लोकसभा चुनावः इस सीट पर अबकी बार पलट सकती है NDA की बाजी, यहां जानिए कारण
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: April 14, 2019 08:40 AM2019-04-14T08:40:09+5:302019-04-14T11:12:04+5:30
बांका लोकसभा सीट: इस सीट पर 2014 के चुनाव में दिवंगत दिग्विजय सिंह की पत्नी पुतुल कुमारी को मोदी लहर के बावजूद राजद के जयप्रकाश नारायण यादव ने 10114 वोटों से शिकस्त दी थी. इसकी एक बड़ी वजह थी कि यहां मुकाबला त्रिकोणीय था और क्षेत्र में नक्सलवाद की आहट में यहां के वोटरों ने वामपंथी उम्मीदवार संजय कुमार के खाते में 220708 वोट डालकर सबको चौंका दिया था.
देवेंद्र चौधरी
बिहार की बांका लोकसभा सीट के अंतर्गत परिसीमन के बाद 6 विधानसभा क्षेत्र आते हैं. इनमें से धोरैया, अमरपुर, बेलहर और सुल्तानगंज पर जदयू और बांका सीट पर भाजपा का कब्जा है. यानी राजग गठबंधन के खाते में 5 और एक विस क्षेत्र कटोरिया लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद के पाले में है. बांका संसदीय क्षेत्र दिग्गज समाजवादी नेता मधु लिमये, जार्ज फर्नांडीस, भारतीय जनसंघ के बी. एस. शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रशेखर सिंह, उनकी पत्नी मनोरमा सिंह और पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत दिग्विजय सिंह की कर्मभूमि रही है.
इस सीट पर 2014 के चुनाव में दिवंगत दिग्विजय सिंह की पत्नी पुतुल कुमारी को मोदी लहर के बावजूद राजद के जयप्रकाश नारायण यादव ने 10114 वोटों से शिकस्त दी थी. इसकी एक बड़ी वजह थी कि यहां मुकाबला त्रिकोणीय था और क्षेत्र में नक्सलवाद की आहट में यहां के वोटरों ने वामपंथी उम्मीदवार संजय कुमार के खाते में 220708 वोट डालकर सबको चौंका दिया था.
भाजपा की पुतुल कुमारी को 275106 और विजयी उम्मीदवार राजद के जयप्रकाश यादव को 285150 वोट मिले थे. यहां दर्जनभर से ज्यादा निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी वोटकटवा का काम किया था. इस बार बांका सीट राजग गठबंधन में शामिल जदयू के खाते चली गई. इससे तिलमिलाई भाजपा की पुतुल कुमारी ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन दर्ज करा दिया है, जिससे नाराज होकर प्रदेश भाजपा ने अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए उन्हें 6 वर्ष के लिए पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया.
यहां यह उल्लेखनीय है कि 2010 के उपचुनाव में पुतुल कुमारी ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में ही जीत दर्ज की थी और बाद में अपने पति की पार्टी भाजपा में शामिल हो गई थीं. 4 विधानसभा क्षेत्र पर जदयू की पकड़ को देखते हुए यहां से इसके उम्मीदवार की राह कठिन नहीं लगती लेकिन पुतुल अगर अपने पुराने राजपूत-ब्राह्मण वोटबैंक को फिर से एकजुट करने में सफल हो जाती हैं तो इसका खामियाजा राजग उम्मीदवार गिरिधारी यादव को उठाना पड़ सकता है और इसके बाद महागठबंधन उम्मीदवार जयप्रकाश नारायण यादव की राह आसान हो जाएगी. वैसे यहां इस बार भीे 14 के करीब वोटकटवा निर्दलीय भी ताल ठोंकते नजर आ रहे हैं. यहां कुल मतदाताओं की संख्या 1687940 है.