Lok Sabha Elections 2024: महागठबंधन में भाकपा-माले ने कर दी 5 लोकसभा सीटों की मांग, राजद की बढ़ाई चिंता
By एस पी सिन्हा | Published: March 7, 2024 06:00 PM2024-03-07T18:00:17+5:302024-03-07T18:04:44+5:30
भाकपा- माले के द्वारा सीट शेयरिंग का फार्मूला अपने हिसाब से तय किए जाने के बाद महागठबंधन के नेताओं की चिंता बढ़ गई है। भाकपा- माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा है कि महागठबंधन में सीट शेयरिंग 3 मार्च को जन विश्वास महारैली में पार्टियों की भागीदारी के हिसाब से तय की जानी चाहिए।
पटना: लोकसभा चुनाव को लेकर महागठबंधन और एनडीए के बीच जारी सीट शेयरिंग को लेकर सियासत गर्मायी हुई है। नीतीश कुमार के महागठबंधन से अलग हो जाने के बाद कांग्रेस और वामदलों जैसी पार्टियों ने ज्यादा से ज्यादा सीटों की मांग शुरू कर दी है। भाकपा- माले के द्वारा सीट शेयरिंग का फार्मूला अपने हिसाब से तय किए जाने के बाद महागठबंधन के नेताओं की चिंता बढ़ गई है। भाकपा- माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा है कि महागठबंधन में सीट शेयरिंग 3 मार्च को जन विश्वास महारैली में पार्टियों की भागीदारी के हिसाब से तय की जानी चाहिए।
दीपांकर भट्टाचार्य ने दो टूक शब्दों में कहा है कि परिस्थितियां बदली हैं और ऐसे में सीटों का बंटवारा सही तरीके से होना चाहिए। सूत्रों की मानें तो भाकपा-माले झारखंड में तो केवल एक, लेकिन इन बिहार में कम से कम 5 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है और इसको लेकर दावेदारी भी कर रही है। ऐसे में दीपांकर भट्टाचार्य की इस मांग से गठबंधन के दूसरे दलों के नेताओं की बेचैनी बढ़ गई है।
इसबीच कांग्रेस ने भाकपा- माले के इस मांग को सिरे से खारिज कर दिया है। कांग्रेस प्रवक्ता असित नाथ तिवारी ने कहा कि रैली के दिन भीड़ महागठबंधन के सभी दलों के समर्थन में थी और इस आधार पर सीट शेयरिंग का फार्मूला तय करना संभव नहीं है। हालांकि राजद अभी भाकपा-माले के इस फॉर्मूले पर खुलकर कुछ नहीं बोल रही है। पार्टी प्रवक्ता एजाज अहमद के अनुसार तेजस्वी यादव के नेतृत्व में जन विश्वास रैली के माध्यम से महागठबंधन ने अपनी ताकत दिखाई है।
उल्लेखनीय है कि जन विश्वास रैली में माले के कार्यकर्ताओं-समर्थकों की उमड़ी भीड़ और पार्टी झंडे को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने भी सोशल मीडिया एक्स पर तंज भरे अंदाज में दावा किया था कि भीड़ सबसे ज्यादा भाकपा-माले की थी। मांझी के इस बयान से उत्साहित भाकपा- माले अब महागठबंधन के नेताओं पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है।