कहावत है कि 'दुविधा में दोनों गए माया मिले न राम', आज कुछ ऐसी हीं स्थिति भाजपा को अलविदा कहकर कांग्रेस का दामन थामने वाले शत्रुघ्न सिन्हा अर्थात बिहारी बाबू के लिए हो गई है. खुद कांग्रेस के टिकट पर पटना साहिब से चुनाव मैदान में उतरने जा रहे हैं, तो दूसरी तरफ उनकी पत्नी पूनम सिन्हा समाजवादी पार्टी (सपा) के टिकट पर लखनऊ से चुनाव के मैदान में उतर चुकी हैं. वहां उनका मुकाबला केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह और कांग्रेस के प्रत्याशी आचार्य प्रमोद कृष्णम से होने जा रहा है.
ऐसे में अब बिहारी बाबू के सामने धर्म संकट यह है कि क्या वह अपनी पत्नी के लिए प्रचार करने लखनऊ जाएंगे, अगर जाएंगे तो क्या कांग्रेस को भी खामोश रहने को कहेंगे? जिसमें वह खुद अपना भविष्य तलाश रहे हैं. बता दें कि अभी पिछले दिनों ही सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा था कि हम पूनम सिन्हा का पार्टी में स्वागत करते हैं. वह लखनऊ से चुनाव लड़ेंगी.
लखनऊ का चुनाव हम विकास के मुद्दे पर लड़ेंगे. वह लखनऊ की पहली महिला सांसद होंगी, इसलिए हमने महिला को टिकट दिया. हमारी पार्टी दूसरे पार्टियों की तुलना में महिलाओं का ज्यादा सम्मान करती है. वहीं, यह कयास लगाए जा रहे हैं कि भाजपा छोड़ हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए शत्रुघ्न क्या अपनी पत्नी पूनम सिन्हा के समर्थन में लखनऊ में अपनी ही पार्टी के खिलाफ चुनाव प्रचार करते नजर आ सकते हैं?
यहां उल्लेखनीय है कि शत्रुघ्न सिन्हा 6 अप्रैल को कांग्रेस में शामिल हुए जबकि उनकी की पत्नी पूनम सिन्हा 16 अप्रैल को सपा में शामिल हुईं. यूपी में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस में गठबंधन नहीं हुआ है जबकि बसपा और रालोद सपा के साथ है.