लोकसभा चुनाव 2019: क्या मोदी को जीत में भी हार का अहसास कराएंगे नतीजे? 

By भाषा | Published: March 12, 2019 07:47 AM2019-03-12T07:47:21+5:302019-03-12T07:47:21+5:30

पीएम नरेंद्र मोदी ने लोस चुनाव के मद्देनजर रखी गई भाजपा की संसदीय बोर्ड की प्रमुख बैठक में हिस्सा लिया. भाजपा मुख्यालय में अध्यक्ष अमित शाह की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में चुनाव के लिए पार्टी की तैयारियों और रणनीति पर चर्चा की गई.

Lok Sabha Elections 2019: Will Modi make sense of defeat even in victory? | लोकसभा चुनाव 2019: क्या मोदी को जीत में भी हार का अहसास कराएंगे नतीजे? 

लोकसभा चुनाव 2019: क्या मोदी को जीत में भी हार का अहसास कराएंगे नतीजे? 

Highlightsमीडिया रिपोटरें पर भरोसा करें तो यह फैसला हो चुका है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी से ही चुनाव लड़ेंगे. केजरीवाल तो यह साफ कर चुके हैं कि वे वाराणसी से चुनाव नहीं लड़ेंगे

इस वक्त आतंकवाद के खिलाफ जंग में जनता पीएम नरेंद्र मोदी के साथ है, विपक्षी एकता पर सवालिया निशान है. बावजूद इसके, राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यदि लोस चुनाव में पीएम मोदी को जीत मिली तब भी- जीत में भी हार का अहसास, कराएंगे नतीजे?

पीएम नरेंद्र मोदी ने लोस चुनाव के मद्देनजर रखी गई भाजपा की संसदीय बोर्ड की प्रमुख बैठक में हिस्सा लिया. भाजपा मुख्यालय में अध्यक्ष अमित शाह की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में चुनाव के लिए पार्टी की तैयारियों और रणनीति पर चर्चा की गई. करीब तीन घंटे तक चली इस बैठक में क्या निर्णय लिए गए, इस संबंध में कोई अधिकारिक जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई, लेकिन मीडिया रिपोट्स पर भरोसा करें तो यह फैसला हो चुका है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी से ही चुनाव लड़ेंगे.

इस बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी के वाराणसी संसदीय सीट से ही चुनाव लड़ने का निर्णय लिया गया, लेकिन अभी इस मुद्दे पर निर्णय होना शेष है कि- क्या वे किसी और सीट से भी चुनाव लड़ेंगे या नहीं? बहरहाल, सियासी माहौल कैसा भी हो, मोदी को वाराणसी से हराना आसान नहीं है.

यह बात अलग है कि मोदी की जीत भी हार का अहसास देगी, यदि वे पिछली बार जैसी कामयाबी हासिल नहीं कर सके. वर्ष 2014 के लोस चुनाव में नरेंद्र मोदी ने वाराणसी लोकसभा सीट से चुनाव जीता था, जिसमें उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल 3,71,784 वोटों के अंतर से हरा दिया था.

अब केजरीवाल तो यह साफ कर चुके हैं कि वे वाराणसी से चुनाव नहीं लड़ेंगे, लेकिन यह चर्चा जोरों पर है कि मोदी के खिलाफ विपक्ष संयुक्त सशक्त उम्मीदवार की तलाश में है. इसके लिए शत्रुघ्न सिन्हा, अखिलेश यादव, प्रियंका गांधी, मायावती आदि कई प्रमुख नाम समय-समय पर सामने आते रहे हैं, किंतु ये अभी सियासी कयास ही हैं. यह बात अलग है कि इस बार लोस चुनाव में मोदी को संयुक्त विपक्ष की तगड़ी चुनौती मिल सकती है. 

Web Title: Lok Sabha Elections 2019: Will Modi make sense of defeat even in victory?