लोकसभा चुनाव 2019: 40 दलों के साथ 435 सीटों पर लड़ेगी बीजेपी, इन 3 राज्यों में कोई गठबंधन नहीं
By हरीश गुप्ता | Published: March 23, 2019 08:08 AM2019-03-23T08:08:45+5:302019-03-23T08:08:45+5:30
इस मर्तबा विभिन्न राज्यों में 40 सहयोगी दलों के बावजूद भाजपा को आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, प. बंगाल और ओडिशा में अकेले ही लड़ना होगा.
लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा 543 सीटों में से 435 सीटों पर मैदान में होगी. 2014 के लोकसभा चुनावों में भी भाजपा ने लगभग इतनी ही सीटों पर चुनाव लड़ा था. तब 429 सीटों पर चुनावी मैदान में उतरी भाजपा को अपने बूते 282 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. इस मर्तबा विभिन्न राज्यों में 40 सहयोगी दलों के बावजूद भाजपा को आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, प. बंगाल और ओडिशा में अकेले ही लड़ना होगा. इन चार राज्यों में लोकसभा की 105 सीटें दांव पर होंगी.
इस मर्तबा भाजपा की सीटों का आंकड़ा बढ़ने की वजह तेदेपा, रालोसपा और अन्य साथियों का साथ छोड़ जाना है. वैसे पार्टी ने इस दौरान नीतीश कुमार के जदयू के साथ बिहार में नया नाता जोड़ने में कामयाबी हासिल की. भाजपा को इस नए दोस्त के लिए पिछली बार की तुलना में अपने कब्जे की पांच सीटों का त्याग करना पड़ा. उधर, तमिलनाडु में भाजपा ने अन्नाद्रमुक का साथ हासिल कर लिया और उसे उम्मीद है कि वहां उसका प्रदर्शन पिछली बार से बेहतर रहेगा.
केरल में बीजेपी 24 सीटों पर लड़ेगी चुनाव
2014 में तमिलनाडु में नौ सीटों पर चुनाव लड़ने के बावजूद भाजपा को केवल एक सीट पर कामयाबी मिली थी. नये साथी मिले केरल में भाजपा 20 की बजाय 14 सीटों पर चुनाव लडे़गी. छह सीटें उसने अपने नये साथियों के लिए छोड़ दी है. भाजपा को झारखंड में एक क्षेत्रीय दल के रूप में नया साथी (एजेएसयू) मिला है, जिसके लिए उसने 14 सीटों में से एक सीट छोड़ दी है. उम्मीद बेहतरी की भाजपा को उम्मीद है कि उसका प्रदर्शन प. बंगाल और ओडिशा में इस बार सुधरेगा.
2014 में दो राज्यों में मिली थी 3 सीटों पर जीत
2014 में दोनों राज्यों में सारी सीटों पर उम्मीदवार उतारकर भी भाजपा को केवल तीन सीटों पर जीत हासिल हुई थी. आंध्र, तेलंगाना में 42 में से 12 सीटों पर उम्मीदवार उतारकर वह केवल तीन में जीत हासिल करने में सफल हुई थी. अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक भाजपा ने तेलंगाना में टीआरएस और आंध्र में वायएसआर कांग्रेस के लिए दरवाजे खुले रखे हैं. पूरा जोर बंगाल में भाजपा सूत्रों के मुताबिक पार्टी का पूरा जोर इस बार बंगाल में दोहरे अंकों को छूने पर है. भाजपा को खुशी इस बात की भी है कि कांग्रेस के दिल्ली में आम आदमी पार्टी और उत्तरप्रदेश में सपा-बसपा से गठबंधन के प्रयास पूरी तरह से नाकामयाब रहे.