लोकसभा चुनाव 2019: इटावा, मैनपुरी, फिरोजाबाद में यादव किसके साथ, पढ़ें ग्राउंड रिपोर्ट
By निखिल वर्मा | Published: April 12, 2019 12:43 PM2019-04-12T12:43:01+5:302019-04-12T15:10:20+5:30
लोकमत ने सपा के गढ़ मैनपुरी-फिरोजाबाद-इटावा में राजनीतिक हालात का जायजा लिया है। पढ़िए ग्राउंड रिपोर्ट...
लोकसभा चुनाव 2019 के पहले चरण में 11 अप्रैल को उत्तर प्रदेश की आठ सीटों पर बंपर मतदान हुआ है। इस बार यूपी में मुख्य लड़ाई बीजेपी और सपा-बसपा महागठबंधन के बीच है। हालांकि समाजवादी पार्टी से अलग हुए मुलायम सिंह यादव के भाई शिवपाल सिंह यादव कुछ सीटों पर सपा का खेल बिगाड़ सकते हैं।
समाजवादी पार्टी में वर्चस्व की लड़ाई के बाद शिवपाल सिंह यादव ने पिछले साल सपा से अलग होकर प्रजातांत्रिक समाजवादी पार्टी का गठन किया है। प्रसपा ने मैनपुरी को छोड़कर उत्तर प्रदेश की सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। खुद प्रसपा प्रमुख शिवपाल फिरोजाबाद में अपने भतीजे और वर्तमान सांसद अक्षय यादव के खिलाफ चुनावी मैदान में है। अक्षय यादव सपा के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव के बेटे हैं।
लोकमत ने सपा के गढ़ मैनपुरी-फिरोजाबाद-इटावा में राजनीतिक हालात का जायजा लिया है। पढ़िए ग्राउंड रिपोर्ट
मैनपुरी में मुलायम के साथ शिवपाल
मैनपुरी में मुलायम सिंह यादव के खिलाफ प्रसपा ने कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है। 1 अप्रैल को जब मुलायम सिंह यादव नामांकन भरने जा रहे थे तो शिवपाल ने उनके घर जाकर मुलाकात की थी। इस सीट पर मुलायम सिंह यादव पहली बार 1996 में जीत दर्ज की थी। केंद्र में वह इसी साल रक्षा मंत्री भी बने।
शिवपाल के इस कदम पर फिरोजाबाद से सांसद अक्षय यादव कहते हैं, चाचा कोई चुनौती नहीं है। लड़ाई एकतरफा है। मैनपुरी में शिवपाल साइकिल के लिए वोट मांग रहे हैं यहां में चाभी के लिए। फिरोजाबाद की जनता इतनी बेवकूफ नहीं है।
परिवार के गढ़ इटावा में सेंध लगाना चाहते हैं शिवपाल
मुलायम परिवार के गढ़ इटावा में शिवपाल ने शंभू नाथ दोहरे को टिकट दिया है। इस सुरक्षित सीट में जाटवों की संख्या सर्वाधिक है और दोहरे भी जाटव समाज से आते हैं। पिछले तीन सालों से वह बसपा के लिए काम कर रहे थे, लेकिन गठबंधन में सीट सपा में जाने के बाद उन्होंने प्रसपा का दामन थाम लिया।
सपा ने यहां पूर्व सांसद प्रेमदास के बेटे कमलेश कठेरिया और बीजेपी ने एससी-एसटी आयोग के चेयरमैन रामशंकर कठेरिया को अपना प्रत्याशी बनाया है। पूर्व सांसद रघुराज सिंह शाक्य इटावा में शिवपाल के साथ हैं। शिवपाल जाटव-यादव के समीकरण के सहारे जीत की उम्मीद बांधे हुए हैं।
शिवपाल सिंह यादव के बेटे और प्रसपा के राष्ट्रीय महासचिव आदित्य यादव को जिला पंचायत चुनाव में हराने वाले दुष्यंत सिंह यादव कहते हैं, यहां के यादव मुलायम सिंह यादव के नाम पर ही वोट करते हैं। सपा के बाहर शिवपाल सिंह यादव का कोई वजूद नहीं है।
दुष्यंत सिंह यादव इटावा में शिवपाल के विधानसभा सीट जसवंतनगर के रहने वाले हैं। रामगोपाल यादव को अपना राजनीतिक गुरु बताते हुए दुष्यंत कहते हैं, ये मीडिया में चलता है कि कार्यकर्ताओं में शिवपाल की पकड़ मजबूत है। लेकिन इटावा-मैनपुरी-फिरोजाबाद में पढ़े लिखे होने के कारण प्रोफेसर साहब (रामगोपाल) की बहुत इज्जत है। वहीं मुलायम अब भी हमारे लीडर हैं। शिवपाल यादव वोटों में कोई सेंध नहीं लगा पाएंगे।
फिरोजाबाद में कांटे की लड़ाई
शिवपाल यादव के उतरने से सपा के गढ़ में ही अक्षय यादव की चुनौतियां काफी बढ़ गई है। बीजेपी ने यहां कमजोर प्रत्याशी उतारा है और मतदान से केवल 20 दिन पहले ही प्रत्याशी की घोषणा की है। मुख्य मुकाबला चाचा-भतीजे के बीच ही है।
फिरोजाबाद में 4.31 लाख यादव वोट है। शिवपाल बसपा प्रमुख मायावती के कार्यकाल (2007-12) में विपक्ष के नेता रहे हैं और इसके अलावा सपा सरकारों में मंत्री भी। फिरोजाबाद जिले के सिरसागंज से बागी सपा विधायक हरिओम यादव शिवपाल के पक्ष में वोट मांग रहे हैं। हरिओम यादव तीन बार से विधायक हैं।
जसवंतनगर के रहने वाले सुबोध यादव कहते हैं, शिवपाल ज्यादा नुकसान नहीं कर पाएंगे। आज भी हमारे नेता मुलायम ही हैं। वो कहते हैं ज्यादा से ज्यादा 25 फीसदी यादव वोट शिवपाल को मिल सकता है।
शिवपाल की शिकोहाबाद रैली में आए देवेंद्र यादव कहते हैं, हमारे नेता तो मुलायम सिंह यादव ही हैं। यहां घूमने पर साफ पता चलता है कि मुलायम जिसके पक्ष में रैली कर देंगे वो उम्मीदवार आसानी से जीत जाएगा।