लोकसभा चुनाव 2019: राजस्थान में जाति समीकरण में उलझीं सियासी पार्टियां

By प्रदीप द्विवेदी | Published: April 13, 2019 05:37 AM2019-04-13T05:37:12+5:302019-04-13T05:37:12+5:30

देखना दिलचस्प होगा कि ये नेता अपने-अपने दलों को अपने-अपने समाजों का कितना लाभ दिला पाते हैं?

Lok Sabha Elections 2019: Political parties engaging in caste equation in Rajasthan | लोकसभा चुनाव 2019: राजस्थान में जाति समीकरण में उलझीं सियासी पार्टियां

लोकसभा चुनाव 2019: राजस्थान में जाति समीकरण में उलझीं सियासी पार्टियां

लोकसभा चुनाव में भी जातिवाद जीत का प्रमुख आधार है, यही वजह है कि तमाम सियासी दलों ने जाति समीकरण के सापेक्ष टिकट वितरण में दिलचस्पी दिखाई है. जातीय गणित में कमजोर पड़ रही भाजपा ने किरोडीलाल मीणा को तो विधानसभा चुनाव से पहले ही साथ ले लिया था, अब बैंसला को साथ लेकर गुर्जर वोटों पर नजर रहेगी, तो बेनीवाल के सहयोग से जाट वोटरों को भाजपा से जोड़ा जाएगा. हालांकि, सियासी जानकारों का मानना है कि इनका सहयोग वहीं काम आएगा, जहां इन नेताओं का प्रभाव क्षेत्र है और जहां भाजपा-कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर है.

विभिन्न जातियों के प्रभावी नेताओं के तौर पर प्रदेश के कुछ नेताओं की खास पहचान है, हालांकि इनमें से कुछ नेता कभी भाजपा के साथ रहे तो कभी किसी और दल के साथ. चुनावी नतीजों का इतिहास बताता है कि इन नेताओं को व्यक्तिगत तौर पर भले ही अपने समाज का साथ मिला हो, किंतु सियासी बदलाव के तौर पर कोई बहुत बड़ी सफलता नहीं मिली है. जहां उत्तरी राजस्थान में किरोडीलाल मीणा (अभी भाजपा) का असर रहा है, तो दक्षिण राजस्थान के आदिवासी क्षेत्रों में महेंद्रजीत सिंह मालवीय (कांग्रेस) विशेष प्रभाव रखते हैं. 

ब्राह्मण समाज में राजस्थान ब्राह्मण महासभा के प्रदेशाध्यक्ष भंवरलाल शर्मा (कांग्रेस), घनश्याम तिवाड़ी (पहले भाजपा, अब कांग्रेस) और एस. डी. शर्मा (भाजपा) का प्रदेश में खास प्रभाव है. राजपूत समाज में करणी सेना का बड़ा नाम है. करणी सेना के संस्थापक ठाकुर लोकेन्द्र सिंह कालवी का कहना था कि उनकी संस्था कोई राजनीतिक दल नहीं है और ना ही संस्था लोकसभा चुनाव में अपना प्रत्याशी खड़ा करेगी. अगर उनका कोई पदाधिकारी किसी दल से चुनाव लड़ना चाहता है, तो उसे करणी सेना से त्यागपत्र देना होगा. 

कालवी का कहना था कि देश के 22 राज्यों में राजपूतों की संख्या करीब 60 लाख है, जो चुनावों में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं. उधर, श्री राजपूत राष्ट्रीय करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखदेव सिंह गोगामेडी का कहना है कि मौजूदा लोकसभा चुनाव में करणी सेना न तो भाजपा के साथ है और न ही कांग्रेस के साथ है. 

पद्मावती फिल्म के अलावा आनंदपाल जैसे मुद्दों पर हमने भाजपा का विरोध किया था, लेकिन भाजपा ने हमारी आर्थिक आरक्षण जैसी बड़ी मांग मान ली थी, जिसकी वजह से राजपूतों का भाजपा से गुस्सा कम तो हुआ था, लेकिन जिस तरह से लोकसभा चुनाव में भाजपा ने राजपूतों के साथ छल किया है, उसे देखते हुए हमने राजपूत उम्मीदवारों को समर्थन देने और बाकी की सीट पर इस बार घर बैठने का फैसला किया है. देखना दिलचस्प होगा कि ये नेता अपने-अपने दलों को अपने-अपने समाजों का कितना लाभ दिला पाते हैं?

Web Title: Lok Sabha Elections 2019: Political parties engaging in caste equation in Rajasthan



Get the latest Election News, Key Candidates, Key Constituencies live updates and Election Schedule for Lok Sabha Elections 2019 on www.lokmatnews.in/elections/lok-sabha-elections. Keep yourself updated with updates on Rajasthan Loksabha Elections 2019, phases, constituencies, candidates on www.lokmatnews.in/elections/lok-sabha-elections/rajasthan.