जम्मू-कश्मीर: लद्दाख और अनंतनाग में प्रचार खत्म, सोमवार को डाले जाएंगे वोट
By सुरेश डुग्गर | Published: May 5, 2019 06:03 AM2019-05-05T06:03:56+5:302019-05-05T06:03:56+5:30
लद्दाख लोकसभा सीट पर पांचवें चरण चरण में 6 मई को वोट डाले जाएंगे। इसके बाद 23 मई को वोटों की गिनती होगी और चुनाव के नतीजे घोषित किए जाएंगे।
जम्मू कश्मीर में लोकसभा चुनावों के अंतिम चरण के लिए पांचवें और अंतिम चरण में लद्दाख संसदीय क्षेत्र के अतिरिक्त अनंतनाग संसदीय क्षेत्र के बचे हुए दो जिलों-शोपियां और पुलवामा- में सोमवार को मतदान के लिए आज प्रचार खत्म हो गया।
लद्दाख लोकसभा सीट पर पांचवें चरण चरण में 6 मई को वोट डाले जाएंगे। इसके बाद 23 मई को वोटों की गिनती होगी और चुनाव के नतीजे घोषित किए जाएंगे। यह सीट जम्मू और कश्मीर की 6 लोकसभा सीटों में से एक है। इस बार लद्दाख लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी ने जामयांग शेरिंग नामग्याल को चुनाव मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस पार्टी ने रिगजिन स्पालबार पर दांव लगाया है। इसके अलावा असगर अली कर्बलाई और सज्जाद हुसैन बतौर निर्दलीय अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।
लद्दाख लोकसभा सीट दो जम्मू-कश्मीर के दो जिलों कारगिर और लेह में फैला हुआ है। देश के सबसे ठन्डे और क्षेत्रफल के लिहाज से देश में सबसे बड़ा लोकसभा क्षेत्र लद्दाख है लेकिन जनसंख्या के हिसाब से यह देश के सबसे छोटे लोकसभा क्षेत्रों में से एक है। लद्दाख लोकसभा सीट में चार विधानसभा क्षेत्र कारगिल, जानस्कर, लेह और नोबरा आते हैं। दुनिया के अत्यंत दुर्गम रिहायशी इलाके लद्दाख में हैं। यहां करीब आधा दर्जन ऐसे स्थान हैं जहां आज भी सड़क मार्ग से नहीं पहुंचा जा सकता है। चुनाव आयोग को कुछ केन्द्रों पर अपने मतदानकर्मियों को वायुमार्ग से भेजने की व्यवस्था करनी पड़ती है। कई मतदान केंद्रों पर 90 से भी कम मतदाता हैं।
जम्मू कश्मीर की लद्दाख लोकसभा सीट पर अधिकतर मौकों पर कांग्रेस ने ही जीत का परचम लहराया है। साल 1967, 1971, 1977, 1980, 1984, 1996, में यहां से कांग्रेस को जीत मिली। 1967 और 1971 का चुनाव कांग्रेस के टिकट पर केजी बकुला जीते थे। वहीं 1977 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की उम्मीदवार पार्वती देवी विजेता बनीं। जबकि 1980 और 1984 में कांग्रेस के पी. नामग्याल लद्दाख लोकसभा सीट से चुनाव जीतने में कामयाब रहे। लेकिन इसके अगले 1989 के चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। निर्दलीय मोहम्मद हस कमांडर चुनाव जीतकर पहले गैर कांग्रेसी सांसद बने। 1991 में यहां चुनाव नहीं हुआ। जबकि 1996 में कांग्रेस के टिकट पर पी. नामग्याल यहां से तीसरी बार सांसद बने।
इसके बाद इस सीट पर पहली बार नेशनल कांफ्रेंस जीती। 1998 में नेशनल कांफ्रेंस के टिकट पर सैयद हुसैन और 1999 में हसन खान संसद पहुंचे। वहीं 2004 में भी एक निर्दलीय उम्मीदवार को ही यहां जीत मिली। इस चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी थुप्सन चेवांग जीते। इसके अगले चुनाव में भी निर्दलीय प्रत्याशी हसन खान जीतकर दूसरी बार संसद पहुंचे। 2014 में इस सीट से थुपस्तान छेवांग ने वापसी की और बीजेपी के टिकट पर जीतकर वह भी दूसरी बार संसद पहुंच गए।
लद्दाख क्षेत्रफल के हिसाब से भारत का सबसे बड़ा लोकसभा क्षेत्र है। लद्दाख का क्षेत्रफल 1.74 लाख वर्ग किलोमीटर है। हिमालय की गोद में बसे इस क्षेत्र की सुंदरता देखते ही बनता है। यहां देश-दुनिया से पर्यटक घूमने आते हैं। इस लोकसभा सीट से साल 2014 में बीजेपी के टिकट पर थुप्सन चेवांग चुनाव जीते। यह पहली बार था जब बीजेपी का कोई उम्मीदवार लद्दाख लोकसभा सीट से चुनाव जीतने में कामयाब हुआ।
2014 के चुनाव में बीजेपी के थुप्सन चेवांग और निर्दलीय प्रत्याशी गुलाम रजा के बीच कड़ी टक्कर हुई थी। थुप्सन चेवांग ने गुलाम रजा को सिर्फ 36 वोटों से हराया था। चेवांग को 31,111 और गुलाम रजा को 31, 075 वोट मिले थे। हालांकि 2019 लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले थुप्सन चेवांग ने 13 दिसंबर, 2018 को सदन और पार्टी से इस्तीफा दे दिया। इससे पहले चेवांग 2004 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में यहां से चुनाव जीते थे।