Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव को देखते हुए एनडीए के कई सांसदों की धड़कनें तेज हो गई हैं। एक ओर जहां भाजपा के सांसदों की दुविधा उम्र और क्षेत्र में उनकी सक्रियता या उपलब्धियों को लेकर है तो दूसरी ओर लोजपा के दो भागों में बंटने के बाद टिकट को लेकर संशय के बादल मंडराने लगे हैं। जबकि एक बार फिर साथ आई जदयू के भी कई सांसदों का टिकट कटना तय माना जा रहा है। लोकसभा चुनाव के समय एक रही लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) अब दो हिस्से में बंट चुकी है। लोकसभा के रिकॉर्ड के अनुसार चिराग पासवान लोजपा (रा) के इकलौते सांसद हैं। उनके चाचा और केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस की पार्टी रालोजपा के पांच सांसद हैं। यह तय होना बाकी है कि राजग में मुखिया की हैसियत रखने वाल भाजपा किस गुट को असली मानकर सीटों का बंटवारा करती है।
दोनों गुटों के सांसदों के लिए यह तय नहीं है कि वे किस सीट से चुनाव लड़ेंगे। चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस के बीच भी संघर्ष है। भाजपा के आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर भी कुछ सांसदों को बेटिकट किया जा सकता है। भाजपा के साथ संकट यह है कि अगर सभी वर्तमान सांसदों को टिकट दे दिया जाए तो नए लोगों को अवसर नहीं मिलेगा।
एक फॉर्मूला यह भी कि लगातार तीन बार सांसद रहे लोग बेटिकट होंगे। ऐसी सूचनाएं नए लोगों में उम्मीद जगाती हैं तो पुराने सांसदों को निराश भी करती हैं। चर्चा है कि 72 की उम्र पार कर चुके सांसद अब उम्मीदवार नहीं होंगे। अगर यह फॉर्मूला लागू हुआ तो भाजपा के चार सांसद रमा देवी (शिवहर), राधा मोहन सिंह (पूर्वी चंपारण) एवं गिरिराज सिंह (बेगूसराय) और बक्सर से अश्वनी चौबे टिकट से वंचित हो जाएंगे। मगर, यह चर्चा इन सांसदों को दिलासा देती है कि अच्छी उपलब्धियां उन्हें उम्र की सीमा से राहत देंगी।
बता दें कि पिछले चुनाव में जदयू के 17 में से 16 उम्मीदवार सांसद चुन लिए गए थे। उधर, जदयू ने बेटिकट करने का कोई फार्मूला नहीं बनाया है। उम्र की सीमा भी तय नहीं है। लेकिन उपलब्धियों के आधार पर कुछ सांसदों की छुट्टी हो सकती है। जदयू के टिकट का निर्णय मुख्यमंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ही करेंगे।
उन्होंने बहुत पहले यह घोषणा की थी कि अब टिकट का वितरण किसी की राय पर नहीं करेंगे। इसका मतलब यह है कि जदयू के टिकट का निर्धारण जीत की संभावना और नेतृत्व के प्रति निष्ठा के आधार पर होगा। वैसे भी राजग के सांसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार की उपलब्धियों के आधार पर चुनाव जीते थे। राज्य में लोकसभा की 40 सीटें हैं। 2019 के लोस चुनाव में राजग की एकतरफा जीत हुई थी। 39 एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के खाते में गई। महागठबंधन के दलों में सिर्फ कांग्रेस को एक किशनगंज सीट पर सफलता मिली। मो. जावेद कांग्रेस के सांसद हैं।