृष्णा राज, हरदोई से अंशुल वर्मा, मिसरिख से अंजू बाला, इटावा से अशोक दोहरे, बाराबंकी से प्रियंका रावत, कुशीनगर से राजेश पांडेय और बलिया से भरत सिंह को भी टिकट देने से मना कर दिया गया.
वहीं जिन नेताओं की सीटें बदली गई हैं उनमें केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी, उनके बेटे वरु ण गांधी और किसान मोर्चा के अध्यक्ष विरेंद्र सिंह मस्त का नाम है. सहयोगी अपना दल की दो सीटें छोड़ दें तो अभी भी लगभग 15 से ज्यादा उम्मीदवारों के नाम बाकी हैं. माना जा रहा है कि इन पर भी कईयों के टिकट काटे जाएंगे.
मोदी-शाह का पुराना फार्मूला इतने बड़े स्तर पर की गई 'सर्जरी' से साफ है कि 2014 की तुलना में राज्य में बदले राजनीतिक समीकरणों में जीत के लिए भाजपा की राह आसान नहीं है. जानकारों का मानना है कि केंद्र और राज्य दोनों जगह भाजपा सत्ता में है. लिहाजा सत्ता विरोधी लहर का खामियाजा उसे उठाना पड़ेगा. इससे बचने के लिए गुजरात से लेकर देशभर में नरेंद्र मोदी और अमित शाह प्रत्याशी बदलने का फॉर्मूला पिछले 5 वर्षों में हुए विभिन्न चुनावों में अपनाते रहे हैं.
टिकट कटने से नाराज सांसद टिकट कटने से नाराज यूपी के एक मौजूदा सांसद ने कहा कि अभी तक 20 मौजूदा सांसद बदले हैं. कहा जा रहा है कि खराब परफॉरमेंस के चलते टिकट नहीं दी गई. यदि एक तिहाई सांसदों का परफॉरमेंस खराब है तो फिर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री कैसे दावा कर रहे हैं कि सरकार ने बहुत काम किया है. अगर हमने काम नहीं किया तो फिर ये काम जिसका दावा किया जा रहा है वह किया किसने?
उन्होंने कहा कि टिकट नहीं मिलने से अफसोस जरूर है लेकिन पार्टी के लिए काम भी करेंगे. हालांकि उनकी टिकट काटकर जिसे टिकट दिया गया उसकी जीत के लिए काम करने के नाम पर मान्यवर ने कन्नी काट ली. 2014 में पार्टी को कैराना सीट से जीत दिलाने वाले हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह भी अपनी नाराजगी खुलेआम जता चुकी हैं और हरदोई से टिकट कटने से नाराज सांसद अंशुल वर्मा भी सपा की साइकिल पर सवार हो गए.
इस आधार पर काटा टिकट पार्टी सूत्रों के अनुसार प्रत्याशियों के चयन के लिए पार्टी ने कई स्तर पर सर्वे कराए हैं. इन सर्वे से मिली रिपोर्ट्स और प्रदेश नेतृत्व से मिले फीडबैक के आधार तैयार किए गए 'सटिस्फेक्शन लेवल' नाम की इस रिपोर्ट के आधार पर ही टिकट काटे गए हैं. इसमें जिन नेताओं का यह लेवल 25 से कम आया है उन्हें निश्चित तौर पर बाहर का रास्ता दिखाया गया है.
एक बातचीत में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने लोकमत समाचार से साफ कह दिया था पार्टी केवल जिताऊ उम्मीदवारों पर ही दांव लगाएगी. टिकट कटने का सिलसिला जारी 'सर्जरी' का यह सिलसिला प्रधानमंत्री के गृहराज्य गुजरात में भी चल रहा है. भाजपा ने बुधवार को राज्य के तीन मौजूदा सांसदों के नामों पर कैंची चला दी. पार्टी ने बनासकांठा, पोरबंदर और पंचमहल से नए प्रत्याशियों की घोषणा कर दी. पार्टी ने 2014 में राज्य की सभी 26 सीटों पर जीत हासिल की थी.